कहाँ ग़ायब हैं तालिबान नेता अखुंदज़ादा और मुल्ला बरादर?

रणघोष अपडेट. काबुल से

तालिबान के दो बड़े नेताओं मुल्ला हबीतुल्ला अखुंदज़ादा और मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर के सार्वजनिक रूप से लंबे समय से नहीं देखे जाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यह रहस्य गहराता जा रहा है और तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। मुल्ला अखुंदज़ादा को काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के समय 15 अगस्त के बाद से ही नहीं देखा जा रहा है। यह सवाल पूछा जाने लगा था कि वे आखिर कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं। उनके स्वस्थ होने ही नहीं, जीवित होने की संभावना पर भी सवाल किए जा रहे थे। लेकिन पिछले दिनों सरकार का एलान होने के बाद तालिबान ने एक बयान जारी किया, जिसके बारे में कहा गया कि मुल्ला अखुंदज़ादा ने यह बयान दिया था। उस बयान में कहा गया था कि सरकार इसलामी शरीआ के मुताबिक काम करे।

कहाँ हैं मुल्ला बरादर?

लेकिन उस बयान के बाद भी मुल्ला अखुंदज़ादा देखे नहीं गए, लिहाज़ा पहले से चल रही आशंकाएं ख़त्म नहीं हुई हैं। इसी तरह मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर सरकार के एलान होने के पहले से ही सार्वजनिक तौर पर नहीं देखे गए हैं। उनके बारे में यह अफ़वाह उड़ी कि हक्क़ानी नेटवर्क के सिराजुद्दीन हक्क़ानी के लोगों से उनकी लड़ाई हुई, जिसमें उन पर हमला कर दिया गया और वे ज़ख़्मी हो गए।

हक्क़ानी नेटवर्क से झगड़ा?

दोहा और काबुल में तालिबान के  सूत्रों ने बीबीसी को बताया है कि बीते गुरुवार या शुक्रवार की रात को अर्ग में मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर और हक़्क़ानी नेटवर्क के एक मंत्री ख़लील उर रहमान के बीच बहस हुई थी। उनके समर्थकों में इस तीखी बहस के बाद हाथापाई हुई थी, जिसके बाद मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर नई तालिबान सरकार से नाराज़ होकर क़ंधार चले गए थे। जाते वक़्त मुल्ला बरादर ने सरकार को बताया कि उन्हें ऐसी सरकार नहीं चाहिए थी।

ऑडियो संदेश

लेकिन तालिबान ने इन तमाम बातों का खंडन किया है। बीबीसी के अनुसार, तालिबान के राजनीतिक दफ़्तर के प्रवक्ता डॉक्टर मोहम्मद नईम ने  मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर के ग़ायब होने को लेकर एक व्हाट्सऐप ऑडियो संदेश जारी किया।

इस ऑडियो संदेश में मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर ने कहा, कई दिनों से सोशल मीडिया पर ये ख़बरें फैल रही हैं। मैं इन्हीं दिनों में सफ़र में था और कहीं गया हुआ था। अलहम्दुलिल्लाह.. मैं और हमारे तमाम ठीक हैं। अक़्सर अधिकतर मीडिया हमारे ख़िलाफ़ ऐसे ही शर्मनाक झूठ बोलती है। इससे पहले 12 सितंबर को मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर के एक प्रवक्ता मूसा कलीम की ओर से एक पत्र जारी हुआ था जिसमें कहा गया था, ”जैसे कि व्हाट्सऐप और फ़ेसबुक पर ये अफ़वाह चल रही थी कि अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति भवन में तालिबान के दो गिरोहों के बीच गोलीबारी में मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर बुरी तरह ज़ख़्मी हुए और फिर इसके कारण उनकी मौत हो गई। ये सब झूठ है।”

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