अधिवक्ता ने जिला प्रशासन से की ऐसी परीक्षाओं पर अंकुश लगाने की मांग
शिक्षा सत्र 2020-21 के अंतिम व 2021-22 के प्रारंभ का समय शुरू होने साथ ही निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा अभिभावकोंं व विद्यार्थियों को बरगलाने का समय आ गया है। क्षेत्र के वभिन्न नामी शिक्षण संस्थान इस दिशा में जोर-शोर से जुटे हुए हैं। उनकी ओर से अपने विद्यालय के शक्षकों को गावों में भेजा जाता है वहीं इश्तीहार, बैनर, पोस्टर के माध्यम से बच्चों को लालच दिया जा रहा है। विद्यार्थियों की संख्या बढाने के लिए विद्यालय संचालक स्कॉलरशिप टेस्ट आयोजित कर रहे हैं। बहुत से संस्थानों की ओर से इस टेस्ट का नाम ब्रेन हंट सहित अन्य नाम दे रहे हैं। उनका मकसद अभिभावकों को बरगला कर विद्यार्थियों की संख्या बढाकर वर्षभर तक उनका खून चूसने का रहता है। स्कॉलरशिप टेस्ट के लिए लैपटॉप,टैब,रॉयल इंफिल्ड बाईक,स्कूटी सहित अन्य ईनाम घोषित किए जा रहे हैं। टेस्ट में हिस्सा लेने वाले विद्यार्थियों से रजिस्ट्रेशन फीस भी वसूली जा रही है।
ऐसे विद्यालयों में विद्यार्थियों का दाखिल होता है तो उनसे भारीभरकम फीस व मनचाहे रेट वाली प्राईवेट पब्लिशर वाली किताबें होती हैं तो अभिभावकों का दम निकालने वाली होती हैं।
दिलचस्प बात है कि आपका बच्चा इस टेस्ट मेें प्रथम स्थान हासिल करता है तो दाखिल उस विद्यालय में नहीं लेता है तो उसे यह ईनाम नहीं दिया जाता। जिससे ऐसे हौनहार विद्यार्थी की भावनाओं पर कुठाराघात होता है। इस बारे में अधिवक्ता विक्रम सिंह यादव ने बताया कि निजी स्कूल शिक्षा की दुकानें बन गई हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं। उनका मकसद केवल एक ही है विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या बढाई जाए ओर अभिभावकों को दोनों हाथों से लूटा जाए। उन्होंने जिला प्रशासन से इस प्रकार की प्रतियोगिता पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।