गुजरात में बदलाव के बाद मध्य प्रदेश के सीएम पर चर्चा तेज़?

रणघोष खास. संजीव श्रीवास्तव 

कर्नाटक, उत्तराखंड और गुजरात के बाद क्या अब बीजेपी आलाकमान की नज़र मध्य प्रदेश पर है? पिछले छह महीने में चार राज्यों के पाँच मुख्यमंत्री को बदला गया है और गुजरात के मुख्यमंत्री को तो रातो-रात अप्रत्याशित ढंग से बदल दिया गया। इसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या अगली बारी अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की होगी? दरअसल, मध्य प्रदेश के राजनीतिक हलकों में काफ़ी समय से सुगबुगाहट बनी हुई है कि शिवराज बदले जायेंगे? मुख्यमंत्री पद की चाह रखने वाले काफ़ी वक़्त से सक्रिय हैं। भोपाल से लेकर दिल्ली तक डिनर डिप्लोमैसी भी हुई है। काफ़ी कुछ कयास लगाए जाते रहे हैं। लेकिन गुजरात में जो शनिवार और रविवार को हुआ उससे मध्य प्रदेश के बारे में एक बार फिर से उस कयास पर चर्चा तेज़ हो गई है। शिवराज को बदलने की चर्चा आने पर सवाल यही उठता रहा है कि विकल्प कौन होगा?बीजेपी नेतृत्व ने गुजरात में चुनावी साल के ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलकर बतला और जतला दिया है कि व्यक्ति सबकुछ नहीं, पार्टी सबकुछ है। पहली बार के विधायक भूपेन्द्र पटेल विधायक दल की बैठक में सबसे पीछे वाली कुर्सी पर खामोश बैठे थे। निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा (कह सकते हैं कि आलाकमान की स्क्रिप्ट को पढ़ा) तो स्वयं भूपेन्द्र पटेल भी भौंचक्के रह गये।भूपेन्द्र पटेल का नाम दूर-दूर तक मुख्यमंत्री पद से जुड़ी कवायद और ख़बरों में कहीं नहीं था। विश्लेषक तमाम दूसरे नाम बता रहे थे। केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर वरिष्ठ नेताओं के नाम चल रहे थे। अंत में आलाकमान ने अपने पिटारे से भूपेन्द्र पटेल का नाम निकालकर सामने रखकर सभी को चौंका दिया।राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदले जाने को लेकर बीजेपी में जो कुछ भी पिछले साल-डेढ़ साल से चल रहा है, उस मशक्कत में मध्य प्रदेश का नाम भी बार-बार आ रहा है।असल में मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान की यह चौथी पारी है। उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद वह मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद से मुख्यमंत्री पद की तीन लगातार पारियाँ उन्होंने खेलीं।साल 2018 में बीजेपी मध्य प्रदेश का चुनाव हार गई। कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। ज्योतिरादित्य सिंधिया की बग़ावत के बाद न केवल बीजेपी की सरकार में वापसी हुई, बल्कि शिवराज सिंह को चौथी बार मुख्यमंत्री पद से पार्टी ने नवाज़ दिया।बेशक शिवराज मध्य प्रदेश में वह चेहरा रहे हैं जो पार्टी के लिये ‘लकी’ साबित होता रहा है। राज्य के साथ देश की राजनीति के जो हालात हैं उसमें इस चेहरे (शिवराज) की चमक और दमक भी फीकी पड़ती चली जा रही है।बड़ा सवाल यही है कि पार्टी आख़िर कब तक शिवराज को बनाकर रखेगी। जवाब है, बदलाव तय है। दूसरा सवाल यह है कि बदलाव आख़िर कब होगा? प्रेक्षकों का मानना है कि साल 2023 का विधानसभा चुनाव बीजेपी मध्य प्रदेश में किसी नये चेहरे पर लड़ेगी।

सिंधिया हो सकते हैं अगला चेहरा!

मध्य प्रदेश बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के दावेदार चेहरे कई हैं। यहाँ भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पसंद को तरजीह मिलने की संभावना बलवती है। लेकिन आरएसएस ऐंगल भर नहीं चलना है। साल 2023 में सत्ता में वापसी और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा जाना है।मध्य प्रदेश की भविष्य की राजनीति के तमाम चुनावी और राजनीतिक समीकरणों के बीच सबसे मुफीद नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का नज़र आ रहा है। सिंधिया ने बीजेपी को ज्वाइन करने के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह को तो ‘जापा’ ही है साथ में आरएसएस से पींगे बढ़ाने में भी वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सिंधिया जब भी भोपाल आते हैं उनके कार्यक्रमों में समिधा (आरएसएस मुख्यालय) जाना जरूर शामिल रहता है। वह संघ के नागपुर हेडक्वार्टर में ‘मत्था टेकने’ जाने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। साफ़ प्रतीत होता है कि सिंधिया अपने लक्ष्य (मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने) के सारे जतन करते रहे हैं और कर रहे हैं। सिंधिया के पक्ष में तमाम समीकरणों में बेहद अहम तथ्य उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया का बैकग्राउंड है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मज़बूती से लेकर पार्टी को खड़ा करने की उनकी भूमिका को न तो पार्टीजन नकार पाते हैं और न ही आरएसएस भूलता है।

उपचुनाव के बाद हो सकता है बदलाव!

मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा के अलावा तीन विधानसभा सीटों- पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव के लिये उपचुनाव निकट हैं। सत्ता और संगठन का पूरा ध्यान इसी पर केंद्रित है। विश्लेषक मानते हैं कि उपचुनाव तक मध्य प्रदेश में बदलाव होना मुमकिन नहीं है। उपचुनाव में नतीजे चाहे जो भी आयें, उसके बाद बदलाव तय मानिये – प्रेक्षक ऐसा दावा कर रहे हैं।

सीएम पद के दावेदारों में ये भी शुमार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा का नाम ख़ूब चलता रहा है। चर्चा यह भी बनी रही है कि समझौते के तौर पर अंतिम क्षणों में पार्टी आलाकमान केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी सीएम की कुर्सी थमा दे तो विस्मय ना कीजियेगा।तमाम चर्चाएँ अपनी जगह हैं, गुजरात में मोदी-शाह की जोड़ी ने भूपेन्द्र पटेल को सीएम बनाकर जो ‘राजनीतिक धमाका’ किया है, उससे सीएम शिवराज से लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर निगाह जमाये बैठा हरेक दावेदार सहम गया है!

2 thoughts on “गुजरात में बदलाव के बाद मध्य प्रदेश के सीएम पर चर्चा तेज़?

  1. Wow, wonderful blog structure! How long have you ever
    been blogging for? you make running a blog look easy.
    The whole look of your website is wonderful, let alone the
    content! You can see similar here sklep online

  2. Hi! Do you know if they make any plugins to assist with SEO?
    I’m trying to get my site to rank for some targeted keywords but I’m not seeing very
    good gains. If you know of any please share.
    Appreciate it! You can read similar art here: AA List

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *