खुद ही सरकार की पोल खोलती सीएम विंडो

बिना मुआवजा दिए जमीन की मालिक बनी एचएसआईआईडीसी ने कहा..


सरकार देगी किसानों को बता दिया जाएगा, भूमाफिया की तरह दिया जवाब


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

राज्य सरकार की एचएसआईआईडीसी द्वारा किसानों के प्रति अपना भरोसा खत्म करने का एक ओर सच सामने आया है। एक पीड़ित ने सीएम विंडो से एमआरटीएस परियोजना के लिए एचएसआईडीसी की तरफ से दो साल पहले अधिग्रहित की गई जमीन पर बने स्ट्रक्चर का मुआवजा नहीं देने की वजह पूछी तो अजीब सा जवाब मिला। अधिकारियों ने कहा सरकार तब पैसा देगी सूचित कर दिया जाएगा। इसके अलावा हमारे पास कोई जवाब नहीं है। गौर करने लायक बात यह है कि इसी महकमें के अधिकारी यह कहकर  अधिग्रहित की जमीन को सरकारी रिकार्ड में अपने महकमें के नाम दर्ज करा चुके हैं कि स्ट्रक्चर मुआवजा का अवार्ड हो चुका है जल्द ही राशि जारी हो जाएगी। एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद साफ जाहिर होता है कि किस तरह सरकार का यह महकमा जमीन अधिग्रहण के नाम पर भूमाफिया की तरह काम कर रहा हैं। जब मुआवजा को लेकर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। अपनी मर्जी एवं मापदंड से किसानों को मुआवजा राशि अवार्ड की गईं। उसके बावजूद राज्य सरकार की तरफ से इन अधिकारियों का यह गैर जिम्मेदाराना जवाब यह बताने के लिए काफी है कि त्वरित न्याय दिलाने के लिए बनाई गई सीएम विंडो व्यवस्था भी सरकार के इन अधिकारियों के लिए अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए सुविधाजनक  व्यवस्था है। ऐसे में सरकार की इस मामले में स्थिति बाड़ ही खेत को खाने वाली बनती जा रही है। इसी वजह से किसान बार बार सरकार को आगाह करने के लिए आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी दे रहे हैं।

सीएम विंडो पर एचएसआईआईडीसी ने पीड़ित से कहा कि पैसा सरकार को देना है जब आएगा बता दिया जाएगा। पीड़ित ने पूछा कि जमीन एचएसआईआईडीसी ने ली है। सरकारी रिकार्ड में वह मालिक बन चुकी है। वह सरकार का हिस्सा है। वह स्पष्ट करें कि किस वजह से राशि को रोका हुआ है। सीएम विंडो लगाने का मतलब क्या है। उनके महकमें ने जमीन अधिग्रहण करने के नाम पर मानसिक और आर्थिक तौर पर प्रताड़ित किया है। उनके साथ वहीं व्यवहार किया जा रहा है जो एक भूमाफिया अपने धन बल के साथ  करता है। अधिकारियों के पास कोई जवाब नही सूझ रहा था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार के अंदर बाहर ऐसा क्या चल रहा है जिसमें स्थिति को स्पष्ट नहीं किया जा रहा। किसान लगातार धरना प्रदर्शन के साथ साथ सभी नेताओं से मिल चुके हैं। इतना ही सरकार का जिला राजस्व विभाग 15 से ज्यादा बार पत्र लिखकर मुआवजा देने का अनुरोध कर चुका है लेकिन एक का भी जवाब नहीं मिला। यानि सबकुछ राम भरोसे एवं जिसकी लाठी उसकी भैस की  तर्ज पर चल रहा है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि एक तरफ मानेसर में किसान जमीन का कम मुआवजा को लेकर संघर्षरत है वहीं रेवाड़ी में स्थिति एकदम उलट है। यहां किसानों को सरकार की तरफ से अवार्ड किया गया मुआवजा ही नहीं मिल पा रहा है।

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