बहुत आसान है व्यापारी को लूटना, बस उसे थोड़ा सा डरा दीजिए..

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


रेवाड़ी नई अनाज मंडी में रविवार रात तीन बदमाश पिस्टल की नोंक पर  सैनेटरी व्यापारी देवदत से करीब 7 लाख की लूट करके चले गए। इस तरह की रूटीन घटनाओं में एक केस ओर जुड़ गया। पुलिस कार्रवाई से व्यापारी को लूटी रकम वापस मिल जाएगी। इसकी उम्मीद करना लाटरी का लक्की ड्रा निकलना जैसा है। सवाल उठता है कि जितनी भी लूटपाट की अलग अलग घटनाएं होती हैं उसमें व्यापारी ही निशाने पर क्यों रहता है। लूटने के बाद व्यापारी किसी तरह इस घटना से उबर कर बाहर आ पाता है अचानक फिर उसे किसी ना किसी तरीके से लूट लिया जाता है।

कितना आसान होता है किसी व्यापारी को टैक्स चोर, मिलावटीखोर, लाला, बनिया बोलकर उसके वजूद का मजाक उड़ाना। क्या किसी ने जानने की कोशिश की पिछले कुछ सालों के दरम्यान कोविड-19 के चलते तहस नहस हुए व्यापार के कारण सैकड़ों व्यापारी परिवार खुद को मारकर दुनिया से विदा ले गए। यह सिलसिला निरंतर जारी है। क्या यह जानने का प्रयास किया कि व्यापारी क्यों सिस्टम से नहीं  टकराता। वजह अगर उसने चिल्लाना शुरू कर दिया तो उस पर नियमों को हथियार बनाकर हमला कर दिया जाएगा। बदमाशों के लिए व्यापारियों को लूटना बहुत आसान होता है। उन्हें पता है कि दिन में व्यापारी अधिकारियों की कलम से बचने के लिए टेबल के नीचे, दाए बाए बिना किसी विरोध के आसानी से लूट सकता है तो हमारे पास तो पिस्टल है। डाकुओं के समय से ही व्यापारियों का लूटना परपंरा के तौर पर चलता आ रहा है। व्यापारियों के साथ जब लूट की घटनाएं होती हैं तो उसे रूटीन की तरह  लिया जाता है। वजह उसके लूटने का इतिहास रहा है। अगर यही लूट किसी अधिकारी, नेता, मंत्री, जज, पुलिस से संबंध रखने वाले परिवार के साथ हो जाती तो बवाल खड़ा हो जाता। सिस्टम तंत्र लूटने वालों  को पकड़ने के लिए पूरी ताकत लगा देता है।  व्यापारी के चरित्र  को हमेशा लूटना और लूटने के तौर पर देखा जाता रहा है। इसलिए जब उस पर लूटने के आरोप लगते हैं तो यहीं सिस्टम उस पर चौतरफा हमला कर एक एक रुपए का हिसाब ले लेता है। जब यहीं व्यापारी इसी सिस्टम की नाकामी, अनदेखी व बेकाबू हालातों में सरेआम बदमाशों एवं भ्रष्टाचार अधिकारियों के हाथों लूटता है तो फिर इसी सिस्टम को सांप क्यों सूंध जाता है। इस सवाल का जवाब उन व्यापारिक संगठनों को प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों एवं सरकार चलाने वाले नेताओं से पूछना चाहिए। अगर यह हिम्मत नहीं है तो फिर एक ओर व्यापारी के लूटने की खबर पढ़ने के लिए तैयार रहिए..।

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