सीधी बात : पब्लिक एजुकेशन बोर्ड चुनाव ने बता दिया कुर्सी हासिल करना ही बेहतर शिक्षा है

– जिसने मर्यादा के लिए त्याग किया वहीं असली नायक

– टल सकता है चुनाव, बड़ा दिल दिखाए कॉलेजियम सदस्य


रणघोष खास. सुभाष चौधरी की रिपोर्ट


शहर की नामी शिक्षण संस्था पब्लिक एजुकेशन बोर्ड की नई टीम को लेकर उम्मीदवारों में जो छिना झपटी चल रही है। उसने साबित कर दिया कि किसी तरह कुर्सी हासिल हो जाए। यही शिक्षण संस्थानों में बेहतर शिक्षा का प्रमाण होगा। 11 अप्रैल को पीईबी की नई कार्यकारिणी को लेकर मतदान होगा।  किसी भी उम्मीदवार के पास कोई एजेंडा या विजन नहीं है जो यह बता सके कि वह इस मकसद से इन संस्थाओं को आगे बढ़ाने के लिए मैदान में उतरा है। कथनी- करनी का अंतर इतना जबरदस्त आ चुका है कि कॉलेजियम सदस्यों के बीच आपसी भरोसा कायम करने के लिए कसमें या जाति के कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। पीईबी के तहत आने वाले केएलपी कॉलेज, सतीश बीएड कॉलेज, आरडीएस गर्ल्स कॉलेज एवं सतीश पब्लिक स्कूल के इतिहास पर नजर डाले तो इनका अतीत हमेशा गौरवशाली रहा है। यहां से निकले हजारों- लाखों विद्यार्थी आज भी गर्व के साथ कहते हैं कि वे इन संस्थाओं में पढ़े हैँ। सबसे बड़ी बात  इन संस्थाओं में दाखिला को लेकर इतनी मारामारी  रहती थी कि बड़े से बड़े प्रभावशाली लोगों को हस्तक्षेप करना पड़ता था। अभी तक जितने भी चुनाव हुए लेकिन भाईचारा कभी इतना कमजोर नहीं हुआ जो इस बार टूटता- बिखरता नजर आ रहा है। इस संस्थाओं से जुड़े कुछ सदस्यों को इतनी मानसिक पीड़ा हुई कि उन्होंने समय से पहले चुनाव से खुद को अलग थलग कर लिया। इनका कहना है कि किसी को संस्थाओं की गरिमा एवं  शिक्षा ग्रहण कर रहे हजारों विद्यार्थियों के भविष्य की कोई परवाह नहीं है। पिछले चार सालों में चुनाव नहीं होने की स्थिति में कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए इसे राजनीति अखाड़ा बना लिया। इन संस्थाओं को सालों से सींचते आ रहे वरिष्ठ सदस्यों ने भी इस बार जिस समझदारी और समर्पित भाव से जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी। वे बैकफुट पर या इधर उधर उलझन की स्थिति में नजर आए।

 जिसने मर्यादा के लिए त्याग किया वहीं असली नायक

पीईबी के बाद चारों शिक्षण संस्थाओं की नई कार्यकारिणी का गठन होगा। जिस सदस्य ने मर्यादा के लिए त्याग वहीं असली नायक होगा। पदों को हासिल करने के लिए अलग अलग ढंग से अपनाए जाने वाले प्रचंड- कूटनीति- छल- कपट करने वाले बेशक चुनाव किसी तरह जीत जाए लेकिन वे इन संस्थाओं में आदर्श  स्थापित करने के लिए खुद से ही संघर्ष करते नजर आंएगे।

टल सकता है चुनाव, बड़ा दिल दिखाए कॉलेजियम सदस्य

पीईबी की नई कार्यकारिणी को लेकर 11 अप्रैल को मतदान होंगे। अभी भी अवसर है कि अलग अलग धड़ों में बंटे सदस्य साफ मन और इरादों से एक दूसरे का सम्मान करते हुए निर्विरोध टीम का गठन करें ताकि आगे चलकर एकजुटता के साथ इन संस्थाओं की प्रतिष्ठा पहले की तरह कायम रहे। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो आने वाले दिनों में स्थिति बजाय बेहतर होने के अलग अलग दिशा में भटकती हुई ज्यादा नजर आएगी।

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