सुरंग में फंसी 41 जान, बचाने का बना नया प्लान; हैदराबाद से आया प्लाज्मा कटर, छेनी-हथौड़ी के साथ सेना भी तैयार

उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 14 दिन से फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए एक नई प्लाज्मा कटर मशीन उत्तरकाशी पहुंच गई है. दरअसल यहां जारी बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन के हिस्से टूटकर मलबे में फंस गए थे. ऐसे में बचाव कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना जरूरी है, जिसके लिए हैदराबाद से इस प्लाज्मा कटर मशीन को हवाई मार्ग से मंगाया गया है. अगर शाम तक इन कटर्स के द्वारा अमेरिकन ऑगर मशीन को निकाल लिया जाता है तो अगले 12-14 घंटे में बचाव मार्ग बनाने का काम पूरा हो सकता है.

उधर दूसरी तरफ मजदूरों को बाहर निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए मलबे में हाथ से ड्रिलिंग के जरिये पाइप डालने होंगे. भारतीय सेना की ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ के समूह ‘मद्रास सैपर्स’ की एक इकाई बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को घटनास्थल पहुंची. इस इकाई में शामिल 20 जवान, स्थानीय लोगों की मदद से सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए आगे का रास्ता बनाएंगे. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यहां हाथों और हथौड़ी-छेनी जैसे औजारों के जरिये रास्ता खोदने के बाद मिट्टी निकाली जाएगी और फिर ऑगर मशीन के ही प्लेटफार्म से पाइप को आगे धकेला जाएगा.

बता दें कि सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में ‘ड्रिल’ करने में इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन के ब्लेड शुक्रवार रात मलबे में फंस गए थे, जिसके बाद अधिकारियों को अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ा, जिससे बचाव कार्य में कई दिन या कई सप्ताह और लगने की संभावना है.

बहु-एजेंसियों के बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया – मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’. हालांकि इस वर्टिकल ड्रिलिंग के विकल्प पर अमल की संभावना बिल्कुल न के बराबर है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस समय सुरंग के अंदर सभी 41 लोग आराम से हैं. उन्हें खाना-पानी जैसे सभी जरूरी सामान मुहैया कराए जा रहे हैं. ऐसे में अगर वर्टिकल ड्रिलिंग की जाती है तो आशंका है कि सुरंग के ऊपर बने प्रेशर और मलबे की वजह से उनकी पाइप टूट सकती है. इसलिए वर्टिकल ड्रिलिंग का सामान तो ऊपर पहुंचा दिया गया है, लेकिन ये होगा नहीं.

चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे इसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं. श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *