बच्चों की कार्यशाला में बोले साहित्यकार डॉ ‘मानव’
रणघोष अपडेट. नारनौल
बच्चे के लिए हर विषय में होता है, क्योंकि जन्म के बाद बच्चा हर वस्तु और हर व्यक्ति को पहली बार ही देखता और जानता-समझता है। यह कहना है वरिष्ठ साहित्यकार और मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल (हरि) के चीफट्रस्टी डॉ रामनिवास ‘मानव’ का। ‘बाल-प्रहरी’ पत्रिका तथा उत्तराखंड बाल-साहित्य संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा कोरोना-काल में आयोजित 127वें ऑनलाइन कार्यक्रम ‘आत्मकथा-वाचन कार्यशाला’ में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि बच्चे बहुत जिज्ञासु होते हैं। अतः बाल-साहित्य के माध्यम से उन्हें नए-नए विषयों और विधाओं की जानकारी देना आवश्यक है, ताकि उनकी ज्ञान-वृद्धि हो सके। ‘बाल-प्रहरी’ और उत्तराखंड बाल-साहित्य संस्थान की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को साहित्यिक मंच उपलब्ध करवाने तथा बाल-प्रतिभाओं को विकसित करने में ये दोनों संस्थाएं महत्त्वपूर्ण कार्य कर रही हैैं।हरिद्वार की छात्रा दीक्षा पंत के कुशल संचालन तथा बागेश्वर के छात्र आयुष्मान जोशी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला के प्रारंभ में ‘बाल-प्रहरी’ पत्रिका के संपादक तथा उत्तराखंड बाल-साहित्य संस्थान के सचिव उदय किरौला ने कार्यक्रम की अवधारणा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत किया, वहीं उत्तराखंड शिक्षा विभाग, देहरादून के उपनिदेशक आकाश सारस्वत तथा अहमदाबाद (गुजरात) के वरिष्ठ बाल-साहित्यकार श्यामपलट पांडे ने कार्यशाला के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों ने इतनी तैयारी के साथ और सुंदर ढंग से प्रस्तुति दी है कि उसे देखकर आश्चर्य होता है। लगभग दो घंटों तक चली इस कार्यशाला में पौड़ी के श्रीमंत भट्ट ने पानी की, अहमदाबाद (गुजरात) की सुदिति पंत ने घड़ी की, रुद्रप्रयाग की अनन्या ने रोटी की, देहरादून के प्रखर बहुगुणा ने पेड़ की, बागेश्वर की शिवांगी जोशी ने कूड़ेदान की, अल्मोड़ा की देवरक्षिता नेगी ने सैनिटाइजर की, दतिया (मध्य प्रदेश) की सुविज्ञा शर्मा ने साबुन की, जम्मू (कश्मीर) के अभिषेक गुप्ता ने अखबार की, खटीमा की स्नेही सिंह ने समय की और बागेश्वर के आदित्य जोशी ने कोरोना की आत्मकथा प्रस्तुत की, जिसे एक अभिनव प्रयोग बताते हुए भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।