लद्दाख की ठंड देख चीन की हालत हुई खराब, एलएसी से 10 हजार सैनिकों को हटाया

पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात चीन के हजारों सैनिकों की कड़ाके की ठंड के चलते हालत खराब होने लगी है। ड्रैगन ने डेप्थ इलाकों से अपने 10 हजार सैनिकों को हटा दिया है। मालूम हो कि भारत-चीन के बीच अप्रैल महीने से एलएसी पर टकराव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, फ्रंटलाइन इलाकों में स्थिति पहले जैसी बनी हुई है और कई जगह पर जवान आमने-सामने तैनात हैं। सरकारी सूत्रों ने जानकारी दी कि डेप्थ इलाकों से सैनिकों को हटाने की वजह लद्दाख में पड़ रहीं कड़ाके की सर्दियां हैं। इस वजह से ही चीन को अपने सैनिकों को वहां तैनात करना मुश्किल हो रहा है। हालांकि, भारतीय जवान लद्दाख की सर्दी में भी बिना किसी परेशानी के डटे हुए हैं और किसी भी नापाक हरकतों का जवाब देने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद हैं। सूत्रों ने आगे बताया कि चीनी सेना द्वारा भारतीय बॉर्डर के पास लाए गए हथियार अभी भी वहीं मौजूद हैं। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि फरवरी-मार्च में ठंड कम होने के बाद क्या चीन अपने सैनिकों की तैनाती दोबारा उस इलाके में करेगा या नहीं। वहीं, पूर्वी उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने कहा कि सर्दियों में बड़े पैमाने या फिर सीमित सैन्य अभियानों को रोक दिया जाता है। संभवतः यही कारण है कि पीएलए ने डेप्थ इलाकों से सैनिकों को हटा लिया है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पिछले दस दिनों में 10 हजार सैनिकों की वापसी हुई है। वहीं, भारतीय सेना लद्दाख के सभी डेवलपमेंट पर करीब से नजर बनाए हुए है। पिछले साल, अप्रैल-मई महीने से एलएसी पर चीन के 50 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। हालांकि, भारत ने भी पूरी तैयारी कर रखी है और पड़ोसी देश के बराबर ही जवानों को तैनात किया है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद भी जमा कर रखे हैं। वहीं, दोनों देशों के बीच जून महीने में उस वक्त तनाव और बढ़ गया था, जब गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने कभी भी संख्या की जानकारी नहीं दी। इसके बाद, तनाव कम करने के लिए दोनों देश आपस में कई दौर की सैन्य स्तर की बातचीत कर चुके हैं, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल सका है।

लद्दाख पहुंच बिपिन रावत ने तैयारियों का लिया जायजा

वहीं, जनरल बिपिन रावत सेना की समग्र तैयारी की समीक्षा के लिए लद्दाख के दौरे पर हैं, जहां पिछले आठ महीने से जारी गतिरोध के बीच भारत और चीन के हजारों सैनिक ऊंचे पहाड़ों पर तैनात हैं। आधिकारिक सूत्रों ने सेामवार को बताया कि जनरल रावत को लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और सेना के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा की स्थिति पर अवगत कराएंगे। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष ने लद्दाख के इस दौरे के पहले अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास दिंबाग घाटी, लोहित सेक्टर और सुबंसिरी घाटी में विभिन्न चौकियों समेत महत्वपूर्ण ठिकानों का दौरा किया था।

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