जिला रेवाड़ी में शिक्षा से जुड़ी बड़ी खबर

चार दिन बाद निजी स्कूलों को याद आया की सरकार का फैसला सही था, बंद रहेंगे पहली से आठवीं तक के स्कूल


कोरोना वायरस के नाम पर जिसकी लाठी उसकी भैस वाला फार्मूला वैक्सीन से ज्यादा चल रहा है। मर वह रहा है जिसके पास ना भैस है और ना ही लाठी।


 हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन को चार दिन बाद समझ में आया कि हरियाणा सरकार का कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए कक्षा पहली से आठवीं तक के स्कूलों को बंद करने का निर्णय सही था। बुधवार शाम को एसोसिएशन ने मीटिंग कर सरकार के निर्णय पर अपनी सहमति की मोहर लगाईं। इससे पहले एसोसिएशन पूरी तरह से आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में आ चुकी थी। एसोसिएशन प्रधान रामपाल यादव ने कहा कि हमारा विरोध स्कूल बंद करने को लेकर नहीं था सरकार की जल्दबाजी पर था। उन्हें कम से कम स्कूलों को बंद करने से पहले निजी स्कूलों एसोसिएशन से बातचीत जरूरी करनी चाहिए था। हमने चंडीगढ़ शिक्षा मंत्री से मिलकर भी अपना विरोध जताया था। अब हम संतुष्ट है। इसलिए सरकार के इस निर्णय के साथ है। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार एवं निजी स्कूलों के बीच अगर परस्पर तालमेल नही होता है तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा असल में किसे उठाना पड़ता है। इस पर किसी ने गौर नहीं किया। क्या सरकार ने अभिभावकों ने उनकी राय जानी। जैसा उन्होंने इससे पहले भी कदम उठाया था। जिन अभिभावकों ने अपनी खून पसीने की कमाई से बच्चों की पुस्तकें एवं फीस जमा करा दी। क्या उस स्तर की शिक्षा उन्हें मिल पाएगी। जिन निजी स्कूलों ने पूरी तैयारी के साथ शिक्षकों की भर्ती की। सैकड़ों शिक्षक नौकरी बदलकर आए। उनका क्या होगा। क्या निजी स्कूल ऐसे हालात में एक बार फिर शिक्षक एवं कर्मचारियों का वेतन देने की हैसियत कायम कर पाएगा। कुल मिलाकर कोरोना वायरस के नाम पर जिसकी लाठी उसकी भैस वाला फार्मूला वैक्सीन से ज्यादा चल रहा है। मर वह रहा है जिसके पास ना भैस है और ना ही लाठी।

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