मुआवजा नहीं देने का मामला केंद्र सरकार तक पहुंचा

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा उनकी संज्ञान में मामला आ गया, जल्द ही होगा समाधान


रणघोष अपडेट. गुरुग्राम

मास रैपिड ट्रांसपोर्ट  परियोजना के लिए अधिग्रहण की गई 7 कनाल 16 मरला जमीन का मुआवजा नहीं दिए जाने का मामला अब केंद्र सरकार के पास पहुंच गया है। गुरुग्राम शाम को एक प्रतिनिधिमंडल मंडल केंद्रीय श्रम एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से उनके आवास पर मिला। डीआरओ की तरफ से भेजे गए 15 रिमाइंडर व जानबूझकर मुआवजा वितरण में की जा रही देरी से अवगत कराया। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वे जल्द ही एचएसआईआईडीसी के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत कर किसानों को जल्द ही मुआवजा दिलवाएंगे। डॉ. टीसी राव

कर्नल महाबीर गोकलगढ़, यादराम सरपंच, वेद सिंह यादव रेवाड़ी, सतेंद्र कुमार खालियावास, महेश कुमार यादव ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि इस बारे में  जिला राजस्व अधिकारी एवं भूमि अधिग्रहण कलैक्टर रेवाड़ी अभी तक 14 बार एचएसआईडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर को पत्र लिख चुके है। किसानों के भारी रोष व विरोध के चलते 17 अगस्त को 15 वां रिमाइडर पत्र जारी किया गया है। डीआरओ कार्यालय का कहना है कि अभी तक जितने भी पत्र भेजे गए। एक का जवाब भी एचएसआईआईडीसी की तरफ से नहीं आया। भाजपा किसान प्रकोष्ठ भी इस मामले को उठा चुका है। मुआवजा को लेकर कोई विवाद, तकनीकी समस्या या कोई वजह नहीं है। बस जानबूझकर देरी की जा रही है ताकि किसान अधिकारियों की शर्तों को मानने के लिए मजबूर हो जाए। सीएम विंडो तक लग चुकी है उसका भी जवाब नहीं आया। इससे रेवाड़ी जिले में भाजपा की छवि को जबरदस्त नुकसान हो चुका है। उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत किसानों का मुआवजा ही महज 20 हजार से शुरू होकर डेढ़ लाख, दो लाख, तीन व चार लाख के आस पास है। पिछले एक साल से वे इस मुआवजा को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। यहां तक की रेवाड़ी का डीआरओ कार्यालय 15 बार मुआवजा को लेकर रिमाइंडर भे चुका है। साथ ही पत्र में यह लिख रहा है कि आए दिन किसान उनके कार्यालय में आकर मुआवजा नहीं मिलने पर अपना रोष जता रहे हैं। अगर मुआवजा को लेकर कोई समस्या है तो वह स्थिति स्पष्ट करें। मिलेगा या  नहीं मिलेगा वह बताए ताकि किसान अपने हक के लिए दूसरा रास्ता अपनाए।

 इन तारीखों को डीआरओ ने एचएसआईआईडीसी को भेजे पत्र

डीआरओ एचएसआईआईडीसी को भेजे 15 वें पत्र में बताया की इस परियोजना से संबंधित मुआवजा को लेकर पहला पत्र 8 सितंबर 2020 को शुरू किया गया था। उसके बाद 12 अक्टूबर 2020, 13 अक्टूबर 2020,6 नवंबर 2020, 16 नवंबर 2020, 7 दिसंबर 2020, 12 जनवरी 2021, 8 फरवरी 2021, 2 मार्च 2021, 6 अप्रैल 2021, 3 मई 2021, 20 जुलाई 2021, 16 सितंबर 2021, 1 दिसंबर 2021 जिसका पृष्टाकंन डिविजनल टाउन प्लानर एचएसआईडीसी(एमआरटीएस प्रोजेक्ट) आईएमटी बावल को किया गया है की निरंतरता के संदर्भ में।

 81 करोड़, 53 लाख 62 हजार की राशि को लेकर चल रहा संघर्ष

कुल मुआवजा 201, 53, 62, 130 रुपए अवार्डानुसार अधिग्रहित भूमि के लिए भुगतान हेतु उपलब्ध करवानी थी। परंतु एचएसआईडीसी द्वारा केवल  120 करोड़ रुपए की राशि ही उपलब्ध करवाई गई थी जो भूस्वामियों को वितरित की जा चुकी है। पत्र में साफ लिखा है कि भू स्वामी समय समय पर डीआरओ कार्यालय में आकर अपनी अधिग्रहित भूमि की मुआवजा राशि की मांग करते आ रहे हैं। बार बार लिखने के बावजूद एचएसआईडीसी की तरफ से ना कोई जवाब आया और ना ही कोई राशि आवंटित की गईं। शेष मुआवजा राशि 81 करोड़, 53 लाख, 62 हजार 130 रुपए बकाया है।

 कमाल की बात भाजपा किसान मोर्चा को कुछ नहीं मानते अधिकारी

इस मामले में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर के अधिकारियों ने भी मुआवजा को लेकर अपने शीर्ष नेताओं एवं अधिकारियों से बातचीत की लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया। कहने को यह मोर्चा किसानों के हितों एवं सुरक्षा को लेकर गठित किया हुआ है लेकिन सरकार में इनकी आवाज को भी कोई गंभीरता से नहीं लेता। खुद भाजपा पदाधिकारी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं।

 सीएम विंडो से लेकर भाजपा के मंत्रियों को सौंप चुके ज्ञापन

मुआवजा नहीं मिलने को लेकर किसान सीएम विंडो से लेकर राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल, केंद्रीय मंत्र राव इंद्रजीत सिंह से लेकर भाजपा के सीनियर नेताओं को भी ज्ञापन सौंप चुके हैं। भाजपा नेताओं ने भरोसा भी दिलाया की जल्द ही मुआवजा जारी हो जाएगा। सरकार के पास फंड की कोई कमी नहीं है। इसके बावजूद स्थिति ज्यो की त्यो है।

 कहीं यह मुआवजा के नाम पर कमीशनबाजी का खेल तो नहीं

मुआवजा एचएसआईडीसी की तरफ से जानबूझकर रोका जा रहा है। इसकी पुष्टि अब भाजपा नेता भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया की जब लिखित में सबकुछ हो चुका है। एचएसआईडीसी को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। रेवाड़ी जिले में तो मुआवजा के कम ज्यादा को लेकर कोई विवाद भी नहीं है। किसानों का भी कहना है कि दाल में बहुत कुछ काला है। अगर मुआवजा समय रहते नहीं मिला तो वे दूध का दूध पानी का पानी कर देंगे की मुआवजा किस कारणों से अभी तक रोका गया।

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