सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में सावित्री बाई फुले ने निभाई अहम भूमिका : डीसी

रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


डीसी अशोक कुमार गर्ग ने प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका, महिलाओं और वंचित वर्गों की शिक्षा व सशक्तिकरण के लिए संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाली महान समाज सेविका सावित्रीबाई फुले की 126वीं पुण्यतिथि पर उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए नमन किया। उन्होंने बताया कि 10 मार्च भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख मानी जाती है। इस दिन समाज सुधारक, शिक्षाविद और कवयित्री सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि मनाई जाती है। सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्होंने भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उन्होंने समाज में व्याप्त कई सामाजिक बुराइयों जैसे अस्पृश्यता और बाल विवाह के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। सावित्री बाई फुले का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। डीसी ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने सिर्फ शिक्षा के लिए ही संघर्ष नहीं किया, बल्कि उन्होंने देश में कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज बुलंद की। उन्होंने लड़कियों व महिलाओं को शिक्षित न करने, छुआछूत, बाल-विवाह, सती प्रथा सहित अनेक सामाजिक कुरीतियों का डटकर विरोध किया और जीवनपर्यंत इनके खिलाफ लड़ती रहीं। उन्होंने जीवन भर महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्ष किया। आजादी से पहले लड़कियों और महिलाओं को समाज में वह स्थान प्राप्त नहीं था। उस समय लड़कियों और महिलाओं का स्कूल जाना पाप समझा जाता था। ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया वह कोई साधारण बात नहीं है। उन्होंने लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा का हक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

सामाजिक विकास का आधार स्तंभ है शिक्षा : डीसी

डीसी अशोक कुमार गर्ग का कहना है कि वे गरीब व निर्धन बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए प्रयासरत हैं। उनकी एक ही सोच है कि पैसों के अभाव में कोई भी बच्चा अच्छी शिक्षा पाने से वंचित न रहे। मानव जीवन में शिक्षा व साक्षरता का विशेष महत्व है। शिक्षा के माध्यम से गरीब बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। यह बच्चों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करते हुए सामाजिक विकास का आधार स्तंभ बन सकती है। उन्होंने अध्यापकों, युवाओं व सेवानिवृत्त कर्मचारियों का आह्वान किया कि वे जनहित में अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय गरीब व निर्धन बच्चों को शिक्षित करने के लिए अवश्य निकालें।

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