केएलपी कॉलेज प्राचार्य- प्रधान सीट पर बने रहे तो नैतिकता- संस्कार का हक गंवा देंगे..

  – ऐसे में प्राचार्य एवं प्रबंधन समिति प्रधान का लंबे समय तक सीट पर बने रहना बहुत मुश्किल रहेगा क्योंकि बात सड़क पर बिखरकर दूर तक फैल चुकी है। अब अनुशासन एवं नैतिकता से प्राचार्य व प्रधान को गुजरना है ना कि विद्यार्थियों को। इसमें महसूस करने वाली बात भी नहीं होनी चाहिए। जिम्मेदार लोग हमेशा से ही इस तरह की कीमत चुकाते आ  रहे हैं।


रणघोष् खास. सुभाष चौधरी


शहर की नामी शिक्षण संस्थान केएलपी कॉलेज में जो कुछ हुआ। उस पर पर्दा डाल देना चाहिए। वजह से इससे प्राचार्य अभय सिंह यादव की कुर्सी बच जाएगी जिसके लिए वे घटना के प्रत्यक्ष गवाह होने के बावजूद शब्दों की जादूगरी से उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं जिन पर इस संस्थान की गरिमा- पवित्रता को बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। बेशक यह मामला कुछ दिन बाद शांत हो जाएगा लेकिन प्राचार्य अभय यादव एवं केएलपी कॉलेज प्रबंधन समिति के प्रधान अमित गुप्ता उस गर्व एवं स्वाभिमान के साथ विद्यार्थियों को नैतिकता- संस्कार का पाठ पढ़ाने व समझाने का अधिकार खो देंगे।

इस घटना से पहले तक प्राचार्य अभय यादव एवं प्रधान अमित गुप्ता कॉलेज में अनुशासन के नाम पर उन विद्यार्थियों की मानसिकता से लड़ रहे थे जिन्हें पार्क में मोबाइल पर घंटों बात करना, गप्पे मारना बेहतर भविष्य से अच्छा लगता था। वे इन बच्चों के माता-पिता को बुलाकर अलर्ट भी कर रहे थे। इससे उन विद्यार्थियों की तकलीफें भी बढ़ रही थी जिनके इरादों में शिक्षा से आगे बढ़ना नहीं था। साथ ही ऐसे होनहार विद्यार्थी भी इस अनुशासन की चपेट में रहे थे जिसकी सोच में शिक्षा ही उनका बेहतर भविष्य थी।  इस घटना के बाद सबकुछ बदल गया। अमित गुप्ता के भतीजे ने जिस अंदाज एवं तौर तरीके से कॉलेज में एंट्री कर इस संस्थान को कुछ समय के लिए अपनी विरासत समझ लिया ओर अपनी छात्रा दोस्त के साथ पार्किंग में ही गाड़ी लगाकर कॉलेज की मर्यादा को भंग किया। उस हिसाब से नैतिकता के आधार पर अमित गुप्ता के लिए इस सीट पर बने रहना आसान नहीं होगा। अमित गुप्ता की पहचान अभी तक बेहद ही जिम्मेदार, स्वाभिमानी और बेहतर प्रशासक के तोर पर बनती आ रही थी। इस घटना के बाद वे किस जिम्मेदारी व ताकत के साथ विद्यार्थियों का विश्वास जीतकर केएलपी कॉलेज को एक बेहतर दिशा की तरफ ले पाएंगे वह किसी सूरत में आसान नहीं है। वजह मसला चरित्र से जुड़ा हुआ है जो पल झपकते ही सबकुछ तहस नहस कर देता है। सैकड़ों विद्यार्थियों ने जिस तरह सड़कों पर आकर प्रदर्शन किया उनकी आवाज में ताकत थी। छात्राओं ने जो कुछ बोला वह गौर करने लायक है कि प्राचार्य एवं प्रबंधन किसी लड़के से बातचीत करने, मोबाइल से बतियाने को गलत मानता है। कॉलेज के विद्यार्थियों के वाहनों की कॉलेज के अंदर एंट्री बैन है। ऐसे में कॉलेज प्रधान का भतीजा जिस अंदाज में गाड़ी के साथ प्रवेश करता है और बाद में छात्रा दोस्त के साथ विवाद की वजह बनता है। वह सीधे तोर पर प्रबंधन की दोगली और मनचाही मानसिकता को साबित करता है। कुल मिलाकर यह एक ऐसा मसला है जो सीधे तोर पर प्रतिष्ठा और इमेज से जुड़ा है वह भी शिक्षा के मंदिर में। जहां उंगली दिखाना और बड़ों को आप की जगह तु बोलना ही संगीन अपराध माना जाता है। ऐसे में प्राचार्य एवं प्रबंधन समिति प्रधान का लंबे समय तक सीट पर बने रहना बहुत मुश्किल रहेगा क्योंकि बात सड़क पर बिखरकर दूर तक फैल चुकी है। अब अनुशासन एवं नैतिकता से प्राचार्य व प्रधान को गुजरना है ना कि विद्यार्थियों को। इसमें महसूस करने वाली बात भी नहीं होनी चाहिए। जिम्मेदार लोग हमेशा से ही इस तरह की कीमत चुकाते आ  रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *