पढ़िए गुगोढ़ राजकीय स्कूल की छात्रा शगुन की कहानी
– जिला स्तरीय गीता महोत्सव संवाद प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया
हम गरीब है यह सिर्फ मां जानती थी, 4 साल पहले छोड़कर चली गईं, पिताजी मजदूरी पर जाते हैं मै पढ़ाई के साथ घर भी संभालती हूं
रणघोष खास. शगुन की कलम से
मेरा नाम शगुन है। मेरे पिताजी का नाम सतपाल व माता का नाम ज्योति देवी है।मैं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुगोढ में दसवीं कक्षा की छात्रा हूं। हम दो भाई- बहन है। अक्सर सभी के जीवन में कोई ना कोई चुनौतियां रहती ही है। मेरे जीवन में भी विषम परिस्थितियां आई।गत चार वर्ष पूर्व मेरी मां ‘टीबी’ नामक बीमारी से ग्रस्त हो गई और काफी इलाज करवाने के बाद भी वह नहीं बच सकी। मेरी माता जी समय से पहले ही चल बसी। जिसके कारण मेरे उपर घर परिवार की सारी जिम्मेदारियां आन पड़ी ।पिताजी भी बहुत अकेले अकेले रहने लगे हैं।मैं अपनी मां को याद कर सिर्फ इतना ही कह सकती हूं कि हालात बुरे थे मगर अमीर बना कर रखती थी, हम गरीब थे यह सिर्फ मां जानती थी।किसी भी मुश्किल का अब किसी को कोई हल नहीं मिलता, शायद अब घर से कोई मां के पैर छूकर नहीं निकलता। दो वर्ष पूर्व जिला स्तरीय गीता महोत्सव संवाद प्रतियोगिता में मैंने रेवाड़ी जिले में तृतीय स्थान प्राप्त किया। गत मास मैंने “श्रीराम राष्ट्रीय काव्य पाठ प्रतियोगिता”में हिस्सा लिया और खंड स्तर पर तृतीय स्थान प्राप्त किया। मेरे पिताजी सुबह मजदूरी पर जाते हैं और रात के समय वापिस आते हैं। मैं अपने छोटे भाई को घर पर पढ़ाती हूं और पिताजी के लिए खाना बनाना, घर की साफ सफाई करना आदि जिम्मेदारियों को भी निभाती हूं। मुझे पढ़ने का शौक है। मैं आगे चलकर डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहती हूं।मेरे जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा मेरे पिताजी व गुरूजन है। मैं जीवन में इन्हें खुशी देने के लिए कड़ी मेहनत करूंगी। अंत में मैं दैनिक रण घोष समाचार-पत्र के संपादक का हार्दिक धन्यवाद करती हूं कि जिन्होंने मेरे संघर्ष की कहानी को अपने समाचार- पत्र में जगह दी।