गंदगी हमारे सिस्टम में हैं धारूहेड़ा को मिले इस अवार्ड ने यह साबित कर दिया

 स्वच्छता में स्मार्ट सिटी बने धारूहेड़ा का असल सच सामने आना चाहिए


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

एक बात पूरी तरह से दिलों दिमाग से स्वीकार कर लिजिए मीडिया में छपना बहुत आसान है। प्रेस नोट भेजिए, पत्रकार को फोन किजिए। संबंध बनाकर रखिए अगले दिन हजारों लाखों लोगों तक आपका मकसद पूरा हो जाएगा। केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री ने नोर्थ जोन में फास्ट मूविंग सिटी के रूप में धारूहेड़ा नगरपालिका को स्वच्छ सिटी अवार्ड से नवाज दिया। यह अवार्ड कैसे मिल गया इसके सच को समझने के लिए किसी ने प्रयास नहीं किए। देने वाले और लेने वाले दोनों महान है। अगर सच में धारूहेड़ा इस सम्मान का हकदार है तो सम्मान लेकर लौटे अधिकारियों को चाहिए कि वे इस सम्मान को लेकर एक बार पैदल धारूहेड़ा कस्बे में घूम जाए। निकलना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर इसी तरह स्वच्छता के नाम पर सम्मान दिए जा रहे हैं तो फिर सरकार- सिस्टम एवं जिम्मेदार नेताओं की सोच से डरना चाहिए जिस पर आंख मूंद कर भरोसा किया जाता है। असल सच यह है कि धारूहेड़ा प्रदूषण एवं गंदगी से चारों तरफ घिर चुका है। ऐसी कोई जगह नहीं है जहां से नागरिक गर्व के साथ कह सके कि धारूहेड़ा का चेहरा सुंदर है।

 यह अवार्ड जनवरी 2022 की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया

यह अवार्ड 2022 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत धारूहेड़ा में आई टीम की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है। मिशन के कार्यकारी वाइस चेयरमैन सुभाष चंद्र अपनी टीम के साथ धारूहेड़ा पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने नपा अधिकारियों से स्वच्छता अभियान को सुचारू रूप से चलाए जाने पर विचार किया था। इस मिशन का उद्देश्य पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को स्वच्छता के साथ विकास की गति को आगे बढ़ाना था। मिशन के अधिकारियों का मानना था कि देश साफ रहेगा, बीमारियां फैलाने वाले मच्छर मक्खी कम पैदा होंगे तो लोग कम बीमार पड़ेंगे। बीमारियों पर देश का कम पैसा खर्च होगा। सफाई निरीक्षक रवि तंवर की ओर से सफाई अभियान के बारे में विस्तार से बताया गया। मिशन के अधिकारियों ने यह मीटिंग आमजन या मौके पर जाकर तैयार नहीं की बल्कि साफ सुधरे किसी आवास पर आयोजित कर रिपोर्ट बनाई थी।

 जनवरी में धारूहेड़ा स्वच्छ था तो अब हालात कैसे बिगड़ गए

जिस समय अधिकारियों ने यह रिपोर्ट बनाकर धारूहेड़ा को स्वच्छ सिटी का सम्मान दिलाया। वह जनवरी 2022 का समय था। उसके 8 माह बाद यह अवार्ड दिया गया है। इस दौरान अगर धारूहेड़ा चारों तरफ गंदे पानी एवं कचरों से घिरा हुआ है तो इसके जिम्मेदार लोग भी वहीं है जो कुछ दिन पहले यह अवार्ड लेकर आए हैं। ऐसा 8 माह में ऐसा क्या हो गया कि नपा के अधिकारी, पार्षद एवं चेयरमैन को स्वच्छता को लेकर पूरी तरह  से गैर जिम्मेदार हो गए। अगर यह बात गलत है तो जनवरी 2022 में बनी रिपोर्ट झूठा का पुलिंदा है जिसमें धारूहेड़ा की असल तस्वीर को छिपाया गया है।

 

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