कोचिंग ने झूठा विज्ञापन दिया तो रजिस्ट्रेशन रद्‌द:राजस्थान में कोचिंग के लिए कानून लाने की तैयारी, फीस वापसी तक की नीति

कोचिंग संस्थान अब मनमानी नहीं कर सकेंगे…

  • कोई भी कोचिंग शुरू करना चाहेगा तो पहले उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।
  • अगर घर पर भी ट्यूशन सेंटर है और 50 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, तो सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराकर अनुमति लेनी होगी।
  • कोचिंग को बताना होगा कि क्या सिलेबस पढ़ाएंगे, कितने टाइम में सिलेबस कवर हो जाएगा और प्रत्येक बैच में अधिकतम कितने स्टूडेंट्स होंगे।
  • सरकारी टीचर कोचिंग में नहीं पढ़ा सकेंगे।
  • प्रोस्पेक्टस में कोचिंग को हर कोर्स की फीस बतानी होगी।

अगर ऐसा नहीं किया तो?

  • पहली बार नियम तोड़ने पर 25 हजार रुपए जुर्माना, दूसरी गलती पर 1 लाख का जुर्माना और तीसरी गलती पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन रद्‌द।

दरअसल, कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार ने राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल-2023 तैयार कर लिया है। विधि विभाग ने गुरुवार को इसे मंजूरी दे दी।

इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार विधानसभा के बजट सत्र में पेश करेगी। अगर विधानसभा में यह विधेयक पारित हो जाता है तो कोचिंग संस्थानों की मनमानी को बंद करने के लिए कानून बन जाएगा।

नई कोचिंग शुरू करनी है तो..

ये बिल मंजूर होने के बाद कोई भी कोचिंग संस्थान बिना सरकार की अनुमति के शुरू नहीं किया जा सकेगा। वर्तमान में चल रहे सभी कोचिंग संस्थानों को भी कानून लागू होने के तीन माह के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाकर सर्टिफिकेट लेना होगा। ऑनलाइन कोचिंग के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। 50 स्टूडेंट वाले होम ट्यूशन सेंटर भी इसके दायरे में आएंगे। उनके लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।

अगर किसी कोचिंग संस्थान की एक से ज्यादा ब्रांच होगी तो उसे प्रत्येक ब्रांच का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा। संस्थान को यह बताना होगा कि उसके यहां क्या सिलेबस पढ़ाया जाएगा? यह भी बताना होगा कि प्रत्येक सिलेबस में अधिकतम कितने स्टूडेंट्स होंगे और कौनसा सिलेबस कितनी अवधि में पूरा कराया जाएगा। कोई भी कोचिंग संस्थान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में बताई गई जगह से दूसरी जगह कोचिंग को बिना सरकार की लिखित अनुमति शिफ्ट नहीं कर सकेगा।

10 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस, 3 साल के लिए रजिस्ट्रेशन

सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का गठन होगा। जो भी व्यक्ति, सोसायटी या कंपनी कोचिंग संस्थान चलाना चाहता है, उसे निर्धारित फार्मेट में दस हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के साथ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के यहां आवेदन करना होगा। यदि कोचिंग सेंटर सभी शर्तों को पूरा करेगा तो आवेदन के 30 दिन के अंदर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी उसे सर्टिफिकेट जारी कर देगी।

किसी भी कोचिंग संस्थान के लिए रजिस्ट्रेशन की अवधि तीन वर्ष की रहेगी। डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी की ओर से समय-समय पर कोचिंग संस्थान का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्धारित शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं। अगर किसी कोचिंग संस्थान के रजिस्ट्रेशन का आवेदन अथॉरिटी की ओर से रिजेक्ट कर दिया जाएगा तो छह महीने के बाद ही नया आवेदन किया जा सकेगा।

बताना होगा-कितनी फीस लेंगे

कोचिंग संस्थानों के लिए यह जरूरी होगा कि उनके यहां जितने भी सिलेबस पढ़ाए जाएंगे उनके बारे में प्रोस्पेक्टस के जरिए खुलासा हो। प्रोस्पेक्टस में किस सिलेबस की कितनी अवधि होगी और कितनी फीस होगी, यह भी सार्वजनिक करना होगा। प्रत्येक सिलेबस के बारे में यह बताना होगा कि उसके लिए कितने टीचर हैं और उस सिलेबस के लिए कितने ग्रुप डिस्कशन होंगे।

कोचिंग में ये सुविधाएं उपलब्ध करानी अनिवार्य होगी

विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कोचिंग संस्थानों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो ताकि प्रत्येक छात्र के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर क्षेत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो सके। छात्रों के लिए प्रत्येक कोचिंग संस्थान द्वारा पर्याप्त फर्नीचर (बेंच/डेस्क), पर्याप्त रोशनी, पीने का पानी,टाॅयलेट, साफ-सफाई की सुविधा,अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था, तनाव प्रबंधन, परामर्शदाताओं की व्यवस्था जरूरी होगी।

