भाजपा ने कर दी 1000 से अधिक रैलियां, लेकिन 2 मई को आईं दीदी, योगी-शिवराज समेत किसी का नहीं चला जादू

पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में कोरोना के रिकॉर्ड तोड़ बढ़ते संक्रमण के बीच संपन्न हुए विधानसभा चुनाव का नतीजा आज यानी दो मई को खुलते ईवीएम के वोटों से तय होना शुरू हो गया है। दोपहर तीन बजे तक के आए रूझान के मुताबिक एक तरफ सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए 200 से ऊपर पहुंच गई है वहीं, बीजेपी डबल डिजिट में सिमट कर रह गई है। ताजा रूझान के मुताबिक 205 सीटें टीएमसी को मिलती दिखाई दे रही है वहीं, भाजपा के खाते में 85 सीटें जाती हुई दिखाई दे रही है। तमिलनाडु, केरल, पुड्डुचेरी, असम और पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे हॉट स्टेट पश्चिम बंगाल बना रहा। जहां टीएमसी और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रही। दो दशक से भी अधिक समय से भाजपा सत्ता की ताक में बैठी है लेकिन, इस बार भी अब तक के आए रूझान के मुताबिक पार्टी को निराशा हाथ लगती दिखाई दे रही है। इस विधानसभा के चुनाव अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, सीएम शिवराज सिंह चौहान, सीएम योगी आदित्यनाथ सरीखे कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और दिग्गज चेहरों के हजार से अधिक रैलियों के आयोजन के बावजूद भी कुछ खास जादू नहीं दिख पाया। पार्टी सत्ता पाने से चुकती हुई दिखाई दे रही है। हालांकि, पिछले विधानसभा के मुकाबले पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है।अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती बंगाल चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे और खुद को कोबरा कहा था। लेकिन, ये कोबरा भी कुछ खास असर नहीं दिखा पाएं। हालांकि, चक्रवर्ती को भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। लेकिन, उनपर चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी थी।बंगाल चुनाव से पहले भाजपा में बड़ी संख्या में टीएमसी के दिग्गज विधायक और नेता शामिल हुए। जिसके बाद ममता बनर्जी को लेकर भाजपा ने प्रचार करना शुरू कर दिया कि दो मई दीदी गईं। लेकिन, आज अब तक के आ रहे नतीजों से एक बार फिर से बंगाल में टीएमसी के नेतृत्व में ममता बनर्जी की सरकार बनती हुई दिखाई दे रही है।

कोरोना संक्रमण के बीच अपने अधिकांश रैलियों में पीएम मोदी और अमित शाह ने दो मई दीदी गई, अबकी बार दो सौ पार और दीदी… ओ दीदी जैसे नारों का इस्तेमाल किया। लेकिन, बंगाल की जनता ने फिर से टीएमसी पर ही भरोसा जताया है।हालांकि, चुनाव के अंतिम दौर में चुनाव आयोग ने रोड-शो, रैलियों पर शिकंजा कसा था, क्योंकि राज्य समेत देश में कोरोना के रिकॉर्ड मामले दर्ज हो रहे थे। ये आंकड़ा अभी भी बढ़ता जा रहा है। जिसके बाद पीएम मोदी समेत कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी आयोजित रैलियों को रद्द कर दिया था।

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