आशा वर्करों की बदहाली पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली ने देश भर की आशा कार्यकर्ताओं की बदहाल स्थिति पर एक याचिका पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव एवं राज्यों मुख्य सचिवों से जवाब तलब किया है। केंद्रीय श्रमिक संगठन एआईयूटी यूसी के राज्य प्रधान कामरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट ने बताया कि देश भर की आशा वर्कर कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर है। कॉविड महामारी के चलते उनको अपनी सुरक्षा दांव पर लगाकर काम करना पड़ रहा है। हरियाणा प्रदेश की आशा वर्कर को न्यूनतम वेतन देने की बात तो दूर उनको उनका घोषित मानदेय भी ठीक समय पर नहीं दिया जा रहा है। कॉविड महामारी मैं उन्हें सुरक्षा के न्यूनतम उपकरण भी उपलब्ध नहीं करवाए गए । सरकार ने एक्स ग्रेशिया की स्कीम को भी मंजूर नहीं किया है। प्रदेश की आशा कार्यकर्ता यूनियन इस संदर्भ में अपना विरोध प्रकट कर चुकी है। स्वास्थ्य मंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर चुकी है। परंतु सरकार बहरी एवं गूंगी बनी बैठी है। कामरेड सिंह ने कहा की न्यूनतम सुविधाओं से वंचित करना आशा कार्यकर्ताओं के अधिकारों का हनन है। इसलिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने केंद्र एवं प्रांत की सरकारों को नोटिस भेजकर तलब किया है। एआईयूटी यूसी एवं स्कीम वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पूरे जोर शोर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सम्मुख आशा कार्यकर्ताओं की समस्याओं को रखते हुए उनको  न्यायोचित अधिकार दिलाने के लिए पैरवी करेंगे और उम्मीद है आशा कार्यकर्ताओं के अधिकारों से वंचित करने वाले केंद्र एवं प्रांत सरकारों पर लगाम लगेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *