राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में देश के अल्पसंख्यक 100 प्रतिशत सुरक्षित हैं और यह विमर्श गलत है कि मौजूदा सरकार में अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा से संबंधित घटनाएं बढ़ गई हैं। पिछले सप्ताह आयोग के प्रमुख नियुक्त हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी लालपुरा ने यह भी कहा कि इस ‘गलत विमर्श को खत्म करने का प्रयास उनकी प्राथमिकता होगी कि अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ”हम उस समय अलीगढ़ में दंगों के बारे में सुनते थे जब भाजपा सरकार नहीं थी। हम दूसरी जगहों पर भी दंगों के बारे में सुना करते थे जहां भाजपा की सरकारें नहीं थीं। मैं संवैधानिक पद पर बैठा हूं और जब हम आंकड़ों को देखते हैं तो पता चलता है कि दंगे, हत्या और लिंचिंग (पीट-पीटकर मार डालने) की घटनाओं में कमी आई है। लालपुरा के मुताबिक, घटनाएं हुई हैं और हो रही हैं, इसीलिए इस आयोग की जरूरत है। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में अल्पसंख्यक पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ”अल्पसंख्यक 100 प्रतिशत सुरक्षित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह विमर्श गलत है कि मौजूदा सरकार में लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। लालपुरा ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब मध्य प्रदेश और देश के कुछ अन्य हिस्सों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की पिटाई की घटनाओं को लेकर विपक्ष ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। लालपुरा ने कहा, ”आयोग के अध्यक्ष के तौर पर मेरी जिम्मेदारी है कि अल्पसंख्यकों के हितों का ध्यान रखा जाए और कोई अन्याय नहीं हो। साथ ही, मुझे यह भी देखना होगा कि लोगों के बीच गलत विमर्श न पैदा हो। हम सभी भारतीय हैं और हमको मिलकर देश का विकास, लोगों की सुरक्षा और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। उनके मुताबिक, समाज का एक हिस्सा है जिसके बीच असुरक्षा का भाव है और ऐसे में जहां भी जरूरत होगी, वह मौके का दौरा करेंगे ताकि कोई नाइंसाफी नहीं हो। किसान आंदोलन को लेकर कुछ लोगों द्वारा सिख समुदाय को निशाना बनाने से जुड़े सवाल पर लालपुरा ने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि यह विषय उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जो लोग खालिस्तानी नारे लगाते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि यह न तो हमारे और न ही देश के हित में है। साथ ही, उन्होंने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य सरकारों ने कृषि से जुड़े उद्योग को विकसित नहीं किया और किसानों की उपज को बेचने के साधन नहीं बढ़ाये, जिस कारण केंद्र सरकार को इसमें दखल देना पड़ा। लालपुरा ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि जबरन या लालच देकर धर्मांतरण नहीं होना चाहिए।
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