एक बार कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद अगर कोई स्टूडेंट वहां से निकलना चाहे तो फीस वापसी की स्पष्ट नीति जरूरी होगी। कोचिंग संस्थान को ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि स्टूडेंट्स और उनके परिजनों की शिकायत का तत्काल हल हो सके। कोचिंग में चिकित्सा सहायता और उपचार की सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी। कैंटीन की सुविधा और वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा अनिवार्य होगी।

मेरिट के झूठे दावे किए तो कार्रवाई

डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोचिंग सेंटर्स पर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही या नहीं। अथॉरिटी जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर स्टूडेंट्स और पेरेंट्स की समस्याओं के निदान के लिए सेल गठित करेगी। कोचिंग सेंटर्स की तरफ से किए जाने वाले फर्जी विज्ञापन और एग्जाम में सलेक्टेड स्टूडेंट्स के बारे में झूठे दावों पर अथॉरिटी कार्रवाई करेगी।

अथॉरिटी स्वयं के स्तर पर या कोई शिकायत मिलने पर किसी भी कोचिंग संस्थान के किसी भी रिकॉर्ड की जांच कर सकेगी। कोचिंग संस्थान के प्रभारी या मालिक के लिए यह आवश्यक होगा कि वह निरीक्षण के दौरान सक्षम अधिकारी को मांगा गया रिकॉर्ड उपलब्ध कराएं। अथॉरिटी यह भी तय करेगी कि कोचिंग संस्थानों में ऐसी कोई गतिविधि न हो, जिसकी वजह से स्टूडेंट्स में किसी भी तरह का मानसिक तनाव हो।

30 दिन में शिकायतों का करना होगा डिस्पोजल

कोई भी स्टूडेंट या पेरेंट्स अगर कोचिंग संस्थान के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा। इसी तरह कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट भी किसी स्टूडेंट या पेरेंट्स के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका निस्तारण भी 30 दिन के भीतर करना होगा।

शिकायतों की जांच या तो खुद डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी करेगी या इसके लिए वह जांच कमेटी भी बना सकेगी। जांच कमेटी एडीएम की अध्यक्षता में होगी, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक और माध्यमिक शिक्षा का जिला शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे। सरकारी पीजी कॉलेज का प्रिंसिपल इसका मेंबर सेक्रेटरी होगा।

दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद यह जांच कमेटी पेनल्टी, रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसी सिफारिश के साथ अपनी रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के चेयरमैन को सौंपेगी।

डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के फैसले के खिलाफ हो सकेगी अपील

डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के फैसले से असंतुष्ट होने पर कोचिंग संस्थान, स्टूडेंट या पेरेंट्स राज्य सरकार की अपीलेट अथॉरिटी में अपील कर सकेंगे। यह अपील 30 दिन के भीतर करनी होगी। अपीलेट अथॉरिटी में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव चेयरमैन होंगे। इसमें डिप्टी सेक्रेटरी, पुलिस महानिदेशक या उनके नॉमिनी, कॉलेज शिक्षा कमिश्नर, उच्च शिक्षा विभाग के वित्तीय सलाहकार और राजस्थान विधि सेवा के अफसर सदस्य होंगे। उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव इसमें मेंबर सेक्रेटरी होंगे। इस अपीलेट अथॉरिटी को दोनों पक्षों की सुनवाई करके 45 दिन के अंदर अपना फैसला सुनाना होगा। अपीलेट अथॉरिटी का फैसला अंतिम होगा।

कलेक्टर होंगे चेयरमैन, पुलिस अधीक्षक और लोकल बॉडी के अफसर सदस्य

डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का चेयरमैन कलेक्टर होगा। पुलिस अधीक्षक और स्थानीय निकाय के मुखिया इसके सदस्य होंगे। सरकारी पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल को सदस्य सचिव और वित्तीय सलाहकार स्तर के अकाउंट्स अफसर को अथॉरिटी में सदस्य नियुक्त किया जाएगा।

यह अथॉरिटी जिले के सभी कोचिंग सेंटर्स पर नियंत्रण रखेगी। अथॉरिटी को अपने ऑफिस में एक हेल्पलाइन भी संचालित करनी होगी ताकि कोई भी कोचिंग स्टूडेंट और पेरेंट्स अपनी शिकायत या पूछताछ के लिए संपर्क कर सकें। किसी भी तरह की जानकारी चाहने पर अथॉरिटी की तरफ से स्टूडेंट्स और पेरेंट्स को संतुष्ट जवाब देना होगा। (साभार :- दैनिक भास्कर)

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