रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
सीबीएसई द्वारा संचालित निजी स्कूलों की तरफ से गठित सहोदाया संस्था में नई कार्यकारिणी को लेकर विवाद अलग अलग रास्तों पर चल पड़ा है। उन बातों का खुलासा किए जाने लगा है जिसमें संस्था के अंदर पहले ही आंतरिक तौर पर अलग अलग मसलों पर सहमति नहीं बनी हुई थी। ऋषि स्कूल में दो दिन पहले गठित संस्था की नई टीम के सदस्यों का कहना है कि पूर्व प्रधान संस्था में एकाधिकार चाहते हैं। पिछले 7 सालों से ऐसा वे करते आ रहे हैं। अब चूंकि वे स्कूल प्राचार्य नहीं है इसलिए नैतिकता के आधार पर नियमों के हिसाब से सर्वसम्मति से नई टीम के गठन में भागेदारी निभानी करनी चाहिए थी किंतु वे कर रहे उलटा।
नई कार्यकारणी की प्रधान सावित्री यादव एवं संदीप यादव ने कहा कि जिस प्रेजिडेंट के चयन की बात वो कर रहे हैं उसका चयन 6 जून को पांच लोगों ने बंद कमरे में किया था तथा इसकी सुचना न तो सहोदाया ग्रुप में डाली गई और न ही मेल या फोन के द्वारा किसी को दी गई ।जबकि विद्यालयों ने इस पर आपति जताई तो 7 जुलाई को कुछ विद्यालयों के प्रतिनिधि रामपाल से मिले और अपनी नाराजगी जाहिर की। तथा बहुत से लोगों ने वी पी यादव से भी मिलकर व् फोन पर अपना रोष व्यक्त किया और कहा कि इस सन्दर्भ में सभी विद्यालयों की मीटिंग बुलाई जाए पर वे नहीं माने। इसी मुद्दे पर 14 जून को एक मीटिंग रामपाल द्वारा बुलाई गई जिसकी सूचना वीपी यादव को फोन पर दी गई पर वे मीटिंग में नहीं पहुंचे। रामपाल जी द्वारा अतुल बतरा को भी फोन किया गया पर वे नहीं आये। इस मीटिंग में रामपाल , अनिरुद्ध सचदेवा व् नवीन सैनी जो की 6 जून की मीटिंग का हिस्सा थे उन्हें लगा की जो भी निर्णय उनके द्वारा 6 जून को वी पी यादव जी के दबाव में लिया वह ठीक नहीं था। उन्होंने सहोदाया प्रसीडेंट के चयन का अपना निर्णय वापस लिया और इस चयन को निरस्त करके इसकी सुचना सभी को सहोदाया वाटसअप ग्रुप के माध्यम से दी गई और कहा कि अब गवर्निंग बॉडी का गठन अगली मीटिंग में सबके साथ बैठ कर लिया जाएगा। 12 जून को प्रीतिका मुंजाल, ट्रेजरार सहोद्या द्वारा सहोदाया की मीटिंग बुलाई गई। चूंकि वी पी यादव भिवानी बोर्ड के वाइस चेयरमन बन गए थे और इस्तीफा दे चुके थे, महासचिव इश धींगरा भी प्रिंसिपल के पद पर न होने के कारण पदमुक्त हो गए थेद्ध अंत में ये जिम्मेदारी प्रीतिका मुंजाल को निभानी पड़ी। इस मीटिंग की सुचना सभी सदस्य विद्यालयों को वाटसअप ग्रुप के माध्यम स 1 जुलाई को दे दी गई थी जिसमे भी ये दोनों लोग नहीं आये तो जितने भी प्रतिनिधि वहां पहुंचे उन्होंने एक राय से वर्तमान गवर्निंग बॉडी का गठन किया जो की सर्वसम्मति से हुआ न की बंद कमरे में ।प्रीतिका मुंजाल का कहना है कि वो पिछले सात सालों से ट्रेजरार के पद पर हैं लेकिन उन्हें आज तक यह नहीं बताया गया कि सहोद्या रेवाड़ी के पास सदस्यता शुल्क के नाम पर लिया गया कितना पैसा है और कहाँ है, इसके खर्चे का कोई ब्यौरा उनके साथ कभी साँझा नहीं किया गया और न ही बाकि सदस्यों को दिया गया। हम उनसे यह भी सवाल पूछना चाहेंगे कि पिछले नों सालों से वे प्रेजिडेंट थे तो उन्होंने कभी नई गवर्निंग बॉडी क्यों नहीं बनाई, ऐसा कौनसा नियम है की एक व्यक्ति ही नों साल तक प्रेजिडेंट रहेगा। हर संस्था में दो साल के बाद नई कार्यकरिणी बनाई जाती है पर उन्होंने कुछ भी पारदर्शी तरीके से नहीं किया न तो जनरल बोडी की मीटिंग बुलाई न कभी पैसे का ब्यौरा सदस्य विद्यालयों को दिया गया और न ही कभी नई कार्यकारिणी के गठन पर चर्चा हुई अकेले ही सारी चीजों पर कब्ज़ा करके बैठे रहे ।यह एक लोकतांत्रिक संस्था है जिसमे सभी सदस्य बराबर के हिस्सेदार हैं । सीसीएसई का कोई नियम उन्हें यह अधिकार नहीं देता की वे जिसे चाहें प्रेजिडेंट चुन सकते हैं। अगर हमें लगा की वो इस संस्था की गरिमा को नुकसानन पहुंचाएंगे तो हम अपनी बात सीबीएसई हेड ऑफिस में भी रखेंगे और इसको लोकतांत्रिक तरीके से चलाएंगे।