रणघोष खास में पढ़ना ना भूले

 पढ़िए एक ऐसे अधिकारी की कहानी जो..


 हरियाणा में अफसरशाही के तौर तरीकों का असली चरित्र उजागर कर रही है 


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत अनिल कुमार के सर्विस की कहानी हरियाणा में अफसरशाही के तौर तरीकों का  असल चरित्र उजागर कर रही है। करीब 4 साल की सर्विस के दरम्यान इस अधिकारी के साथ बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसे पढ़कर ना केवल न्यापालिका हैरान है साथ ही सिस्टम के प्रति रहा सहा भरोसा भी खत्म हो रहा है। मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना झेल रहे अनिल कुमार का कहना है कि विभाग में उच्च पदों पर बैठे अधिकारी पूरी ईमानदारी एवं न्यायसंगत तर्कों के साथ उसकी सर्विस को अयोग्य साबित करने की बजाय बार बार प्रताड़ित कर रहे हैं।  यहां बता दें कि एचपीएससी की परीक्षा में टॉपर अनिल कुमार यादव को चार साल के दौरान जब जब तकनीकी आधार का हवाला देकर निलंबित व बर्खास्त करने का आदेश जारी हुआ पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी।

 आइए इस पूरे घटनाक्रम को तमाम साक्ष्यों के साथ अनिल कुमार की जुबानी पढ़िए।

2016 में एचपीएससी ने अलग अलग कैटेगिरी में सहायक निदेशक पदों के लिए आवेदन मांगे थे। इसमें पांच पद सांख्यिकी वर्ग के लिए थे। पेशे से सीएस(कंपनी सेक्रेटरी) अनिल कुमार ने केंद्र सरकार के दो महकमों में अपनी सेवाएं देने के बाद  हरियाणा में इस पद पर आवेदन कर लिखित परीक्षा दी और टॉप किया। पांच सांख्यिकी पद के लिए कुल 15 परीक्षार्थी साक्षात्कार के लिए चयनित हुए। इसी दौरान इन परीक्षार्थियों के दस्तावेजों की जांच हुई जिसमें अनिल कुमार एवं अन्य दो को छोड़कर अन्य 12 को रिजेक्ट कर दिया गया। अनिल कुमार के अनुसार  इंटरव्यू के समय 11 उम्मीदवार उपस्थित मिले। यह देखकर कुछ समय के लिए हैरानी हुईं। चयन प्रक्रिया में 50 प्रतिशत नंबर लिखित परीक्षा, साढ़े 12 प्रतिशत इंटरव्यू एवं 37.50 प्रतिशत एकेडमिक योग्यता के आधार पर दिए जाने थे। अनिल कुमार ने लिखित परीक्षा में 50 में 39 नंबर लेकर टॉप किया था बाकि अन्य काफी पीछे थे। अनिल कुमार का कहना है कि अगर इंटरव्यू में उसे जीरो नंबर भी दिए जाते तो भी उसका चयन होना सुनिश्चित था। उसे इंटरव्यू में महज ढाई नंबर दिए जबकि अन्यों को 12 नंबर दिए गए।  यहां सिफारिश होने या नहीं होने का दंश स्वत: नजर आ रहा था। इसके बावजूद अधिकांश का चयन नहीं हुआ। मुझे कुल साढ़े 71 नंबर मिले लिहाजा चयन तय था। 28 सितंबर 2018 को सभी दस्तावेजों की जांच करते हुए रजल्ट क्लीयर करते हुए मेरे नाम नियुक्ति पत्र जारी हो गया। नियमानुसार 15 दिन में ज्वाइन करना था। 3 अक्टूबर को ज्वाइन करने के लिए विभाग में पहुंचा तो एमडी के पीए ने मना कर दिया। उनका तर्क था कि एचपीएससी की तरफ से मैसेज आया है कि ज्वाइनिंग रोक दो। अधिकारियों से मिला कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। ऐसे में मैने हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने विभाग को नोटिस जारी किया तो विभाग ने 26 अक्टूबर 2018 को ज्वाइनिंग करा दी। विभाग को इसकी सूचना 26 अक्टूबर 2018 को कोर्ट की तारीख पर भी देनी थी। इसी दौरान सुनियोजित साजिश  के तहत जिस अभ्यार्थी का चयन नहीं हुआ था उसे शिकायकर्ता बनाकर मेरे अनुभव प्रमाण पत्र की जांच शुरू कर दी। इस सर्विस से पहले मैने भारत सरकार के लद्यु उद्योग विभाग के राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम में दो साल छह माह मुख्य प्रबंधक तथा दूर संचार विभाग के महानगर टेलीफोन निगम में सहायक प्रबंधक (कंपनी सचिव) के पद पर छह साल 7 महीने का अनुभव था। जबकि हरियाणा में इस भर्ती के लिए 2 साल का अनुभव ही मांगा गया था। भर्ती विज्ञापन में साफ तौर से उच्च योग्यता और अनुभव को प्राथमिकता देने का नोट भी लिखा था। विज्ञापन में कंपनी सचिव यानि सीएस योग्यता भी मांगी गईं तथा मेरे द्वारा इस योग्यता के आधार पर ही आवेदन किया गया। मेरे द्वारा अर्जित उक्त अनुभव भी कंपनी सचिव विभाग का है। किंतु अब विभाग का तर्क है कि अनुभव किसी मशीन पर कार्य करने का होना चाहिए। यह कहां तक तर्कसंगत है। मेरी चयन प्रक्रिया के दौरान कई बार दस्तावेज जांचे गए उस समय सवाल क्यों नहीं उठाए। इसके बावजूद असफल उम्मीदवार की शिकायत को आधार बनाकर  विभाग ने मुझे ज्वाइनिंग कराने के बाद भी  6 मार्च 2019 को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। जब जवाब  दिया तो विभाग ने संतुष्ट होकर कोई कार्रवाई नहीं और मै रूटीन की तरह डयूटी करता रहा। इसी दौरान विभाग ने मुझे उच्च पदों की जिम्मेदारी देते हुए उप निदेशक पलवल एवं संयुक्त निदेशक का कार्यभार रेवाड़ी का दिया गया। करीब तीन साल तक कुछ नहीं किया लेकिन किसी ना किसी बहाने से मानसिक प्रताड़ना जारी रही ताकि मै परेशान होकर नौकरी छोड़कर चला जाऊ। 2020 में कोरोना के चलते लगे लाकडाउन में उनकी बेहतरीन सर्विस को देखते हुए तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुईं उनकी प्रंशसा करते हुए अन्य अधिकारियों से सीख लेने को कहा। 2021 में उनका छोटा भाई कोविड की चपेट में आ गया। तमाम प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। इसी दौरान विभाग ने इंसानियत दिखाना तो दूर डयूटी में कोताही बरतने पर उसे सस्पेंड कर दिया। जुलाई 2021 को वह बहाल हो गया लेकिन उसे पलवल से दूर भिवानी- नारनौल भेज दिया ताकि भाई के चले जाने की घटना के बाद पारिवारिक जिम्मेदारी  निभाने में आ रही परेशानी से दुखी होकर नौकरी छोड़कर चला जाऊ।  इतना ही नहीं जिस पीरियड में वे सस्पेंड रहे उसका वेतन भी जानबूझकर आज तक नहीं दिया गया है। बहाल होने के दो माह बाद अनपौचारिक तौर पर मुख्यालय बुलाया गया और बर्खास्त करने की फाइल दिखाई गईं। मैने अपना पक्ष महानिदेशक केस सामने रखा और वे संतुष्ट  हो गए। उनका तबादला होने के बाद नए  महानिदेशक के समय में फाइल दुबारा चला दी गईँ।12 जुलाई 2022 प्रधान सचिव विजेंद्र कुमार के समक्ष पेश होकर वास्तु स्थिति से अवगत कराया। विजेंद्र कुमार जवाब से संतुष्ट थे और उन्होंने इंकवायरी के लिए आश्वस्त किया सभी उम्मीदवारों की भर्ती की जांच की जाएगी। 31 जुलाई 2022 को प्रधान सचिव का तबादला हो गया था।1  अगस्त को नए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने ज्वाइन किया। उन्होंने कोई उनके खिलाफ कोई आदेश नहीं दिया बल्कि बिना कोई स्पष्टीकरण मांगे 20 सितंबर 2022 को सीधे बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। उनके पास एक बार फिर हाईकोर्ट में जाने  के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। कोर्ट ने स्टे ऑर्डर पास कर दिया। उसी स्थान पर पद पर डयूटी ज्वाइन कर ली। बार बार निवेदन करने के पश्चात पिछले चार माह का वेतन जारी नहीं किया। 5 दिसंबर अतिरिक्त मुख्य सचिव से मिलकर निवेदन किया। कोई रिस्पांस नहीं मिला तो दुबारा कोर्ट की अवमानना को आधार बनाते हुए याचिका कर दी। इस पर 17 जनवरी को कोर्ट के अवमानना की तारीख है

