सभी को यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए

महिलाओं को मोटिवेट करते हुए अमिताभ कांत बोले- 


‘फेल होने के बाद ही सक्सेस स्टोरी बनती है’


रणघोष अपडेट.  यूअर स्टोरी से


जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने इवेंट में महिलाओं को आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि जब तक महिलाओं की भागीदारी नहीं होगी, देश तेजी से आगे नहीं बढ़ेगा. आंत्रप्रेन्योरशिप में तेजी से महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है. जो महिलाएं आंत्रप्रन्योर की राह में आगे बढ़ रही हैं और जो अभी तक इस रास्ते पर नहीं चली हैं, सभी को जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने भी मोटिवेट किया. साथ ही नीति आयोग के दूसरे चीफ एग्जिक्युटिव ऑफिसर रह चुके अमिताभ कांत ने इस इवेंट में सभी महिलाओं में जोश भरने का काम किया. अमिताभ कांत ने कहा कि आज के वक्त में जिस तरह तेजी से महिलाएं आंत्रप्रेन्योर बन रही हैं, उसे देखकर बहुत अच्छा लगता है. उन्होंने कहा कि भारत को अगर तेजी से 8-9 फीसदी की दर से हर साल आगे बढ़ना है, तो यह महिलाओं की भागीदारी के बिना मुमकिन नहीं हो सकता. भारत की 50 फीसदी आबादी महिलाओं की है. जब तक महिलाएं आंत्रप्रेन्योर नहीं बनतीं, जब तक वह कुछ इनोवेशन नहीं करतीं, तब तक देश आगे नहीं बढ़ सकता है. जी20 की प्राथमिकता ग्रोथ रेट को बढ़ाना, सस्टेनेबल ग्रोथ, स्टेनेबल डेवलपमेंट गोल को बढ़ाना देना और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन है, जिसके लिए महिलाओं की भागीदारी जरूरी है. जी20 इंडिया की प्राथमिकता है कि महिलाएं ना सिर्फ बेनेफिशियरी हों, बल्कि वह भारत की ग्रोथ को ड्राइव करने का काम करें, देश को आगे ले जाने का काम करें. हम चाहते हैं कि ना सिर्फ भारत में बल्कि जी20 देशों में आंत्रप्रेन्योरशिप में महिलाओं की भागीदारी बढ़े. इसके लिए जरूरी है कि हम महिलाओं को बढ़ावा दें. जिस तरह प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत महिलाओं को बढ़ावा दिया गया, कुछ वैसा ही करने की जरूरत है. भारत में 2015-17 के बीच करीब 48 लाख बैंक खाते खुले हैं. इन्हें बाद में आधार नंबर से जोड़ा गया, जो आपकी डिजिटल पहचान बने. इन्हें मोबाइल नंबर से भी जोड़ा गया, जिसकी वजह से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करना आसान हुआ. अब लोगों का मोबाइल एक वर्चुअल बैंक बन चुका है. लोग अब ई-कॉमर्स शॉपिंग के लिए कार्ड के बजाय मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे हैं. 2015-17 के दौरान दुनिया भर में जितने बैंक खाते खुले, उनमें से आधे तो भारत में ही खुले. हर दूसरा बैंक खाता उस दौरान भारत में खुला. जब हमने इसकी शुरुआत की थी तो सिर्फ 17 फीसदी महिलाओं के बैंक खाते थे, लेकिन आज 80 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाता है. यह सब टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में हुआ. हमने लोगों को डिजिटल आइडेंटिटी दी, जिसकी वजह से ऑनलाइन भुगतान को सुनिश्चित किया जा सका. यही वजह है भारत अकेला ऐसा देश है जहां फोन पे, गूगल पे, पेटीएम, वाट्सऐप तमाम कंपनियां आपस में कॉम्पटीशन कर रही हैं. हमारे पास उपासना ठाकुर जैसी महिला आंत्रप्रेन्योर हैं, जिन्होंने मोबीक्विक की शुरुआत की. इसके तहत पेपरलेस क्रेडिट लेंडिंग में मदद मिली. इसके अलावा हमारे देश में जीरोधा और एको जैसे भी स्टार्टअप हैं, जिन्होंने वेल्थ मैनेजमेंट किया है. जीरोधा अभी शेयर बाजार का एक बड़ा हिस्सा कंट्रोल करता है. एको जैसे स्टार्टअप 2 मिनट में इंश्योरेंस की सुविधा दे रहे हैं. महिला आंत्रप्रेन्योर पूरी दुनिया में भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर रही हैं. बहुत सी महिलाएं कई बदलाव लाने वाले काम कर रही हैं. भारत सरकार और राज्य सरकार का मानना है कि इस वक्त तमाम परेशानियों और चुनौतियां का समाधान आंत्रप्रेन्योरशिप के जरिए निकालने की जरूरत है. अगर हम एजुकेशन, हेल्थ, एग्रीकल्चर जैसे तमाम फील्ड में किसी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकालते हैं तो यह सिर्फ भारत के 1.4 अरब लोगों के लिए नहीं होगा, बल्कि दुनिया के 4-5 अरब लोगों के लिए होगा. यानी कि आपका मार्केट सिर्फ भारत नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया ही आपका बाजार है, जिसके लिए आपको सॉल्यूशन निकालना है. भारत ने बैंक अकाउंट, आइडेंटिटी, फास्ट पेमेंट जैसे मामले में टेक्नोलॉजिकल बैकबोन बनाने का काम किया है. दुनिया में करीब 4 अरब लोगों के पास डिजिटल आइडेंटिटी नहीं है. करीब 2.5 अरब लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं. वहीं 133 देशों के पास फास्ट पेमेंट नहीं है. ऐसे में हम दुनिया को बदलने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं. इस तरह देखा जाए तो ऑन्त्रप्रेन्योरशिप के जरिए दुनिया के बाजार में एंट्री मार कर काफी कुछ बदलने का मौका है. भारत में आंत्रप्रेन्योरशिप की शुरुआत है, जिसमें महिलाएं खास रोल अदा कर सकती हैं. महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा विजनरी होती हैं, उनमें सफलता पाने की ज्यादा भूख होती है, इसलिए वह पुरुषों की तुलना में बेहतर काम कर सकती हैं. अमिताभ कांत ने महिलाओं को आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि फेल होने से मत डरो, क्योंकि बिना फेल हुआ सक्सेस स्टोरी नहीं बनती है.

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