मजा तब है जब दौड जारी रहे और थकावट भी ना हो
रणघोष खास. ब्रहमप्रकाश भारद्वाज, शिक्षक आर्ट ऑफ लिविंग
यह सुनने मे थोडा अटपटा जरूर लगता है कि दौड जारी रहे और थकावट न हो। पर यह मूमकिन है, यदि सही जानकारी ,सही दिशा व समय का सही प्रयोग हो तो ? जी हां हम बात कर रहे है जीवन के दौड की। कौन नही चाहता कि शरीर स्वस्थ हो, मन में शांति बनी रहे , रिश्ते व सम्बन्ध मजबूत बने, व्यवसाय व नौकरी में अव्वल रहे, समाज में प्रतिष्ठा मिले व जीवन के हर क्षेत्र में विकास हो। परन्तु होता है – इसके विपरित। आज की इस भागदौड भरी जिन्दगी, अंधी दौड व सफलता की चाहत व समय न होने के कारण हम जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन नही बना पाते है। और इससे शरीर अस्वस्थ , मन अशांत , रिश्तो में खटास और समाज के लिए तो समय है ही नही। व्यक्ति हमेशा चिडचिडा , बात बात पर गुस्सा, तनाव व अवसाद , उर्जा का अभाव और न जाने क्या क्या और इन सब का नतीजा – जीवन के हर क्षेत्र में अभाव ही अभाव ।
कैसा हो ? जब जीवन की दौड जारी भी रहे और थकावट न हो, उर्जा बनी रहे, शरीर व मन स्वस्थ रहे , रिश्तो में प्रगाढता हो, व्यवसाय व नौकरी में सफलता मिलती रहे, समाज में प्रतिष्ठा मिले व हर क्षेत्र में विकास भी हो। तो इसके लिए आपको संतुलित जीवन जीना पडेगा, आध्यात्मिक यात्रा का अभ्यास हर दिन करना पडेगा, हर दिन कुछ समय शरीर, मन के लिए निकालना पडेगा, समाज के लिए कुछ समय देना पडेगा-फिर जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन भी होगा और जीवन की दौड जारी रहेगी और थकावट व निराशा से बच पायेगे और खुशहाल, स्वस्थ व जिम्मेदारी से जीवन जी पाऐगे। शेष फिर कभी – – – – –
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