स्मृति शेष.. पंडित नरेंद्र शर्मा

बिना किसी को परेशान किए चुपचाप चले गए दुर्गा मंदिर के रखवाले पंडित नरेंद्र शर्मा


सभी को खुश देखकर खुद प्रसन्न रहना, जोश- मुस्कान के साथ हर किसी से मिलना, गुस्सा उनके स्वभाव में आने से डरता था। सुबह- शाम, दिन- रात शहर के बाराहजारी स्थित ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर के रखवाले 65 साल के पंडित नरेंद्र शर्मा बिना किसी को परेशान किए चुपचाप हमसे विदा ले गए। एक दिन बाद 11 मई को उनकी शादी की 36 वीं सालगिरह थी। इस खुशी के अवसर पर अचानक खलल नहीं पड़ जाए। इसलिए एक दिन पहले बीती रात सोते समय करवट  ली उसके बाद अपनी आंखों को हमेशा के लिए बंद कर लिया। पुत्र विवेक शर्मा  ने जैसे तैसे उन्हें नजदीक के अस्पताल में भर्ती भी कराया लेकिन तब तक वे जा चुके थे। पंडित नरेंद्र शर्मा आजाद शत्रु की तरह रहे। शायद ही कोई उनसे अपनी नाराजगी रखता हो। हर पल वर्तमान में जीने के सलीके ने पंडित नरेंद्र शर्मा को तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद मजबूती के साथ हर मोर्चे पर डटे पाया। वे किसी भी चुनौतियों को बड़े सहज भाव से लेते थे और सकारात्मक दृष्टिकोण से उसका समाधान तलाश लेते थे। इसलिए उनके चले जाने का गम असहनीय है । दुर्गा मंदिर में जब कदम पड़ेंगे उनकी कमी बैचेन करेगी लेकिन इस जिंदादिल इंसान को जिसने करीबी से देखा है उनके लिए वे हमेशा एक साया बनकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे। हमें नहीं भूलना चाहिए दुनिया में जो आया है उसे एक दिन जाना है। कुछ विरले होते हैं जो जाने के बाद भी हम सभी के जेहन में बसे रहते हैं। पंडित नरेंद्र शर्मा उसी में एक नाम है..  नमन।

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