राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं
अपने माता-पिता के जीवन से जुड़ी संघर्ष की कहानियां
माता-पिता दोनों फैक्ट्री में काम करते हैं, मेरे शब्दों में वो ताकत नहीं जो उनके संघर्ष को लिख सके
मेरा नाम नेहा है और स्कूल में 10 वीं की छात्रा हूं। मेरी माता का नाम मुकेश देवी और पिता का नाम भूप सिंह है। मेरे माता-पिता ने अपने जीवन में बहुत से दुख झेले हें। पिताजी जब छोटे थे दादी उन्हें छोड़कर चली गईं। मेरी माता 8 वीं तक और पिता जी 12 वी तक स्कूल जा पाए। जब से हमने होश संभाला है उन्हें हमेशा काम करते हुए देखा है। मां का बचपन और अभी तक का सफर काफी संघर्षों से होकर गुजरा। वो हमें बताती है कि जब मै उनके गृभ में थी तब उन्हें संभालने वाला आस पास कोई नहीं था। कैसे एक एक दिन मां ने हमारी देखभाल में गुजारे यह शब्दों में नहीं बता सकती। मेरे माता-पिता परिवार को चलाने के लिए फैक्ट्री में काम करते हैँ। दिन रात मेहनत कर वे हमारी छोटी से छोटी चीजों का पूरा ध्यान रखते थे। बचपन में हमें उनकी मेहनत का अहसास नहीं होता था। धीरे- धीरे समझदार हुए तो जाना की मेहनत क्या होती है। वे हमें बेहतर से बेहतर पढ़ाई करने के लिए कहते थे। उनमें कसक थी। वे हालातों के चलते नहीं पढ़ पाए हमारे अंदर वो उम्मीद देखकर चल रहे हैँ। मेरे पास मेरे माता- पिता के सम्मान में लिखने के लिए शब्द नहीं हैं। वे हमारे जीवन में अनमोल है। मै नमन करती हूं मेरे विद्द्यालय को जिसने मुझे पढ़ाई के साथ साथ मेरे माता-पिता को बेहद करीब से जानने का अवसर प्रदान किया। उनके सपनों को मै पूरा कर पाऊ इसी उम्मीद के साथ मै मेहनत करती रहूंगी।