कोरोना ने अपनो को भी किया अपनों से दूर…

आखिर मिल ही गया रूह को मोक्ष


कोरोना से दम तोड़ने वाले 150 लोगों की अस्थियों को मिला गंगा की लहरों का सहारा


सामाजिक संस्था पंचनद ने उठाया बड़ा कदम

भरतीय विधिविधान से पूजन कर बीती शाम अस्थियां को लेकर हरिद्वार पहुंची संस्था

बुधवार  सुबह हरिद्वार पहुंच अस्थियां को विधिविधान से किया गंगा में प्रवाहित


 रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


कोरोना काल का दर्द  जिंदगी भर सताता रहेगा। एक दर्द इस बात का की कोरोना ने हमारे अपनों को लील लिया दूसरा यह कि हम अपनों को ससम्मान अंतिम विदाई भी नहीं दे सके। पंचनद सेवा समिति के जिला अध्यक्ष केशव चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय संस्क्रति के अनुसार रूह की मोक्ष के लिए परिजनों द्वारा अस्थियों को गंगा या दूसरे धार्मिक स्थलों पर विसर्जन किया जाता है। हिंदू रिवाज में अंतिम संस्कार भी परिजनों द्वारा किया जाता है। लेकिन कोरोना जैसी घातक बीमारी ने अपनों को अपनों से ही दूर कर दिया। एक तो अपने की मौत का दर्द ऊपर से दर्द जब और बढ़ गया जब कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शव परिजनों को नही मिल पाया। यहां तक भी देखने को मिला कि परिजन मौत के बाद अस्पताल में ही शव छोड़कर भी चले गए और कभी वापस नहीं लौटे। उन्होंने कहा कि नगर परिषद के सफाई कर्मचारियों ने उन परिजनों व पुत्रों का फर्ज निभाया जब कोरोना से हुई मौत के शव मुखाग्नि दी गई। लेकिन अधिकांश प्रियजनों की अस्थियां लेने कोई नहीं आया। कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अस्थियों को एकत्रित कर श्मशान घाट के लॉकर में तो जरूर रखवा दिया लेकिन उन्हें विसर्जन नहीं किया। ऐसी अस्थियों को आज भी अपनों का इंतजार है। मौत के बाद जब अपने दूर हो गए तो रेवाड़ी की सामाजिक संस्था पंचनद, व पंजाबी बिरादरी के लोग सामने आए। उन्होंने न केवल उन परिजनों के दर्द को समझा जो कोरोना काल में मरीजों को अस्पताल में लाने व ले जाने तथा शव को अस्पताल से श्मशान घाट तक छोड़ने के नाम पर एंबुलेंस वाले कई गुना अधिक राशि वसूल रहे थे। उस वक्त यह संस्था सामने आई उन्होंने न केवल समाज को एंबुलेंस निशुल्क भेंट की बल्कि रूह को मोक्ष दिलाने के लिए अपनों का फर्ज भी निभाया। श्मशान घाट में जिन अस्थियों का अपना कोई लेने नहीं आया उन अस्थियों को न केवल विधि-विधान से एकत्रित किया बल्कि आज सुबह हरिद्वार में हर की पैड़ी पर इन अस्थियों का विसर्जन भी भारतीय संस्क्रति के अनुसार कर दिया। इन अस्थियों को लेकर बीती सायं ही एंबुलेंस हरिद्वार के लिए रवाना हुई थी। सामाजिक संस्था का यह कदम काफी सराहनीय है। जब से कोरोना बीमारी की शुरुआत हुई है तभी से यह संस्था सामाजिक कार्यों में लगी हुई है। हरिद्वार के गंगा घाट पर जो अस्थियां विसर्जित की जा रही है यह हरियाणा के रेवाड़ी की हैं। रेवाड़ी-दिल्ली रोड स्थित स्वर्ग आश्रम से 31 अस्थि कलश पंचनद सेवा समिति एवं पंजाबी बिरादरी द्वारा गंगा में प्रवाहित की गई। इस अवसर पर प्रेमनाथ गेरा प्रधान पंजाब बिरादरी, किशन लाल मेहता, संजय चांदना, नंदलाल धींगड़ा, दीपक मेंदीरत्ता, पंडित दलीप शास्त्री, इंद्रजीत लुथरा व अंकित मान उपस्थित थे।

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