डंके की चोट पर रणघोष ने लिखा वहीं साबित हुआ

तनिष्का की सफलता पर बाजार का हमला, एएलएलईएन- नारायणा- आकाश का दावा यह हमारे उपलब्धि


 क्या कोई बता सकता है कि एक ही तनिष्का एक ही समय में तीन या इससे ज्यादा इंस्टीटयूट, स्कूल में एक साथ पढ़ाई कर सकती है। यह हमारे देश में संभव है जहां बाजार की चकाचौंध में  मां कब मॉम ओर पिताजी पा बन गए।


डंके की चोट पर रणघोष ने लिखा वहीं साबित हुआ

रणघोष खास. प्रदीप नारायण

दैनिक रणघोष ने शुक्रवार को यह भविष्यवाणी कर दी थी कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा में देशभर में टॉपर रही हरियाणा, महेंद्रगढ़ जिला के गांव मिर्जापुर बाछौद की बेटी तनिष्का की सफलता पर कब्जा करने के लिए बाजार के रास्ते शिक्षण संस्थाएं हमला कर देगी। वहीं हुआ शनिवार को हरियाणा, राजस्थान,  बिहार समेत कुछ राज्यों में नारायणा एजुकेशनल इंस्टीटयूट ने दैनिक भास्कर में तनिष्का का फोटो लगाकर लाखों रुपए विज्ञापन पर खर्च कर दिए। दूसरी तरफ इसी दिन मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों में पत्रिका में एएलएलईएन एजुकेशनल इंस्टीटयूट ने पत्रिका में इसी होनहार छात्रा का फोटो लगाकर लाखों रुपर विज्ञापन पर खर्च कर यह साबित करना चाहा है कि यह बच्ची उनकी संस्था के प्रयासों की देन है। आकाश इंस्टीटयूट ने टाइम्स आफ इंडिया में तनिष्का की सफलता पर अपना दावा जताया है।  हो सकता है कि कुछ ओर कोचिंग सेंटरों ने भी तनिष्का की कड़ी मेहनत और माता- पिता के दिन रात के संघर्ष को बाजार में बोली लगाकर बेचने का टेंडर ले लिया हो। अभी तो स्कूलों का नंबर आना बाकी है। तनिष्का जिस जिस स्कूलों में पढ़ी हैं वे भी मौका लगते ही विज्ञापन के प्लेटफार्म पर शिक्षा की मर्यादा एवं मूल्यों चीरहरण करते नजर आएंगे। सोचिए अलग अलग अखबारों में अलग अलग इंस्टीटयूट एक ही बच्ची की उपलब्धि का श्रेय लेने के लिए किस हद तक जा रहे हैं। यह बाजार का खुबसूरत खेल हैं जिसकी गिरफ्त में भारतीय इसलिए आसानी से आ जाता है कि वह बहकता बहुत जल्दी है समझता कम है। इसलिए इस देश की लंबी गुलामी का राज भी यही है ओर इसका असर देश की आजादी के 75 साल बाद भी बाजार के रास्ते महसूस भी किया जा सकता है। गौर करिए जब भी किसी क्षेत्र में कोई बड़ी उपलब्धि सामने आती हैं अचानक उस पर झपटा मारने का खेल शुरू हो जाता है। खुद से मंथन करिए। एक तनिष्का की कामयाबी पर कितने दावेदार अचानक पैदा हो जाते हैं। क्या ये दावेदार उस सूची को भी जारी करेंगे जहां तनिष्का के साथ पढ़ने वाले सैकड़ों अन्य छात्र इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाए। क्या यह बता पाने की हिम्मत दिखा पाएंगे कि कुल कितने बच्चों ने इनके यहां कोचिंग ली और कितने सफल हुए। यह हरगिज नहीं भूलना चाहिए कि सच को सामने आने के लिए बाजार की जरूरत नहीं होती  वह स्वत: सार्वजनिक रहता है। यहां असलियत को छिपाने के लिए एक साथ कई चेहरों को एक साथ दिखा दिय जाता है ताकि देखने वाले का दिमाग काम करना बंद कर दें। क्या कोई बता सकता है कि एक ही तनिष्का एक ही समय में दो इंस्टीटयूट, स्कूल में एक साथ पढ़ाई कर सकती है। यह हमारे देश में संभव है जहां बाजार की चकाचौंध में  मां कब मॉम ओर पिताजी पा बन गए। अगर सच में अपने बच्चे का भविष्य बनाना और बचाना चाहते हैं तो उसे बाजारू शिक्षा से बचा लिजिए। यह आसान नहीं है लेकिन अंसभव भी नहीं। कोशिश तो करिए।

 

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