तेज हवाओं के बगैर पंजाब से दिल्ली कैसे पहुंचा प्रदूषण ?

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के वैज्ञानिकों ने एक शोध में दावा किया है कि सर्दियों के दौरान जब दिल्ली में प्रदूषण चरम पर होता है तब पंजाब में हवाओं की गति बेहद शांत रहती है। इससे प्रदूषण का साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर दिल्ली पहुंचना संभव नहीं। डिपार्टमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज एंड एग्रीकल्चर मेटरोलॉजी के शोधकर्ताओं- प्रभजोत कौर, सुखजीत कौर एवं संदीप सिंह संधू ने 2017-19 के बीच पंजाब में दस स्थानों पर हवा की गति का विश्लेषण किया।

यह विश्लेषण प्रत्येक वर्ष 01 अक्तूबर से लेकर 16 दिसंबर के बीच 77 दिनों का किया गया। शोध टीम की प्रमुख प्रभजोत कौर ने कहा कि हवा में प्रदूषण के दूर तक बहने की संभावना तभी रहती है जब हवा की गति पांच किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा हो। हवा की गति कम होने पर प्रदूषण कण मुश्किल से कुछ ही किलोमीटर तक जा सकते हैं। 

इस शोध में पाया गया है कि 2017 में 77 में से 58 दिन, 2018 में 42 दिन तथा 2019 में 44 दिन हवा की गति दो किलोमीटर प्रतिघंटा से कम थी। जबकि 2017 में 19 दिन, 2018 में 35 दिन तथा 2019 में 32 दिन हवा की गति दो किलोमीटर से ज्यादा लेकिन पांच किलोमीटर से कम थी। तीन सालों में सिर्फ एक दिन 7 नवंबर 2019 को हवा की गति 5.9 किलोमीटर प्रतिघंटा दर्ज की गई। लेकिन इस दिन हवाओं का रुख दक्षिण पूर्व-पूर्वीय थी। यानी हवाएं हरियाणा-दिल्ली की तरफ से पंजाब की ओर आ रही थी। 

अध्ययन में दावा किया है कि हवाओं के रुख से साफ है कि न तो पंजाब से न तो प्रदूषण बाहर निकल पा रहा था और न ही बाहर से पंजाब में आ पा रहा था। यह स्थिति एक बंद कमरे जैसी थी। दरअसल, अक्टूबर- नवंबर में तापमान घटने के कारण हवाओं का प्रवाह न्यूनतम हो जाता है, जिससे प्रदूषण कण हवा में लटके रहते हैं। यह वायुमंडल में एक ज्यादा ऊंचाई पर भी नहीं बढ़ पाते।

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