सुपर-100 को संचालित कर रही विकल्प संस्था

लानत  है ऐसी शिक्षा पर जो माता-पिता से बच्चों को मिलने से रोके


शर्म करिए ऐसे शिक्षा अधिकारी व पढ़ाने वाले शिक्षकों पर जो बच्चों के बेहतर भविष्य बनाने का पहले से ही टेंडर ले लेते हैं

तमाशीन शिक्षा अधिकारी- शिक्षकों की स्थिति उसी तरह बन चुकी है जिस तरह महाभारत में द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था और सभी गर्दन झुकाए बेहतर इंसान बनने का गर्व खो चुके थे।


रणघोष खास. एक अभिभावक की कलम से


रेवाड़ी शहर से सटे देवलावास में चल रहे विकल्प फाउंडेशन का यह विडियो देखिए। यहां प्रदेशभर से 100 ऐसे बच्चों को पढ़ाई कराई जाती है जो बेहद प्रतिभाशाली है और लिखित परीक्षा में टॉप पोजीशन लेकर आए हैं। इन बच्चों का सारा खर्चा राज्य सरकार वहन करती है। इन बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा विकल्प नाम की संस्था को मिला है जिनके संचालक नवीन मिश्रा खुद को शिक्षा के प्रति समर्पित, उच्च कोटि के विद्धान के तौर पर प्रस्तुत करते आ रहे हैं। ऐसा दावा शिक्षा विभाग के अधिकारी भी करते आ रहे हैं। लेकिन इस विडियो में इन बच्चों के माता-पिता का जो दर्द लावा की तरह निकला और नवीन मिश्रा ने पूरे दंभ के साथ बच्चों और उनके माता-पिता को चेतावनी दी। उससे साफ जाहिर हो रहा था कि यह शिक्षा संस्थान नहीं कोई गोदाम है जहां प्रोडेक्ट तैयार हो रहे हैं बेहतर इंसान नहीं। वह शिक्षा हरगिज नहीं हो सकती जिसमें माता-पिता और गुरु का सम्मान सड़क पर बिखरता नजर आए। यह सीधे तौर पर बाजारू शिक्षा हैं जहां आईआईटीएन, डॉक्टर्स, आईएएस जैसे सोशल स्टेटस प्रोफाइल में बच्चें को तब्दील करके उसे प्रोडक्ट बनाकर अलग अलग तरीकों से शिक्षा के बाजार में बेचा जाता है। इसकी चपेट में आकर हर साल सैकड़ों बच्चे डिप्रेशन में आकर आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। विकल्प संस्था में कुछ ऐसा ही नजर आया। नवीन मिश्रा भूल गए कि पढ़ाने के नाम पर उनका  बच्चों से रिश्ता दो तीन साल का रहा होगा लेकिन माता-पिता का अपने बच्चों के जन्म से लेकर मृत्यु और उसके बाद भी पीढ़ी दर पीढ़ी रहता है। ऐसे में मिश्रा का धमकी भरे लहजे में यह कहना जो बच्चे छोड़कर जा रहे हैं दो साल बाद पता चलेगा। मिश्रा से कोई पूछे दो साल बाद तुम कहां होंगे क्या वह बता सकते हैं । क्या पीएम नरेंद्र मोदी को अपने बचपन में आभास हो गया था कि वे देश के सबसे मजबूत पीएम बनेंगे। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्म को बचपन में सपना आ गया था कि वह देश की राष्ट्रपति बनेगी। ऐसे लाखों उदाहरण हमारे सामने दौड़ रहे हैं जिनके बारे में सोचा क्या था और वे क्या बनकर परिवार- समाज एवं राष्ट्र के सामने बेहतर उदाहरण बन गए।

Video Source:-HR NEWS CHANNEL

विडियो में देखिए प्रदेशभर से आए माता-पिता अपने बच्चों से मिलने के लिए आए हैं लेकिन संस्था के प्रबंधन और शिक्षा अधिकारी उन्हें मिलने से रोक रहे हैं। माता-पिता अपने बच्चे के उस स्थान पर पहुंचना चाहते हैं जहां वे सोते है, बैठते है और खाते पीते है। यह उनका हक है। बच्चों की तकलीफ, दर्द के वे बराबर सांझीदार है। वे तभी आए हैं जब बच्चों को परेशानी में देखा होगा। वे अपने बच्चे के रहन सहन को अपनी नजरों से संतुष्ट करना चाहते थे इसलिए आए।  इस संस्था में यह कैसी शिक्षा दी जा रही है जो माता- पिता को अपने बच्चों से मिलने से रोक रही है। ये कैसे गुरु है जो गुस्से में आकर चेतावनी देते हैं कि दो साल बाद पता चलेगा तुम्हारा भविष्य कहां है। यानि बच्चो का भविष्य किस दिशा में जाकर तय होगा यह ऐसे हठधर्मी, बाजारू एवं अपने ज्ञान पर धमंड करने वाले एवं खुद को महामंडित करने वाले तय करेंगे। कमाल है जब अभिभावक अपना दर्द बयां कर रहे थे उस समय जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षा विभाग के कर्मचारी खुद को असहाय महसूस कर रहे थे। दरअसल इनकी कोई गलती नहीं है ये वेतनभोगी शिक्षक है। इनके अंदर का इंसान उतना ही हिलोरे मारता है जितना इनकी नौकरी पर आंच तक नहीं आए। इन अधिकारियों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जिस तरह महाभारत में द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था उस समय भीष्म पितामाह, गुरु द्रोणाचार्य समेत अनेक महान योद्धा खुद को बेबस बताकर पश्चाताप कर रहे थे लेकिन वे भूल गए कि वे कायरता का बहुत बड़ा पाप कर चुके हैं। वह शिक्षा हरगिज नहीं हो सकती जो बेहतर इंसान होने का अहसास नहीं कराए। शिक्षा विभाग के अधिकारी, कर्मचारी एवं इन बच्चों को पढ़ाने वाले बेशक अपने पदों से इतराए लेकिन वे  बेहतर इंसान होने की शिक्षा देने में फेल साबित हो गए हैं। यह विडियो अपने आप में गवाह है।

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