 इस पद की सबसे बड़ी योग्यता मेरे पास

अनिल कुमार ने हैरानी जताई कि इस पद के लिए एमए, एमकॉम, एमएससी, सीए, सीएस, सीएफए सभी से आवेदन मांगे थे। चयन में सिर्फ मेरे पास ही सीएस की सबसे बड़ी योग्यता थी बाकि एमएससी, एमए एवं एमकॉम। जिस समय एचपीएससी के तहत उनका चयन हुआ था उस समय डिप्टी सेक्रेटरी मनीष कुमार लोहान थे जो वर्तमान में हमारे ही विभाग में संयुक्त निदेशक प्रशासक के तौर पर कार्यरत है। अनिल कुमार का कहना है कि केवल उन्हें ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है। अगर जांच ही करनी है तो सभी चयनित उम्मीदवारों की भी होनी चाहिए। उनका अपराध इतना है कि उन्होंने नौकरी हासिल करने के लिए दूसरे रास्ते का सहारा नहीं लिया। वे अपनी योग्यता के आधार पर सफल हुए। यही परेशानी सिस्टम के कुछ अधिकारियों एवं सरकार में बैठे कुछ लोगों को हो रही है। इसलिए बार बार उसे बिना आधार टारगेट किया जा रहा है। अनिल कुमार का कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री मनोहरलाल- डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला एवं अन्य केंद्र एवं राज्य सरकार के मंत्री व संगठन पदाधिकारियों पर पूरा विश्वास है कि वे किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।

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