बिहार चुनाव में हुई दुर्दशा पर बोले सिब्बल -‘कांग्रेस को अब विकल्प ही नहीं मानते लोग, आत्मनिरीक्षण की जरूरत’

बिहार की कमान जहां एक बार फिर से नीतीश कुमार के हाथ में आ गई है तो वहीं एक बार फिर से कांग्रेस का प्रदर्शन बिहार में काफी खराब रहा है, लेटर बम के जरिए कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़े करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी की कार्यशैलियों पर धावा बोला है। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत करते हुए सिब्बल ने कहा कि बिहार के चुनाव में जो हाल कांग्रेस का हुआ है, उसे देखकर मुझे लगता है कि पार्टी को अबआत्मनिरीक्षण की जरूरत है और मुझे आशा है कि पार्टी अब इस ओर जरूर सोचेगी क्योंकि ऐसा करना निहायत ही जरूरी है।

कपिल सिब्बल ने कहा कि देश के लोग अब कांग्रेस को विकल्प ही मानते हैं, केवल बिहार चुनाव की ही बात नहीं है, जहां-जहां पर भी उपचुनाव हुए हैं, वहां-वहां भी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, इससे पीछे कारण लोगों को अब पार्टी प्रभावी विकल्प के तौर पर नहीं नजर आती है, बिहार चुनाव में एनडीए का विकल्प राजद थी ना कि कांग्रेस पार्टी, हम उपचुनाव में सारी सीटें हार गए।
‘चुनाव में हार से पार्टी का काम नहीं रुकना चाहिए’ लोकसभा चुनाव में हमने गुजरात में एक भी सीट नहीं जीती, वहां के उपचुनाव में कांग्रेस के 3 प्रत्याशियों ने अपनी जमानत खो दी, पार्टी को यूपीके उपचुनावों में 2 प्रतिशत से कम वोट हासिल हुए हैं, ये सारी बातें ये साबित करती हैं कि पार्टी को आत्ममंथन की तत्काल प्रभाव से आवश्यकता है और मैं आशा करता हूं, पार्टी जल्द ही इससे उबरेगी, हालांकि सिब्बल ने ये भी कहा कि पार्टी नेतृत्व का मानना है कि चुनाव में हार से पार्टी का काम नहीं रुकना चाहिए, हम पहले भी जनता के लिए काम करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे।

हमें आत्मनिरीक्षण की जरूरत: सिब्बल

जब कपिल सिब्बल से पूछा गया कि कांग्रेस पार्टी पिछले 6 सालों से आत्ममंथन क्यों नहीं कर रही है, जिस पर सिब्बल ने ये कहकर सबको चौंका दिया कि ये संगठनात्मक रूप से पार्टी की गलती है और हम सभी जानते हैं कि गलती कहां हैं, पार्टी के पास सारे उत्तर हैं लेकिन अफसोस इस बात है कि कांग्रेस अभी भी अलर्ट नहीं हो पा रही हैं, ये चिंता का विषय है। ‘सच को स्वीकार करने के लिए कांग्रेस को बहादुर होना ही पड़ेगा’ क्या एक प्रभावी विकल्प नहीं होने के कारण कांग्रेस के लिए ये बहुत बुरी स्थिति है, इसका जवाब सीधा ना देते हुए सिब्बल ने कहा कि सच को स्वीकार करने के लिए कांग्रेस को अब बहादुर होना ही पड़ेगा और ये जितना जल्दी हो जाए उतना अच्छा है। मालूम हो कि बिहार चुनाव में कांग्रेस को मात्र 19 सीटें हासिल हुई हैं, जिसमें उसने 75 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि महागठबंधन में शामिल राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें उसे 75 सीटें हासिल हुई हैं। आपको बता दें कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें हासिल कर पूर्ण बहुमत प्राप्‍त किया है। ये हैं बिहार चुनाव के आंकड़े जबकि कांग्रेस, आरजेडी और वाम दलों का महागठबंधन बिहार की 243 सीटों में से 110 सीटें ही हासिल कर पाया है। वहीं, एनडीए की बात करें तो 74 सीटों पर भाजपा, 43 सीटों पर जेडीयू और 4-4 सीटों पर वीआईपी और हम ने जीत का परचम लहराया है। इनके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को पांच, चिराग पासवान की एलजेपी को 1 और बहुजन समाज पार्टी को भी एक सीट मिली है। बिहार विधानसभा की एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *