शशि सैनी- चेतराम सैनी गुट सामने लड़ते हैं भीतर खाने बिजनेस पार्टनर, मिलकर करते खेल
– ये दोनो धड़े चुनाव में पहले एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आते हैं उसके बाद तीन साल तक आपस में बैठकर समाज की ठेकेदारी लेकर अपने आर्थिक एजेंडों को राजनीति के प्लेटफार्म पर पूरा करते हैं। इनका एकमात्र लक्ष्य समाज को गुटों में बांटना है ताकि अपने मंसूबों को पूरा किया जा सके।
रणघोष खास. रेवाड़ी
शहर के सैनी समाज चुनाव को लेकर एक नई तस्वीर सामने आई है। समाज के एक तीसरे नए धड़े ने साक्ष्यों के साथ जो खुलासा किया है वह सीधे तौर पर चुनाव लड़ रहे प्रमुख दावेदारों एवं कुछ सदस्यों की मानसिकता व इरादों पर सवाल खड़े कर रहा है।
करीब 6 हजार वोट वाले सैनी समाज में इन दिनों कॉलोजियम सदस्यों को लेकर दो प्रमुख धड़े शशिभूषण सैनी व चेतराम सैनी गुट मैदान में उतर चुके हैं जो पिछले कुछ दिनों से चुनाव को लेकर सार्वजनिक तौर पर आपस में एक दूसरे पर अनियमिताओं एवं भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा चुके हैं। अब समाज की एक नई टीम सामने आई है जिसने दोनों धड़ों की कार्यप्रणाली को साक्ष्यों के साथ उजागर करते हुए समाज के लोगों से ऐसे कालेजियमें सदस्य चुनने की अपील की है कि वे किसी धड़े का प्रधान बनाने की बजाय समाज का प्रधान बनाए। मीडिया को जारी प्रेस नोट में इस नई टीम के सदस्य प्रीतम सैनी, दयाराम सैनी, हर्ष सैनी, प्रीतम, किशन सैनी, मनोज सैनी ने बताया कि समाज के साथ साइबर क्राइम की तरह ठगबाजी की जा रही है जो लच्छेदार बातों में फंसाकर लूटकर चले जाते हैं। 2016-2019 में चेतराम सैनी जब प्रधान थे उस समय शशि सैनी उनके मैनेजर व सलाहकार होते थे। दोनों की गिनती गहरे मित्रों में होती थी। उस समय हम प्रबंधन समिति सदस्य थे। उस समय चेतराम सैनी के गलत कार्यो के खिलाफ आवाज उठाई तो हमें मीटिंग बुलाना बंद कर दिया। हमने कानूनी लड़ाई लड़ी और चेतराम सैनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुईं। समाज ने पूरा साथ दिया। 2019 में चुनाव हुआ तो शशि सैनी चेतराम सैनी के खिलाफ हमारे समर्थन में आ गया। वायदा किया गया कि चुनाव जीतने के बाद चेतराम सैनी के समय में हुई अनियमिताओं की ऑडिट कर जांच कराई जाएगी। ऐसा कुछ नहीं किया। अंदरखाने सभी एक हो गए और कोई ऑडिट नहीं हुईं। यहां तक आपसी सांठगांठ कर चेतराम सैनी के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कोई पैरवी नहीं करके उसे खारिज करवा दिया। पूरा कार्यकाल भाईचारे में निकाल दिया। इस दौरान यह खुलासा भी हो गया कि 2019 में शशिभूषण सैनी को प्रधान बनने के लिए 22 वोट मिले थे उसमें चेतराम सैनी गुट ने प्रीतम सैनी को प्रधान उम्मीदवार बना दिया लेकिन अदंरखाने कालेजियम सदस्यों के वोट शशि सैनी गुट को दिलवा दिए थे। इस नई टीम का आरोप है कि दोनो धड़े बड़ी चतुराई से चुनाव के समय एक दूसरे के खिलाफ खड़े होने का नाटक रचते हैं उसके बाद मंसूबे पूरे होते ही एक हो जाते हैं। समाज का राजनीतिक तौर पर फायदा उठाकर अपने निजी एजेंडों को पूरा करते हैं। इसलिए चुनाव लड़ रहे आधे उम्मीदवार ऐसे भी है जिनका आर्थिक पक्ष लक्की ड्रा की तरह चुनाव में बदल जाता है। इस चुनाव में ऐसा ही खेल रच दिया गया है जिसके प्रमाण इस तरह है
इस बार वार्डबंदी चतुराई से कर दी गई कि कोई नया उम्मीदवार जल्दी से जीत नहीं पाए इसलिए पति-पत्नी को भी अलग अलग वार्ड में डाल दिया
- एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे कुछ प्रमुख दावेदार गांव बीकानेर जमीन की प्रोपर्टी डीलिंग में बिजनेस पार्टनर भी है
- खुद चेतराम सैनी का आरोप है कि विरोधी धड़ा दिन में खिलाफ बोलता है रात को काम कराने के लिए उनके घर आता है
- कुछऐसे कॉलेजियम सदस्यों को मैदान में उतारा जाता है जो एक दिन मजदूरी ना करें तो रोटी के लाले पड़ जाए। ऐसे सदस्य डमी होते हैं जो आगे चलकर बिना पढ़े किसी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दें। इस सदस्य को जीताने में धड़े झुंड में अभियान चलाते हैं
- इस चुनाव में प्रमुख दावेदारों के खिलाफ दोनों धड़ों ने रणनीति के तहत उम्मीदवार नहीं उतारना सबकुछ साबित करता है
- चेतराम सैनी के खिलाफ शशि सैनी गुट ने कमजोर उम्मीदवार उतारा तो हमें मैदान में उतरना पड़ा
- चेतराम गुट ने शशि सैनी के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा, मतलब सांठगांठ साबित हो रही है।
- शशिसैनी गुट के जगदीश सैनी के खिलाफ चेतराम सैनी ने क्या सोचकर उम्मीदवार नहीं उतारा यह बताया जाए।
- शशि सैनी गुट के पूर्व प्रधान रोशनलाल सैनी के खिलाफ चेतराम सैनी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा
- शशि सैनी गुट के हरि सिंह सैनी के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा
प्रधान चुनते समय समाज सिखाएगा सबक
इस नई टीम का कहना है कि मीडिया के माध्यम से एक दूसरे का आरोप का नाटक करके इन दोनों धड़ों ने समाज की छवि को बहुत नुकसान पहुंचाया है। कायदे से उन्हें अपनी बात समाज में बैठकर करनी चाहिए थी। इन्हें चुनाव में ही एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आते हैं उसके बाद तीन साल तक आपस में बैठकर समाज की ठेकेदारी लेकर अपने आर्थिक एजेंडों को राजनीति के प्लेटफार्म पर पूरा करते हैं। इनका एकमात्र लक्ष्य समाज को गुटों में बांटना है ताकि अपने मंसूबों को पूरा किया जा सके। इस बार प्रधान चुनते समय ऐसा हरगिज नहीं होगा। समाज इनके खेल को समझ चुका है।