बाबा साहेब की स्मृति में हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन, बाबा के मिजाज को सलाम किया

विचार यश साहित्य समूह एवम शाक्यसिंह बुद्धीस्ट सोसायटी औरंगाबाद, महाराष्ट्र द्वारा संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की 130 वीं जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर गूगल मीट पर ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया7 जिसमें देश के कई राज्यो के साहित्यकारों ने डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन, संविधान निर्माण में योगदान और उनकी शिक्षाओं पर आधारित अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। कार्यक्रम में अमरावती की प्रसिद्ध कवियत्री पुष्पा ताई बोरकर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष विनोद अष्टुल ने की और अस्मिता मेश्राम और कविता काले ने संयुक्त रूप से मंच संचालन किया। हरियाणा से भूपसिंह भारती ने कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम शिक्षा के अग्रदूत महामना ज्योतिबा फुले पर अपनी रचनाजो दबे हुए थे भेदभाव के शोषण से, मुरझा गए थे गैर बराबरी के प्रदूषण से, ज्योतिबा फुले ने शिक्षा का देकर पानी खाद, प्रयास किया करने उनको आबाद।सुनाई फिर संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर पर अपनी रचनाएक ऐसे शख्स की कहानी, जिसने सदियों से प्यासे अछूत को, लड़कर पिलाया पीने का पानी। यह अनूठा शख्स कोई और नहीं, वो है….वंचितों के मसीहा, नारी के मुक्तिदाता, संविधान निर्माता, भारत भाग्य विधाता  डॉ भीमराव अंबेडकरसुनाकर खूब तालियां बटोरी। महाराष्ट्र की साहित्यिका और कार्यक्रम की आयोजिका अस्मिता प्रशांतपुष्पांजलिअपनी मराठी गजल मे,  “लेक भारताचामेबाबा तुझे किती मी उपकार आठवावे। नैनी तुझेच कायम हे रूप गोंदवावे।कहकर बाबासाहब के कार्य का उपकार मानती है। नागपुर से अरूण गोळे अपनी रचनाभीमारामदास ने जन्मी महू में एक संतान। वर्ण व्यवस्था में माहार अछूत थी पहचान। मातृछाया का पंच वर्ष में हुआं स्वर्गगमन। पिता रामदास ने संभाला बालक का बच्चपन। भीमारामदास की संतान थी वो प्रतिभावानकहकर बाबा साहेब  के गुणगौरव का बखान किया। अर्चना चव्हाण जी ने अपनी रचनाचौदह अप्रैल है हमारा ज्ञान दिवस। भीम प्रतिमा संपूर्ण बुद्धीवादी मानसप्रस्तुत की। महू, मध्यप्रदेश से मधु महूश्वरी अपनी कवितादलितों के मसीहा” “14अप्रैल 1891को जन्मे, भीमराव अंबेडकर, छुआछूत अस्पृश्यता असमानता से लड़ने आया एक मसीहारचना पढ़कर सुनाई। अविनाश गोंडाने ने अपनी रचना हे बाबा भीम तेरे अंदाज तेरे मिजाज को सलाम। जहां जहां पड़े तेरे कदम, उस जमी उस नगर को सलामसुनाई। गूगल मीट पर हुए कवि सम्मेलन में अर्चना चव्हाण नागपुर, रमेश बुरबुरे यवतमाळ, अरूण गोळे नागपुर, विद्या निसरगंध बिड, डाँ. निर्मला भामोदेअकोला, शालिनी ताई मांडवधरे अमरावती, सरिता सातारडे मध्यप्रदेश, पद्माताई घरडे अमरावती, सुजाताताई साळवे कल्याण, अमृता मनोहर अमरावती, प्रज्ञा मेश्राम नागपुर, सुषमा कलमकर नागपूर, ज्ञानेश्वर गायकवाड नांदेड, मधु माहेश्वरी असम, अविनाश गोंडाने अमरावती, कांचन मुन पुणे, प्रेमकवी सुरेश धोत्रे, रणजित पवार ओथुर, उमा लुकडे हडपसर, चित्तरंजन चौरे नागपुर, बाळकृष्ण अमृतकर, नरेश तांबे मुंबई, किशोरकुमार  बंसोड, सुनीता इंगळे मुर्तिजापुर, डाँ.सुनंदा जुलमे नागपुर ने रात ग्यारह बजे तक अपनी रचनाओं से डॉ भीमराव अंबेडकर की महिमा का गुणगान करते रहे।

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