रणघोष खास. प्रदीप नारायण
पद्मश्री अवार्ड मिलने पर उत्साह से लबालब बालीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को गंभीरता से लेना अब प्रत्येक भारतवासी की मजबूरी हो गई हैं। वजह जब सरकार उसकी कार्य शैली पर गर्व महसूस करते हुए उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान में से एक पद्मश्री से नवाज सकती है तो स्वाभाविक है उन पर शक करने की गुंजाइश स्वत: खत्म हो जाती है। इस सम्मान से पहले कंगना रनौत किस भूमिका में नजर आ रही थी। वह महत्वपूर्ण नहीं है। पदमश्री मिलने के 24 घंटे बाद देश की आजादी को भीख बताना किसी भी लिहाज से बर्दास्त की गरिमा को खंडित करना है। सीधे तौर पर पद्मश्री कंगना ने यह भी साबित कर दिया कि देश की आजादी की 75 वीं सालगिरह की खुशी में जो अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है क्या पीएम मोदी कंगना की नजर में भीख महोत्सव मनवा रहे है। मार्च 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने साबरमती आश्रम अहमदाबाद से अमृत महोत्सव की शुरूआत की थी जो दो साल तक पूरे देश में पूरे उत्सव के साथ मनाया जाएगा। कंगना रनौत के इस निर्ल्लज कथन पर मौजूद लोग खी-खी करके हंस रहे हैं। ये वही लोग हैं, जो सोशल मीडिया पर देशभक्ति और देशद्रोह का सर्टिफिकेट बांटते फिरते हैं। कमाल देखिए 12 वीं पास कंगना जिसने बालीवुड में अपने सपनों को साकार करने के लिए बिना बताए घर छोड़ दिया था। वह देश का इतिहास बता रही है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अनाप शनाप बोल रही है। कार्रवाई के नाम पर केंद्र सरकार ने ही उन्हें उच्च श्रेणी की सुरक्षा दी है और बीजेपी के कुछ नेता कंगना का समर्थन कर रहे हैं। अगर यह सही है तो कुछ दिन पहले पीएम मोदी और सीएम योगी 2 अक्टूबर को चरखा पकड़कर फोटो क्यों खिंचवाते हैं। क्या यह सीधे तौर पर राष्ट्रीय आंदोलन के गौरवशाली अतीत को खुरच-खुरच कर मिटाने की साजिश तो नहीं है। इसे नैतिकता की शून्यता नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे। क्या कंगना को सम्मान ही इसलिए मिला है कि वो ऐसे बयान देने में सक्षम हैं। क्या यह मान लिया जाए कि राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े जीवन मूल्यों, सिस्टम और संविधान के ख़िलाफ़ एक कैंपेन चल पड़ा है। जिस तरह कुछ खास तरह की बीमारियों में अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर के ख़िलाफ़ काम करने लगती है। वही हाल कंगना कर रही है। कुल मिलाकर यह लड़ाई मुश्किल है लेकिन यह लड़ाई कायरों के लिए नहीं है जो तमाशीन बनकर खुद को शर्मसार करते रहते हैं।