विडियो बनाने की बजाय नप में भ्रष्टाचार का लाइसेंस जारी कर दो, सब खुश, झंझट खत्म..

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


नगर परिषद पर पिछले कई दिनों से भ्रष्टाचार का ग्रहण लगा हुआ है। जिससे सभी दुखी है। कोई समाधान नजर नहीं आ रहा। नप में कदम रखते ही और बाहर निकलते ही भ्रष्टाचार के दाग कपड़ों के अंदर बाहर नजर आने शुरू हो जाते हैं। गुरुवार को भी ऐसा ही एक नजारा सामने  आया जब एक एक महिला पार्षद पति ने एनडीसी बनवाने के नाम पर कर्मचारियों के साथ मनमानी व गाली गलौच शुरू कर दी। हंगामा हुआ तो कर्मचारी एकजुट होकर चेयरपर्सन से मिले। आरोप लगाया कि पार्षद पति दीपक सैनी नियमों को ताक पर रखकर काम करवाते हैं। वे एनडीसी के नाम पर अपना खेल कर रहे हैं। अब इन कर्मचारियों को कोई समझाए कि चेयरपर्सन खुद राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों से दुखी है। यानि समझ में यह नहीं आ रहा कि नप में पाक साफ कौन है। कोई ना कोई भ्रष्टाचार के वायरस की चपेट में हैं। नगर पार्षद आरोप लगाते हैं कि अधिकारी कर्मचारी मिलकर लूट रहे हैं तो कर्मचारी खुलकर सामने आ गए हैं कि ये लोग दबाव बनाकर गलत काम करवाते हैं और उन्हें खराब करते हैं। यह तो स्पष्ट है कि सबकुछ मिल बांटकर चल रहा है। शोर तब मचता है जब भ्रष्टाचार की कमाई में किसी की नीयत इधर उधर हो जाए तो वहां ईमानदारी जन्म लेती है।  सरकार ने तो कार्रवाई के नाम पर ईओ व चेयरपर्सन से डीडी पावर छीनकर अपनी डयूटी पूरी कर दी लेकिन भ्रष्टाचार ने तो आने जाने के कई रास्ते बना रखे हैं। ऐसे हालातों में इसका सरल और इज्जतदार समाधान एक ही है कि नप में भ्रष्टाचार के नाम का लाइसेंस जारी कर दिया जाए। उसकी फीस तय हो जाएगी जिसमें 50 प्रतिशत या कुछ ज्यादा सरकार के खजाने में जमा  होगा, बाकि में  अधिकारी व कर्मचारी में बंट जाएगा। नतीजा काम में रफ्तार आएगी। लोग भी बार बार चक्कर काटने की बजाय एक ही झटके में ले देकर काम को पूरा करवा चैन की सांस लेंगे। कर्मचारी व अधिकारियों में भी काम करने का गजब का उत्साह देखने को मिलेगा। जहां तक पार्षदों एवं चेयरपर्सन का सवाल है। नप की मीटिंग में प्रस्ताव पारित किया जाए कि भ्रष्टाचार के लाइसेंस से जितनी भी कमाई होगी उसका वार्ड वाइज काम के हिसाब से पार्षदों को कुछ प्रतिशत मिलता रहेगा। मतलब किस वार्ड से कितने लोगों ने भ्रष्टाचार के लाइसेंस के माध्यम से काम करवाया उसी हिसाब से जो कमाई हुई उसका निर्धारित कमीशन पार्षद को मिलता रहेगा। इससे पार्षद भी अपने वार्ड के लोगों की समस्याओं का दूर करने के लिए तत्पर रहेंगे। भ्रष्टाचार के नाम पर चलते आ रहे कई तरह के नाटकों से भी निजात मिल जाएगी। सबसे बड़ी बात पार्षदों की मीटिंग में होता आ रहा हंगामा भी स्वत: खत्म हो जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *