मेडिकल शिक्षा का व्यवसायिकरण और बंधुआकरण कर रही सरकार : राजू मान

प्रदेश के होनहार बच्चों का डॉक्टर बनने का सपना सरकार खुद ध्वस्त करने पर जुटी है। यह बात किसान नेता राजू मान ने आज एमसी कॉलोनी में मेडिकल की नीट परीक्षा पास करने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सालाना फीस 53 हजार से बढ़ाकर सीधे 10 लाख रुपए करके हरियाणा सरकार ने मेडिकल शिक्षा का व्यवसायिकरण और बंधुआकरण कर दिया है। इससे साधारण परिवार के लिए अपने काबिल बच्चे को डॉक्टर बनाना नामुमकिन हो गया है।  उन्होंने कहा कि नई पालिसी के मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले बच्चों को पहले साल ही 9 लाख 20 हजार रुपए का कर्जदार बना दिया जाएगा जो अंतिम वर्ष तक 36 लाख 28 हजार होगा। सरकार द्वारा पढ़ाई पूरी होने पर 7 साल तक सरकारी मेडिकल कॉलेज या जनस्वास्थ्य विभाग संस्थान में नौकरी ना करने पर ये कर्ज का बोझ खुद छात्र द्वारा वहन करने का फैसला शिक्षा का बंधुआकरण नहीं तो क्या है।

इससे बच्चों पर कर्ज का तनाव होना लाजमी है और वे अपनी प्रतिभा से पूरा न्याय नहीं कर पाएंगे।  देशभर में नीट परीक्षा में 1337 रैंक पाने वाले छात्र अमन शर्मा ने कहा कि उसने 2 साल ये सोचकर कड़ी मेहनत की थी कि वो अच्छी रैंक लेकर हरियाणा के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर अपने माता पिता का सपना पूरा करेंगे परंतु प्रदेश सरकार की नई पालिसी से उन जैसे सैकड़ों बच्चों को भारी ठेस पहुंची है। छात्रों को दूसरे राज्य में दाखिला लेने की सिवाय कोई विकल्प सरकार ने नहीं छोड़ा है। नीट परीक्षा में देशभर में 9505 रैंक पाने वाले छात्र आदित्य सांगवान के अभिभावक अजय सांगवान ने कहा कि वो चाहते थे कि उनका बेटा हरियाणा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़े पर सरकार की नई पालिसी ने उनका ये सपना तोड़ दिया है।

मजबूरीवश उन्हें और रास्ता अपनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नई पालिसी में कोर्स पूरा होने के बाद सरकारी नौकरी की गारंटी तक नहीं दी गई है। इससे साफ है कि सरकार सिर्फ मेडिकल शिक्षा पाने वाले बच्चों को कर्ज के बोझ के नीचे दबाना चाहती है।  इस मौके पर मौजूद छात्रा निधि सांगवान, अभिभावक अनिता शर्मा और रिंकी ने कहा कि  सरकार की नई नीति लागू होने से मेडिकल फील्ड में नए आयाम स्थापित करना गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए महज एक सोच बनकर रह जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को ये पालिसी रद्द कर बढ़ाई गई फीस का फैसला अविलंब वापिस लेना चाहिए और छात्रों पर अपनी मनमर्जी थोपने से बाज आना चाहिए।

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