मुआवजा नहीं मिलने पर भाकियू चढुनी की चेतावनी

एचएसआईआईडीसी छलावा, 16 को बावल दफ्तर के लगाएंगे ताला


    नेशनल हाइवे 48 भी जाम करने में पीछे नहीं हटेंगे  


 किसानों ने कहा कि अगर हम किसी दफ्तर के ताला लगाते हैं तो मुआवजा 15 दिन में आ जाता है। किसी अधिकारी से हाथापाई  तक नौबत आ जाती है तो मुआवजा 7 दिन में और मारपीट या हिसंक कार्रवाई होती है तेा हमारी मांग दो दिन में पूरी हो जाती है। नेता- अधिकारी ऐसे ही हालात चाहते हैँ 


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी.,,,,,,,


 रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

गुरुग्राम से बावल तक मैट्रो परियोजना के तहत अधिग्रहित की गई जमीन व स्ट्रक्चर के मुआवजा को लेकर पिछले दो सालों से संघर्ष कर रहे किसानों का धैर्य अब बर्दास्त से बाहर हो रहा है। शुक्रवार को भाकियू चढुनी ने एचएसआईआईडीसी को छलावा बताते हुए 16 जनवरी को बावल में स्थित उसके कार्यालय पर ताला जड़कर आर पार लड़ाई का एलान कर दिया है। साथ ही चेतावनी दी कि अगर समय रहते मुआवजा नहीं मिला तो जल्द ही नेशनल हाइवे -48 को जाम कर देंगे।

शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में भाकियू के जिला अध्यक्ष समे सिंह समेत अनेक किसानों ने बताया कि राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ.बनवारीलाल ने कुछ दिन पहले कहा था कि बावल तक मैट्रो ट्रेन आ रही है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने तो दो कदम आगे बढ़ते हुए पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर एम्स के साथ मैट्रो रेल परियोजना का शिलान्यास करने का समय तक मांग लिया। जमीन पर असलियत एकदम अलग है। इस परियोजना के तहत रेवाड़ी जिले के 20 गांवों एवं बावल के 11 गांवों के किसानों को पिछले दो सालों से अपना अवार्ड किया गया मुआवजा तक नहीं मिला है। पिछले छह माह से भाकियू चढ़ुनी मुआवजा को लेकर धरना प्रदर्शन एवं सभी भाजपा के मंत्री एवं विधायकों को ज्ञापन दे चुकी है। उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग से कई बार मिल चुके हें। डीआरओ का कहना है कि वे मुआवजा के लिए 20 से ज्यादा बार एचएसआईआईडीसी को पत्र लिख चुके हैं। दो दिन पहले कुछ किसान एचएसआईआईडीसी पंचकूला में अधिकारियों से मिले। उनका जवाब ही हैरान करने वाला था। उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट ही बंद करने जा रहे हैं। हमने फाइल सीएम को भेजी हुई है। एक अधिकारी ने तो यहां तक कहा कि मैट्रो पंचगांव तक ही आएगी। आगे इतनी आबादी ही नहीं है कि उसे यात्री मिल सके। अधिकारियों के इन जवाब से यह साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार चलाने वाले नेता या तो जनता को गुमराह कर रहे हैं या फिर एचएसआईआईडीसी के अधिकारी सरकार की छवि को पूरी तरह से खत्म करने के लिए किसानों पर कुठाराघात कर रहे हैं।  समे सिंह ने कहा कि एचएसआईआईडीसी पूरी तरह से भूमाफिया का काम कर रही है। धोखे से किसानों की जमीन सरकारी रिकार्ड में अपने नाम करवा ली और जमीन और स्ट्रक्चर का मुआवजा दिया तक नहीं है। पंचकूला एचएसआईआईडीसी में तो जमीन मुआवजा देने के नाम पर खुला कमीशनखोरी का खेल चलता है। अगर हमारा दावा झूठा है तो अधिकारी स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं करते। डीआरओ ने 20 से ज्यादा बार पत्र भेजा उनका जवाब तक क्यों नही दिया। आज प्रदेश में नौबत यहां तक आ चुकी है कि अगर हम किसी दफ्तर के ताला लगाते हैं तो मुआवजा 15 दिन में आ जाता है। किसी अधिकारी से हाथापाई  तक नौबत आ जाती है तो मुआवजा 7 दिन में और मारपीट या हिसंक कार्रवाई होती है तेा हमारी मांग दो दिन में पूरी हो जाती है।  लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत धरना प्रदर्शन- ज्ञापन से अपनी आवाज उठाते हैं तो कोई सुनवाई नहीं होती। आखिर सरकार चाहती क्या है वह बताए। हम एचएसआईआईडीसी बावल कार्यालय पर 16 जनवरी को ताला लगाने जा रहे हैं। इसके अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं बचा है। इसके लिए हमें जेल क्यों नहीं जाना  पड़े। इस मौके पर भाकियू चढुनी के जिला उपाध्यक्ष सुभाषचंद नंबरदार, बावल खंड के लोकेशवर, जिला कोर कमेटी के सदस्य राज सिंह ढिल्लो, कमल बालावास मौजूद थे।

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