यूपी: विपक्ष से ज्यादा बीजेपी के नेता-मंत्री हालात और अनदेखी से परेशान

रणघोष खास. कुमार तथागत


उत्तर प्रदेश में कोरोना से उपजे हाहाकार, लाशों से पटी नदियों और अस्पतालों में बेड ऑक्सीजन के लिए हुई चीत्कार का नजारा दुनिया भर में देखा सुना गया। महामारी से व्याकुल प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास विपक्ष से ज्यादा खुद सत्तापक्ष के लोग गिड़गिड़ाए और इनमें सांसद, विधायक, पार्टी पदाधिकारी से लेकर राज्य व केंद्र के मंत्री तक हैं।

नोटिस को लेकर किरकिरी

अपनी ही सरकार में अनदेखी से बेजार होकर सूबे के बहराइच जिले के बीजेपी अध्यक्ष ने पार्टी दफ्तर के सामने नोटिस तक चिपका दिया कि कृपया प्रशासन-पुलिस संबंधी किसी काम के लिए संपर्क न करें क्योंकि हमारी कहीं नहीं सुनी जा रही। हालांकि घंटों इस नोटिस के लगे रहने के बाद बीजेपी जिला अध्यक्ष ने हटवा दिया और इसे किसी की शरारत बता दिया।

बीजेपी से दिया इस्तीफ़ा

शनिवार को राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के पूर्व प्रचारक, फतेहपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के विस्तारक रहे और वर्तमान में कानपुर बीजेपी के जिला मंत्री यज्ञेश जी ने पार्टी की गलत नीतियों से दुखी हो अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अयोध्या में बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता व नेता अमित मौर्य ने अपनी सुनवाई न होने का आरोप लगाते हुए ट्रेन के नीचे कट कर जान दे दी। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, सांसद मेनका गांधी, सांसद कौशल किशोर, प्रदेश सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक समेत दर्जनों विधायकों व नेताओं ने इस कोरोना संकट के दौर में मुख्यमंत्री तक अपनी बेबसी को लेकर गुहार लगायी है।

सता रहा डर

बीते हफ्ते ही सीतापुर जिले की अव्यवस्था पर बीजेपी विधायक राकेश राठौर ने व्यंग्य किया कि विधायकों की हैसियत क्या है, हम ज्यादा बोलेंगे तो देशद्रोह या राजद्रोह हम पर भी हो सकता है और जो कुछ चल रहा है सब अच्छा चल रहा है। इससे पहले गाजियाबाद के चर्चित विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने भी इसी तरह की पीड़ा व्यक्त की थी। बरेली के विधायक केसर सिंह गंगवार ने अपनी मौत से 2 दिन पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में उन्होंने अपने लिए मैक्स अस्पताल में बेड की व्यवस्था करने की मांग की थी। हालांकि मैक्स में उन्हें जगह नहीं मिल पाई, लेकिन बरेली प्रशासन ने उन्हें नोएडा के यथार्थ अस्पताल में एडमिट कराया था। विधायक केसर सिंह की कोरोना से मौत हो गयी थी। सांसद कौशल किशोर कई बार इसी कोरोना संकट के दौर में अपनी सरकार पर सवाल खड़े कर चुके हैं। कई विधायकों का कहना है कि कहीं कोई सुनवाई नहीं है और सवाल उठाने पर अलग-थलग पड़ जाने का डर है।

बेअसर रही है सत्तापक्ष की गुहार

मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सीएम को जिले में ऑक्सीजन की कमी के बारे में पत्र लिखा। उन्होंने सीएम को इस ओर ध्यान देने को कहा कि किस तरह ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पतालों में मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है और वे दम तोड़ रहे हैं। यूपी सरकार के कानून मंत्री और लखनऊ मध्य के विधायक बृजेश पाठक ने भी बीते दिनों सीएम योगी को पत्र लिखकर सरकारी मशीनरी की व्यवस्था पर सवाल उठाया था। मंत्री ने यह भी लिखा था कि प्रदेश के तमाम अफसर लोगों और जनप्रतिनिधियों के फोन नहीं उठाते हैं।

सरकार के दावों पर सवाल

मोहनलालगंज के बीजेपी सांसद कौशल किशोर भी लगातार इस अराजकता को लेकर मुखर हैं। सांसद ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि यूपी में पंचायत चुनाव टाल दिए जाएं, हालांकि उनके अनुरोध पर कुछ नहीं हुआ। बीजेपी विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने अपनी ही सरकार के दावों पर सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि अव्यवस्थाओं से बीजेपी सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है।

बीजेपी विधायक जवाहर लाल राजपूत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है तो लखीमपुर खीरी जिले में मोहम्मदी सीट से विधायक लोकेंद्र सिंह और कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी ने योगी को चिट्ठी लिखी है।

नेता नहीं, अफसर ही सब कुछ

बहराइच में जिला बीजेपी की ओर से दफ्तर पर लगाया गया नोटिस एक बानगी भर है तो फतेहपुर में जिला मंत्री का इस्तीफा इसका परिणाम है। प्रदेश के जिलों से लेकर राजधानी तक जनप्रतिनिधियों का रोना है कि अफसर उनकी सुनते नहीं और चलती केवल प्रशासनिक अधिकारियों की ही है।

विधायक के गंभीर आरोप

भदोही में बीजेपी जिला महामंत्री लाल बहादुर मौर्या की कोविड अस्पताल में कोरोना से मौत के मामले में बीजेपी विधायक दीनानाथ भास्कर के आरोपों ने काफी कुछ साफ कह दिया। आरोप लगाते हुए बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जांच की मांग की है। परिजनों का चिकित्सक पर आरोप है कि जिला महामंत्री के इलाज की मांग पर चिकित्सक ने कहा कि तुम्हारा इलाज डीएम-सीएमओ और मुख्यमंत्री करेंगे क्योंकि तुम बीजेपी के जिला महामंत्री हो।

पांच विधायक, तीन मंत्रियों की गई जान

उत्तर प्रदेश में अब तक कोरोना ने हजारों की तादाद में आमजनों को ही नहीं बल्कि विधायकों व मंत्रियों को भी निगल लिया है। प्रदेश में कोरोना से अब तक तीन मंत्रियों की मौत हो चुकी है तो पांच विधायकों का निधन हो चुका है। पांचों विधायक सत्तापक्ष के ही हैं।

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