दलितों के एक ओर बड़े नेता : बाबू जगजीवन राम की जयंती पर विशेष

जगजीवन राम नेता नहीं जनता के नायक के तौर पर उभरे


रणघोष खास. भूप सिंह भारती


बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार के जिला भोजपुर के चाँदवा गाँव में हुआ था। इनके पिता शोभाराम राम इनकी माता का नाम श्रीमती बसन्ती देवी था। बचपन में प्यार से सब इन्हें बाबू कहते थे, आगे चलकर भी लोग इन्हें प्यार सम्मान से बाबू जी कहने लगे। बाबू जगजीवनराम पढ़ने के लिए कलकत्ता गए और वहां से इन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। सन 1935 में इंद्राणी देवी से इनका विवाह हुआ। इनके दो संताने पुत्र सुरेश कुमार और पुत्री मीरा कुमार है। इनकी पुत्री मीरा कुमार भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनी।

जगजीवनराम एक नेता ही नहीं, बल्कि वो जनता के नायक के रूप में उभरे। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की आजादी के लिए लड़ते हुए और शोषित समुदायों की आवाज को उठाने के लिये समर्पित कर दिया। खुद एक दलित नेता होने के नाते उन्होंने समाज सुधारक के रूप में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया। जब भारत की पहली अंतरिम सरकार बनी, उसमें बाबू जगजीवनराम मंत्रिमंडल के सबसे युवा मंत्री थे। बाबू जगजीवन राम ने भी भारतीय संविधान में निहित सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के महत्व पर काफी जोर दिया था। सामाजिक न्याय के नायक के तौर पर बाबू जगजीवन राम ने सन 1935 में ऑल इंडियन डिप्रेस्ड क्लास लीग की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। बाबू जगजीवन राम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख सदस्य थे, जहां उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन के चालीस साल से अधिक समय पार्टी के विभिन्न पदों पर काम करते हुए भारत के उपप्रधानमंत्री भी बने।

बाबू जगजीवनराम लगभग 50 सालों तक देश के केंद्रीय मंत्री मंडल में रहे। पहले नेहरू के मंत्रिमंडल में, फिर इंदिरा गांधी के और अंत में जनता सरकार में मंत्रिमंडल में रहे। इसप्रकार अपने लंबे राजनैतिक कॅरियर के दौरान उन्होंने श्रम, कृषि संचार रेलवे और रक्षा जैसे अनेक चुनौतीपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा संभाला और उन्होंने श्रम के रूप में मजदूरों की स्थिति में आवश्यक सुधार लाने के लिये और उनकी सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के लिए विशिष्ट कानून के प्रावधान किये। डॉ भीमराव अंबेडकर के बाद दूसरे नम्बर पर बाबू जगजीवन राम को दलितों के नेता के रूप में याद किया जाता है। वह स्वतंत्र भारत के उन गिने चुने नेताओं में से एक थे जिन्होंने राजनीति के साथ साथ दलित समाज को नई दिशा प्रदान की। उन्होंने हमेशा दलितों की आवाज उठाई और उनके हकों की तरफदारी की। पांच दशक तक सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे जगजीवन राम ने अपना सारा जीवन देश की सेवा और दलितों के उत्थान के लिए अर्पित कर दिया। जब ये कृषि मंत्री बने तो हरित क्रांति लाये, जब ये रक्षा मंत्री बने तो पाकिस्तान का नक्शा ही बदल कर रख दिया। पाकिस्तान का बंटवारा कर बंगला देश की नींव रखी। इस राजनेता के बारे में ईस्टर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जैकब ने कहा कि भारत को इनसे अच्छा रक्षा मंत्री कभी नहीं मिला। बाबू जगजीवनराम के नाम 50 साल तक देश की संसद में बैठने का रिकॉर्ड है। इस महान राजनीतिज्ञ का 6 जुलाई, 1986 में 78 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके जन्मदिन को समता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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