सरकार स्कूलों को बन्द करना सरकार की नाकामी: रजवन्त डहीनवाल

सरकारी स्कूलों की हालात सुधारने में विफल रही सरकार


इनेलो  प्रवक्ता एडवोकेट रजवन्त डहीनवाल ने बीजेपी सरकार द्वारा 1057 सरकारी स्कूलों को बन्द करने के फैसले की कड़ी निन्दा करते  हुए कहा कि सरकार  बजट में नए स्कूल खोलने की बात करती है और उसके तुरंत बाद प्रदेश के 1057 प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को बंद करने का फैसला ले लेती ये सरकार का दोहरा चरित्र अब जनता के सामने आ चुका है ।
 एडवोकेट रजवन्त डहीनवाल ने कहा कि बीजेपी सरकार हमेशा पूंजीपतियों की सरकार रही है उसने कभी भी गरीब और आम जनता की भलाई के बारे में नहीं सोचा । इन सरकारी स्कूलों में किसी पूंजीपतियों के बच्चे नहीं पढ़ते थे बल्कि आम मजदूर,गरीब,किसान के बच्चे पढ़ते है और उनको ही शिक्षा से वंचित करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है। इनेलो प्रवक्ता ने कहा कि आज भी प्रदेश में लगभग 45000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और सरकार कह रही है कि इन स्कूलों को बंद इस वजह से किया जा रहा है कि उनमें छात्र नहीं है ।
इनेलो प्रवक्ता ने कहा किसी भी स्कूल में अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला तब कराते हैं जब उनको लगता है कि यहां पर उन पर बच्चा बेहतर पढ़ाई कर सकता है जब किसी स्कूल में शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो छात्र कहां से आएंगे। बैठने के लिए बैंच नही न पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था, कई सरकारी स्कूलों के भवनों की हालात जर्जर हो रही   जिसके गिरने का ख़तरा मंडराता रहता है इन समस्याओं से बचने के लिये मजबूरी में अभिभावकों को अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना पड़ रहा है और अपनी खून पसीने की कमाई को लूटना पड़ रहा है। इनेलो प्रवक्ता ने कहा कि सरकार का ध्यान सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को दुरुस्त करने की बजाय निजी स्कूलों को किस प्रकार लाभ पहुंचाया जाए यह उनकी मंशा बनी रहती है । इनेलो प्रवक्ता ने कहा कि  सरकार के मंत्री सरकारी स्कूलों के कार्यक्रम की बजाय निजी स्कूलों के  कार्यक्रम में जाना पसंद करते है जिससे ये साफ हो जाता है कि  सरकार की मंशा सरकारी स्कूलों के प्रति क्या है। जबकि सरकार को इन स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए, गाँवो के जिम्मेदार व्यक्तियों  के साथ की टीम बनाकर विशेष कैंपेनिंग अभियान चलाये व छात्रों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में सरकार स्कूलों से शिक्षा लेने के लिए प्रेरित करे। इसके साथ ही अभिभावकों को विश्वास दिलाया जाए कि उनके बच्चों की बेहतर पढ़ाई व सुरक्षा का माहौल दिया जाएगा। स्कूलों को बंद करने से समस्या का हल नही होगा। सरकार हमेशा विकास का ढिंढोरा पिटती है लेकिन धरातल की सच्चाई सामने आ रही हैं। किसी भी देश प्रदेश की तरक्की के लिए शिक्षा बड़ी अहम चीज है और सस्ती शिक्षा व चिकित्सा मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की होती हैं लेकिन बीजेपी सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटती नजर आ रही जिससे हजारों गरीब परिवार के बच्चों को सीधे सीधे शिक्षा से वंचित किया जा रहा है इसलिए सरकार को चाहिए कि वो सरकारी स्कूल के अध्यापको को पढ़ाई के अलावा किसी अन्य काम में डयूटी न लगाए क्योंकि इस प्रकार के काम से छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान पड़ता है।

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