उसे ड्राईंग से मोहब्बत थी, साइंस थमा दी, ऐसा करने वाले असली हत्यारे
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा के रेवाड़ी शहर में रेलवे लाइन पार कक्षा 11 वीं में नॉन मेडिकल के छात्र समीर ने अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी। वजह वह दो विषयों में फेल हो गया था। माता- पिता उसे इंजीनियर बनाना चाहते थे वह कुछ ओर बनना चाहता था। वह साईंस का छात्र था लेकिन ड्राईंग से उसे मोहब्बत थी। वह अपनी क्लास का गायक था। उसकी आवाज में मिठास थी लेकिन उसके हाथों में साइंस की मोटी किताबें थमा दी जाती थी। स्कूल के बाद वह गुनगुनाना चाहता था, चित्रकारी के रंगों में डूब जाना चाहता था लेकिन माता-पिता उसे ट्यूशन भेज देते थे। वह अंदर ही अंदर चिल्ला रहा था। मंगलवार जब रजल्ट जानने के लिए स्कूल गया तो दो विषयों में फेल मिला। घर पहुंचकर समीर किस मानसिकता से लड़ा होगा वह उसके माता-पिता ही बेहतर जानते हैं। वह अब कभी वापस नहीं लौटेगा। साइंस की मोटी किताबें, उसका बैग, साइकिल किसी से कुछ नहीं कहेगी। आखिर क्या हो गया है ऐसे माता- पिता, शिक्षक एवं स्कूलों को जो मासूम बच्चों को नंबरों की काली दुनिया में ले जाकर तड़फ तड़फ कर मारने के लिए मजबूर कर देते हैं। सही मायनों में ये शिक्षक व अभिभावक नहीं सबसे बड़े हत्यारे हैं जिनकी नजर में बच्चे एक प्रोडेक्ट है जिसे फैक्ट्री में तब्दील होते जा रहे स्कूलों में तैयार कर बाजार में पैकेज के नाम पर बेचा व खरीदा जाता है। जब जब देश में बच्चों के परीक्षा परिणाम आते हैं ऐसा लगता है कि किसी की मौत का फरमान आ रहा है। कम नंबर आने पर माता-पिता अपने बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कसाई मुर्गें को हलाल करते समय उसे इधर उधर तड़फाता है। शर्म से डूबकर मर जाना चाहिए ऐसे माता- पिता, शिक्षक एवं स्कूल संचालकों को जो सिर्फ बच्चों पर हर समय बेहतर नंबर लाने का नाजायज दबाव बनाए रखते हैं। इन हत्यारों से पूछा जाना चाहिए कि पूरे विश्व के तमाम क्षेत्रों में एक भी ऐसा सफल, महान पुरुष बता दीजिए जो केवल परीक्षाओं में शानदार नंबर लेकर महान व सफल हुआ हो। सही मायनों में समीर नहीं मरा शिक्षा की गरिमा, मर्यादा, संस्कार, सोच की हत्या हुई है जिसके गुनाहगार वे माता- पिता एवं शिक्षक है जो अपने स्वार्थ के लिए अपने बच्चों जीते जी मार रहे हैं। हमें माफ करना समीर…..।