सांस्कृतिक अहीरवाल की बैठक स्थानीय यादव धर्मशाला में हुई जिसकी अध्यक्षता अमर सिंह जी भांकरी निवासी ने की ।बैठक में सांस्कृतिक अहीरवाल के निदेशक सत्यव्रत शास्त्री भी उपस्थित रहे सत्यव्रत शास्त्री ने कहा अहीरवाल में नारनौल का एक विशेष महत्व है यह वह स्थान है जहां से हमारे अधोपतन की कहानी की शुरुआत हुई। अट्ठारह सौ सत्तावन के आजादी के आंदोलन के अंतर्गत अंग्रेजों के साथ जो युद्ध हुआ उसमें इस इलाके के बहादुर जवानों ने अपना शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन किया जिस कारण से अंग्रेजों से बड़े अफसरों को मौत का मुंह देखना पड़ा ।जिनकी समाधिया आज भी उस मंजर को बयां कर रही हैं परंतु दुर्भाग्य हमारे 5000 से अधिक सैनिकों के बलिदान के बावजूद हम उस युद्ध को हार गए और उसके बाद विश्व प्रसिद्ध इस संस्कृति के बुरे दिन शुरू हुए ।अंग्रेज शासकों ने यहां के वीरता पूर्ण कहानियों को दबाना शुरू किया और इस सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने वफादार रियासतों में बांट दिया नाभा ,पटियाला, जींद, जयपुर ऐसे रियासतें थी जो अंग्रेजों के साथ थी और हारने के बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में इनको भेंट स्वरूप दे दिया ।उसके बाद इस पराक्रम की कहानी को किसी लेखक ने लिपि बद्ध नहीं किया और ना ही किसी कवि ने अपनी काव्य रचनाओं में स्थान दिया। दुर्भाग्य से आजादी के संग्राम में इस इलाके की जो आहुति थी उसे विस्मृत कर दिया गया ।धीरे धीरे यह इलाका सत्ता के दंश को सहन करता रहा और समय चक्र के कारण यह एक पिछड़ा इलाका कहलाने लगा आर्थिक सामाजिक राजनीतिक सभी प्रकार के विचार यहां दब गए और उपेक्षा के शिकार यहां के लोग केवल और केवल अपने पेट तक सीमित रहने लगे जिस कारण आभीर संस्कृति विस्मृति की ओर चली जा रही है ।सत्य व्रत शास्त्री ने कहा सांस्कृतिक अहीरवाल अपनी वर्तमान पीढ़ी और भावी पीढ़ी को इस समृद्ध विरासत से परिचय कराने के लिए काम कर रहा है इसका कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण नारनौल विकास खण्ड रखा गया है। प्रत्येक गांव में 11 सदस्यों का आजएक कार्य दल का गठन करके उनका प्रशिक्षण करवाया जाएगा और उनसे अपने गांव का 23 बिंदुओं के आधार पर व्यापक और प्रमाणिक इतिहास लिखा जाएगा। बैठक में राजकुमार जी यादव हाजीपुर,ओम प्रकाश यादव,जाखनी सावंत सिंह गोद, संग्राम सिंह सत्यवीर थानेदार मास्टर करतार सिंह,रणवीर शास्त्री रविंद्र खटोटी राजेश शास्त्री शीशपाल आदि लोग उपस्थित रहे