देश में कोरोना महामारी के बाद हुए लॉकडाउन और फिर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ानों पर लगाम के चलते विमानन उद्योग को बड़े घाटे का सामना करना पड़ा है। सरकार की तरफ से लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, इससे न सिर्फ विमानन कंपनियों बल्कि हवाई अड्डों को भी नुकसान का सामना करना पड़ा है। वहीं, बढ़ते हवाई ईंधन के दाम ने भी कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
घरेलू यातायात 10.8 करोड़ से घटकर तीन करोड़
लोकसभा में विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी की तरफ से बताया गया है कि अप्रैल से दिसंबर 2019 के मुकाबले 2010 के दौरान इन तीन तिमाहियों में घरेलू यातायात 10.8 करोड़ से घटकर तीन करोड़ हो गया, वहीं अंतरराष्ट्रीय यातायात सवा पांच करोड़ से घटकर 56 लाख के करीब पहुंच गया है। सरकार की तरफ से बताया गया है कि भारतीय विमानन कंपनियों का मौजूदा वित्तवर्ष की तीन तिमाहियों में घाटा 16000 करोड़ रुपये रहा है, वहीं इस दौरान हवाई अड्डों का वित्तीय घाटा तीन हजार करोड़ रुपए हो गया है।
सरकार ने चरणबद्ध तरीके से विमानन सेवाओं को शुरू तो किया, लेकिन इसमें किराये पर भी लगाम लगा कर रखा, जिसके चलते ये घाटा और बढ़ा है। सबसे ज्यादा नुकसान हवाई ईंधन बढ़ने के चलते कंपनियों को झेलना पड़ा। 25 मई 2020 को जो हवाई ईंधन 21.45 रुपए प्रति लीटर हुआ करता था, वो 1 फरवरी 2021 तक 151 फीसदी बढ़कर 53.80 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। हालांकि, इस बढ़े हुए ईंधन के दाम के बाद भी सरकार ने कंपनियों को न्यूनतम किराए में 10 फीसदी और अधिकतम किराए में 30 फीसदी की ही बढ़त का अधिकार दिया।
19 हजार उड़ानों से विदेश से यात्रियों को भारत लाया गया
सरकार की तरफ से दिए गए एक और प्रश्न के जवाब में बताया गया है कि मिशन वंदे भारत के तहत 2021 की फरवरी के आखिर तक करीब 19 हजार उड़ानों के जरिये विदेश से यात्रियों को भारत लाने का काम किया गया है। इसमें से 9 हजार से ज्यादा उड़ानें एयर इंडिया की रही हैं। वहीं, बाकी निजी क्षेत्र की तरफ से चलाई गईं। साथ ही देश में 27 देशों के साथ एयर बबल करार हुआ है, जिसके जरिए एक से दूसरे देशों में हवाई सेवाएं चलाई जा रही हैं।