सिद्धू मूसेवाला का जलवा, 500 करोड़ की हो गई सेल, द‍िल्‍ली से लेकर मुंबई अचानक इस चीज की बढ़ गई ड‍िमांड

पतंगबाजी करने वाले लोगों को मकर संक्रांति की बेसब्री से इंतजार रहता है. आने वाले इस दिन को आसमान में मजेदार फाइट देखने को मिलता है. इस त्योहार पर बॉलीवुड थीम वाली पतंगों का मार्केट में बहुत डिमांड रहता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि मुंबई में एक पतंग गली है यहां पर आपको हीरो-हिरोइन से लेकर 500 करोड़ क्लब की थीम वाली सभी पतंगें मिल जाएंगी.

कार्टून आकृतियों के साथ-साथ जानवरों और पक्षियों की तस्वीरों वाली पतंगें भी बाजार में एक आकर्षण की केंद्र होती हैं. छतरियों और पैराशूट के रूप में बनी पतंगें भी कफी लोकप्रिय हैं, कई खरीदार एक बार में पूरी कावड़ी (20 का ढेर) खरीद लेते हैं! कागज और फ्वॉल से बनी पतंगे भी काफी बिकती हैं, वजह हैं इनको उड़ाने में आसानी होती है.

सिद्धू मूसेवाला की पतंगें लाखों में बिकीं
इस साल बॉक्स-ऑफिस पर हिंदी फिल्मों का बोलबाला रहा है. इस वजह से बॉलीवुड सितारों की तस्वीरों वाली पतंगों की भी डिमांड बढ़ गई है. पतंग गली के दुकानदार मोहम्मद मलिक कहते हैं, ‘सलमान और शाहरुख सबसे लोकप्रिय पतंग चेहरे हैं, कई बच्चे ‘भाई के पतंग’ मांगते हैं.’ पिछले दो वर्षों में दिवंगत भारतीय गायक सिद्धू मूसेवाला की भी लोकप्रियता बढ़ी है. उन्होंने आगे कहा ‘सिद्धू मूसेवाला की पतंगें लाखों में बिकती हैं; हमारे यहां नियमित रूप से सिद्धू की पतंगें मांग करने वाले आते रहते हैं.’

कॉटन मांझा
शहर में खतरनाक कांच-लेपित मांझा पर प्रतिबंध लगने के बाद, पतंग की दुकानों ने सूती धागे वाला मांझा बेचना शुरू कर दिया है. मलिक ने कहा ‘हमारे पास अब 30 नंबर का मांझा है जो बरेली, यूपी से आता है, और यह सुरक्षित और हल्का होता है. ये अलग-अलग रंगों के होते हैं: बायदा बारिक (सफ़ेद), काला बारिक (काला), लाल बारिक (लाल) और बादामी (भूरा).’

कारोबार कैसा है
कारोबारी रहमान खान कहते हैं, ‘आजकल बच्चे अपने फोन से चिपके रहते हैं; उनके पास बाहरी गतिविधियों और खेलों के लिए मुश्किल से ही समय होता है. यही वजह है कि हमारा कारोबार 60% कम हो गया है.’ अब्दुल रहमान खान यहां सबसे पुरानी पतंग की दुकानों में से एक चलाते हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘अब सिर्फ टावर बनाए जा रहे हैं और उन पर पतंगों के उड़ाने की अनुमति नहीं है, साथ ही खुली जगहों की कमी होती जा रही है, जो इस बाजार में मंदी को बढ़ा रही है. कुछ वर्षों के बाद, हम संग्रहालयों में पतंगें देख सकते हैं… और बच्चे मोबाइल पर पतंग उड़ाएंगे.’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *