बॉटल से पानी पिएंगे तो हो सकते हैं बीमार

स्टील हो या प्लास्टिक सबमें टॉयलेट सीट से ज्यादा बैक्टीरिया, कहां से आते हैं कीटाणु; कैसे करें साफ


रणघोष खास. देशभर से , दैनिक भास्कर की रिपोर्ट


गर्मियां आ गई हैं। कहीं भी आएं-जाएं पानी की बॉटल साथ रखकर ही चलते हैं। लोग रियूजेबल बॉटल को सेफ मानते हैं इसलिए उससे पानी मुंह लगाकर पीते हैं और उसे रोजाना साफ भी नहीं करते।यही बॉटल के अंदर बैक्टीरिया पनपने की वजह बनता है। जिससे हम बीमार पड़ते हैं। अमेरिका में हुई वॉटरफिल्टरगुरु डॉट कॉम की एक रिसर्च में बताया गया कि बार-बार यूज होने वाली पानी की बॉटल में टॉयलेट सीट से 40 हजार गुना ज्यादा बैक्टीरिया हो सकते हैं।
जो लोग अपनी पानी बॉटल एक-दो बार पानी से खंगालकर भर लेते हैं और सोचते हैं कि बॉटल साफ हो गई वो आज जरूरत की खबर जरूर पढ़ें।हम पानी की बॉटल की सफाई, उससे होने वाले नुकसान और बीमारियों के बारे में बात एक्सपर्ट्स से करेंगे…
हमारे एक्सपर्ट्स हैं- माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. साइमन क्लार्क और डॉ. बालकृष्ण इंचार्ज प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भोपाल
सबसे पहले जानते हैं कि पानी की बॉटल पर हुई रिसर्च क्या कहती है
इसे इन पॉइंट से समझते हैं…
अमेरिका के रिसर्चर्स की एक टीम ने रियूजेबल पानी की बॉटल की सफाई को लेकर जांच की।
उन्होंने बॉटल के सारे पार्ट्स यानी उसका ऊपरी हिस्सा, ढक्कन, उसका मुंह सबको तीन-तीन बार टेस्ट किया।
रिसर्च के मुताबिक, बॉटल पर दो प्रकार के बैक्टीरिया की मौजूदगी पाई गई, जिनमें ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया और बैसिलस बैक्टीरिया शामिल हैं।
ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया कई तरह के इन्फेक्शन पैदा करने के लिए रिसपॉन्सिबल होते हैं।
बेसिलस बैक्टीरिया गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम यानी पेट संबंधित समस्या पैदा कर सकते हैं।
रिसर्च में बॉटल को किचन के बाकी सामानों से कंपेयर किया गया है जिसमें पाया गया कि बॉटल में बर्तनों के सिंक से भी दोगुना ज्यादा जर्म्स होते हैं।
सवाल: इस रिसर्च के हिसाब से क्या पानी की बॉटल को डेली साफ करना चाहिए? या फिर सिर्फ गर्मी के मौसम में ही साफ करना जरूरी होता है?
जवाब: जिस तरह आप अपने घर के दूसरे बर्तनों को यूज करते हैं, वैसे ही बॉटल को भी यूज करें।
गर्मी में बैक्टीरिया के पनपने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ गर्मी में ही, बल्कि किसी भी मौसम में जब भी पानी की बॉटल यूज करें, तो उसे साफ जरूर करें।
हो सके तो कभी-कभी कुछ देर के लिए धूप में सूखने के लिए भी रख दें, ताकि उसमें से आने वाली बदबू चली जाए और मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाएं।
अमेरिका में हुई रिसर्च में भी सलाह दी गई है कि पानी की बोतल को दिन में कम से कम एक बार साबुन, गर्म पानी या फिर हफ्ते में एक बार सैनिटाइज जरूर कर लेना चाहिए।

सवाल: अच्छा तो फिर पानी को किस तरह की बॉटल में स्टोर करना चाहिए?
जवाब: रिसर्च में पाया गया कि कांच की बॉटल ज्यादा सेफ होती है। लेकिन इसे कैरी करना आसान नहीं होता है। तो ऐसी बॉटल लें जिसमें पानी पीने के लिए अलग से गिलास होता है या जिसमें मुंह नहीं लगाया जाता है।
पानी की बॉटल में मौजूद बैक्टीरिया का असर है खतरनाक
जो लोग एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं, उन्हें दवा का असर नहीं होगा।
पेट में गड़बड़ी, एसिडिटी, डायरिया हो सकता है।
ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे हो सकता है।
हार्ट डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
उल्टी, जी मिचलाना जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।
छोटी बच्चियों में हार्मोन बदलाव समय से पहले हो सकते हैं।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन बार-बार होने का रिस्क रहता है।
सवाल: क्या फ्रिज में रखी बॉटल में भी बैक्टीरिया होते हैं?
जवाब: फ्रिज में पानी रखने के लिए ज्यादातर लोग प्लास्टिक बॉटल ही यूज करते हैं। इनमें आपके अनुमान से कहीं ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं, जो आपको बीमार बना सकते हैं। इसलिए सस्ती प्लास्टिक की बॉटल यूज न करें। हाई क्वालिटी वाली बॉटल हर दो से तीन दिन में क्लीन जरूर करें।
सवाल: प्लास्टिक की बॉटल से पानी पीना क्यों सेफ नहीं होता है?
जवाब: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरनमेंटल हेल्थ साइंसेज के मुताबिक प्लास्टिक की बॉटल को बनाने में BPA नाम के केमिकल को यूज किया जाता है।
1890 में पहली बार BPA की खोज हुई। मगर 1950 में यह महसूस किया गया कि इसका इस्तेमाल मजबूत और लचीले पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक बनाने में हो सकता है।
इसके नुकसान के रिजल्ट सामने आने के बाद निर्माताओं ने BPA फ्री उत्पाद बनाने की शुरुआत की।
प्लास्टिक की बोतल से होने वाले नुकसान
इससे ब्लड प्रेशर, टाइप-2 डायबिटीज, हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी को खराब करता है।
महिलाओं में हार्मोन डिसबैलेंस का कारण बनता है।
सवाल: मार्केट में जो पैक पानी की बॉटल मिलती है उनमें क्या बैक्टीरिया नहीं होते हैं?
जवाब: बैक्टीरिया होते हैं लेकिन वो प्लास्टिक बॉटल के होते हैं। लाइव सांइस की रिपोर्ट के मुताबिक पानी कभी खराब नहीं होता। अब आप कहेंगे कि बाजार में मिलने वाली पानी की बॉटल पर एक्सपायरी डेट लिखी होती है वो क्यों?
दरअसल उसमें जो एक्सपायरी डेट लिखी होती है वो प्लास्टिक की होती है। एक तय समय के बाद प्लास्टिक पानी में घुलने लगता है। जिससे पानी का स्वाद बदलेगा और नुकसान पीने वाले को होगा।
वैसे भी मार्केट में मिलने वाली पैक पानी की बॉटल सिंगल यूज प्‍लास्टिक से बनी होती है। हम इसे बार-बार इस्तेमाल करने की गलती कर बीमार होते हैं।
सवाल: पानी पीने के लिए कौन सी पानी की बॉटल बेस्ट होती है?
जवाब: बेहतर होगा कि ऐसी बॉटल का यूज करें जो BPA फ्री हो या फिर कांच या स्‍टील की हो।
सवाल: स्कूल जाने वाले बच्चों को कौन सी पानी की बॉटल दें?
जवाब: स्कूल ले जाने के लिए बच्चों को स्टील की या फिर गुड प्लास्टिक की बॉटल देनी चाहिए। उसे भी हर दिन क्लीन करें क्योंकि बच्चे बॉटल पर मुंह लगाकर पानी पीते हैं।
सफाई जल्दी नहीं हो पाने की वजह से मुंह लगाने से बॉटल पर लगी लार हवा के कॉन्टैक्ट में आती है जिससे उस जगह पर कई गुना जर्म्स आ जाते हैं।
सवाल: पानी की बोतलों में किस तरह से बैक्टीरिया पनपते हैं?
जवाब: ई. कोलाई जैसे तमाम बैक्टीरिया पानी की बॉटल में अलग-अलग कारणों से पनपते हैं।
जैसे-
खाना खाने के बाद जूठे हाथों से बॉटल को छूने से।
मुंह लगाकर बॉटल से पानी पीने पर लार लग जाने से।
खांसी-जुकाम आने पर उन्हीं हाथों से बॉटल पकड़ने से।
ज्यादा दिनों तक बॉटल में पानी भरा होने पर मोल्ड से।
साफ सफाई का काम करते समय गंदे हाथों से बॉटल पकड़ने से।
इसलिए जरूरी है कि पानी की बॉटल को ऊपर क्रिएटिव में बताए हुए तरीकों से नए टूथब्रश या ब्रश की मदद से अच्छे से साफ किया जाए।

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