रेवाड़ी- धारूहेड़ा नगर निकाय चुनाव की तस्वीर बहुत कुछ राज खोलेगी…..नगर निकायों में दौड़ता रहा भ्रष्टाचार, कांग्रेस- भाजपा चुप रही, जब जनता करेगी सवाल

रणघोष खास. सुभाष चौधरी

  रेवाड़ी नगर परिषद और धारूहेड़ा नगर पालिका चुनाव का मैदान सजने लगा है। कई माह से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे उम्मीदवारों के लिए यह चुनाव 20-20 मैच की तरह है। पार्टी सिंबल से चुनाव लड़ने पर सीधा मुकाबला भाजपा- कांग्रेस के बीच रहेगा। इन दोनों दलों के प्रत्याशियों में एक बात कॉमन रहेगी कि उनकी सरकार नगर पालिकों में विकास के नाम पर जमकर होते रहे घोटालों को रोक पाने में नाकाम रही। इसलिए वे चुनाव में सबूतों के साथ यह दावा नहीं कर सकते कि उनकी सरकारों ने भ्रष्टाचार को खत्म करने में बड़े कदम उठाए।  दूसरा शहर को साफ सुथरा और व्यस्थित के दावे में भी हवा रहे। सबसे महत्वूपर्ण बाद इन छोटे चुनाव में राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों का असर ज्यादा नहीं रहेगा। उम्मीदवार के अपने दमदार तरीके से बात रखने और निजी व्यवहार से ही मतदाता अपने रूख को तय करेंगे। इस चुनाव की खास बात रहेगी कि इस बार महिला प्रत्याशियों की संख्या पहले से ज्यादा होगी।

 शपथ पत्र में कितना सही लिखेंगे प्रत्याशी, यह देखना होगा

 नामाकंन भरते समय प्रत्याशी को अपनी निजी संपत्ति एवं निजी जीवन से जुड़ा ब्यौरा उल्लेखित करना होता है। यह एक तरह से उम्मीदवार का वह प्रमाण पत्र है जिसके आधार पर वह जनता को बताता है कि वह समाज में सामाजिक और आर्थिक तौर पर क्या हैसियत रखता है। कहने को यह उम्मीदवारों की सत्यता का प्रत्यक्ष सबूत होता है लेकिन हकीकत में बहुत कुछ छिपा होता है जो इस कागज के पन्ने पर नजर नहीं आता। मसलन रूटीन दिनचर्या में उम्मीदवार शान शौकत से नजर आएंगे लेकिन नामाकंन में बेहद साधारण हो जाएंगे। यहां तक की कुछ प्रत्याशी खुद को कर्जदार भी बताएंगे जबकि उनकी लाइफ स्टाइल एकदम उल्टी नजर आएगी। राजनीति जानकार आज तक समझ नहीं पाए है कि जो प्रत्याशी कर्जदार है तो वह राजनीति में आकर कौनसी सेवा करना चाहता है। कुल मिलाकर प्रत्याशियों के स्वघोषित घोषणा पत्र में दिए जाने वाला विवरण जमीनी तौर पर यह बताने के लिए काफी रहेगा कि वे किस इरादे से चुनाव में उतरे हैं। क्या सच में समाजसेवा करने आए हैं  या कुछ ओर..      

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