पढ़िए एक ऐसी महिला की कहानी जो सभी के लिए बनी आत्मर्निर बनने की प्रेरणा

घरों में धाक जमा रहे बाजरे से बने लडडू- मटर, शरीर में आयरन की कमी को खत्म करने की सबसे बड़ी खुराक


रणघोष  खास. ऊषा देवी की कलम से

मेरा नाम ऊषा देवी है मूलत: महेंद्रगढ़ जिला के गांव कांटी रामपुरा निवासी मामराज व माता मैना देवी की तीन संतानों में सबसे बड़ी हूं। हम दो बहनें एक भाई हैं। जब 8 वीं में थी मेरी शादी एक जुलाई 2002 को नजदीक के गांव भोजावास रमेश कुमार के साथ हुईं। शादी के बाद जिम्मेदारियों के चलते घर पर ही सिलाई कढ़ाई का कार्य भी करने लगी। पति प्राइवेट ट्रांसपोर्ट में नौकरी करते थे। 18 साल तक गृहस्थी की गाड़ी चलती गईं। संतान के रूप में दो बेटी एक बेटा है। मार्च 2020 में कोरोना-19 के कहर का असर हमारे कामकाज पर भी पड़ा। सिलाई- कढ़ाई के काम में वह ताकत नहीं थी जो परिवार की चुनौतियों का सामना कर पड़े। इसी दौरान दी महेंद्रगढ़ सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के तत्वावधान में दी लार्डकृष्णा एजुकेशनल फाउंडेशन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्कशाप का आयोजन किया। वहां जाने का अवसर मिला। बैंक महिलाओं को किसी भी व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत ही कम ब्याज दर पर लोन देता है। यहां से हमें उम्मीद की किरण नजर आईं। बैंक के महाप्रबंधक प्रंशात यादव लगातार महिलाओं को आगे बढ़कर कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते थे। मुझे लगा कि कुछ अलग से करना चाहिए। पहले घर में मटर बनाई ओर उसे गांव की दुकानों में सेंपल के तोर पर भेजा। रजल्ट अच्छा आया। डिमांड होने लगी लेकिन इतनी नहीं थी कि मेहनत जितना सम्मान मिल पाए। मटर कोई भी बना सकता था। एक बार केंद्रीय विवि महेंद्रगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से लगे शिविर में जाने का अवसर मिला। वहां मैडम पूनम ने मुझे बाजरा के लडडू बनाने के लिए प्रेरित किया। उधर फांउडेशन के अध्यक्ष रतीराम भी कुछ नया करने का हौसला बढ़ाते थे। उस समय मेरी इतनी गुंजाइश नहीं कि डिमांड के हिसाब से लडडू तैयार कर लूं। बहुत ही छोटे स्तर पर अपने घर के लिए लडडू बनाए। उसके बाद कई तरह के प्रयोग किए। लडडू में बाजरा के साथ थोड़ा बेसन, तिलहन, शुद्ध देसी घी, इलायची, बूरा का प्रयोग किया तो लडडू का स्वाद लाजवाब हो गया। केंद्रीय विवि महेंद्रगढ़ के प्रोफेसर की तरफ से  डिमांड आने लगी। देखते ही देखते मेरी पहचान बाजरे के लडडू एवं मटर से होती चली गईं। बैंक, नाबार्ड की तरफ से लगने वाली प्रदर्शनी में उसकी स्टाल लगती है। फाउंडेशन के सहयोग से रेवाड़ी में एक बड़ा स्टोर खुलने जा रहा है। जहां हमारे उत्पादों को रखा जाएगा।

 शरीर में आयरन की कमी को पूरा करता है यह लडडू

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बैंक के महाप्रबंधक प्रंशात यादव का कहना है कि बाजरे का लडडू एक तरह से इंसान की सबसे मजबूत खुराक है। बाजरा ऐसा अनाज है जो शरीर में आयरन की कमी को पूरी तरह खत्म कर देता है। पुराने समय में बाजरे की रोटी, खिचड़ी खाकर ही आम आदमी खेतीबाड़ी से लेकर सभी तरह के खेलों में अपना दमखम दिखा देता था। बाजरा में विटामिन बी और आयरन, जिंक, पोटैशियम, फॉसफोरस, मैग्नीशियम, कॉपर और मैंगनीज जैसे आहारीय खनिजों की उच्च मात्रा होती है। हमें उम्मीद है कि बाजरे के लडडू अब हर आयोजन का हिस्सा बन जाएंगे।

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