2024: राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में उतरे ट्रंप, दाखिल किया पर्चा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए पर्चा दाखिल कर दिया है। ट्रंप ने खुद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के साथ ही चुनाव अभियान भी शुरू कर दिया है। ट्रंप ने मंगलवार रात को अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका को एक बार फिर से महान देश बनाने के लिए वह अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में उतर रहे हैं। ट्रंप ने फ्लोरिडा के एक प्राइवेट क्लब में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वह पूरी कोशिश करेंगे कि राष्ट्रपति जो बाइडेन अगला चुनाव ना जीत सकें। उन्होंने कहा कि उनका पूरा चुनाव प्रचार मुद्दों पर आधारित रहेगा और जब तक अमेरिका को महान देश बनाने का उनका लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता वह नहीं रुकेंगे।  76 साल के ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए सबसे पसंदीदा नेता रहे हैं और उन्होंने इस दौड़ में शामिल पार्टी के नेताओं को काफी पीछे छोड़ दिया था। ट्रंप ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में जीत हासिल कर दुनिया को चौंका दिया था। बताना होगा कि अमेरिका में हाल ही में हुए मध्यावधि चुनाव में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को कई जगहों पर हार का सामना करना पड़ा है। 

कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा

ट्रंप ने 2020 में राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद चुनाव नतीजों को मानने से इनकार कर दिया था और अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए उकसाया था। उसके बाद उनके हजारों समर्थक कैपिटल हिल में घुस गए थे और वहां बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और हिंसा की थी। लेकिन हार के बाद भी ट्रंप अपने समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए ट्रंप की आलोचना होती रही है। जो बाइडन को जीत का प्रमाण पत्र मिलने से पहले ट्रंप ने वाशिंगटन में एक रैली में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि ‘हम कभी हार नहीं मानेंगे।’ उन्होंने भीड़ को उकसाते हुए कहा था, ‘आप कमज़ोरी से अपना देश फिर हासिल नहीं कर सकते।’ ट्रंप ने भीड़ को कैपिटल बिल्डिंग की ओर कूच करने को कहा था। ट्रंप के भाषण के बाद उनके समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग में घुसने की कोशिश की थी और हिंसा हुई थी। इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी।अमेरिका में गृह युद्ध जैसे हालात बनने की खबरें पिछले महीने मीडिया में आई थीं। इसके पीछे दो वजहें थीं। पहली यह कि इस साल अगस्त में एफबीआई ने ट्रंप के मार-ए-लागो रिसॉर्ट पर छापा मारा था। यह रिसॉर्ट फ्लोरिडा के पाम बीच पर है। और दूसरी वजह यह कि जो बाइडन ने अपने एक भाषण में ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी को गणतंत्र की नींव के लिए ख़तरा बताया था। बता दें कि डोनल्ड ट्रंप अपने ग़ैर-जिम्मेदाराना बयानों और कुछ नीतियों की वजह से विवादों में रहे थे और उनकी ही पार्टी के लोगों ने उनका पुरज़ोर विरोध करना शुरू कर दिया था। रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं के एक धड़े का कहना था कि ट्रंप पार्टी की नीतियों और मूल्यों के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं, वे पार्टी को बांट रहे हैं और देश का ध्रुवीकरण कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद चुनाव में ट्रंप को अच्छा समर्थन मिला था। ट्रंप पर आरोप लगता है कि राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना की और खुद को दक्षिणपंथी नेता के रूप में पेश करते हुए अमेरिका फर्स्ट के राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया। उनके खिलाफ दो बार महाभियोग भी चलाया गया और ऐसा पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ हुआ। 

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