नींद की कमी से मोटी हो रहीं महिलाएं

बढ़ रहा डिप्रेशन, पुरुषों से ज्यादा नींद की जरूरत; नींद लाने के 5 अचूक मंत्र


रणघोष खास. कमला बडोनी, साभार दैनिक भास्कर 

सबसे सुखी इंसान वो माना जाता है, जो चैन की नींद सोता है। नींद सुकून देने के साथ सेहत भी दुरुस्त रखती है। आज ‘वर्ल्ड स्लीप डे’ है, इस साल की थीम है, ‘सोना अच्छी सेहत के लिए जरूरी है।’

वर्ल्ड स्लीप डे की शुरुआत 2008 से हुई। 70 देशों में इस मौके पर दफ्तरों में छुट्‌टी मनाई जाती है और लोगों को प्रेरित किया जाता है कि वो इस दिन अच्छी और चैन की नींद लें।

घर में सबसे जल्दी उठने वाला और सबसे आखिर में बिस्तर पर जाने वाला व्यक्ति स्त्री होती है। आज उसी महिला की अच्छी नींद और उससे जुड़ी सेहत की बात करते हैं।

कम नींद की शिकार महिलाओं में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा

साइकेट्रिस्ट डॉ. सोनल आनंद कहती हैं कि कामकाजी महिलाओं की जिम्मेदारी बढ़ गई है, जिसकी वजह से उन्हें पूरी नींद नहीं मिल पाती। सुबह उन्हें घर में सबसे पहले उठना होता है।

रात में भी सबके काम निपटाकर ही महिलाएं सो पाती हैं। इससे उनकी नींद पूरी नहीं होती और उन्हें मोटापा, फोकस की कमी, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, हार्ट डिजीज जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स होने लगती हैं। स्टोरी में आगे बढ़ने से पहले इस पोल पर राय देते चलिए-

FOMO का डर बढ़ा रहा स्क्रीन टाइम और कम हो रही नींद

महिलाओं के टीवी और मोबाइल देखने का टाइम भी बढ़ गया है। इसकी वजह से नींद उनकी प्रभावित होती है। लंबे समय तक टीवी, मोबाइल, लैपटॉप के सामने रहने से आंखों के साथ-साथ मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचता है।

महिलाएं अपनी नींद में कटौती कर सोशल नेटवर्क साइट पर रहती हैं। महिलाओं में फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO) की टेंडेंसी भी देखी जाती है यानी उनको इस बात का डर होता है कि उनकी नजर से कोई जानकारी चूक न जाए। इस वजह से उनकी नींद में कटौती हुई है।

नींद की कमी की वजह से मोटापा, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, हार्ट की बीमारियां बढ़ी हैं। नींद से शरीर को एनर्जी मिलती है, जो एक तरह की हीलिंग प्रॉसेस है।

इसकी कमी से काम की स्पीड कम होती है, काम में मन कम लगता है, फोकस की कमी होती है, तनाव और डिप्रेशन जैसी तकलीफें शुरू हो जाती हैं।

नींद की कमी से आत्महत्या के ख्याल तक आना संभव

डॉ. सोनल आनंद ने अपनी एक केस स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि 35 साल की रीना (बदला हुआ नाम) में नींद की कमी से सुसाइड करने की इच्छा पनपने लगी थी।

रीना वर्किंग वुमन थी, घर का काम रहता और अपडेटेड रहने के लिए वो सोने से पहले सोशल मीडिया पर भी रहती थीं।

लंबे समय तक इसी रूटीन के चलते वो ‘बर्न आउट सिंड्रोम’ का शिकार हो गईं। उनके अंदर चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ा। रीना से जब स्थिति नहीं संभली तो वो डॉ. सोनल से मिलीं। दो-तीन महीने के ट्रीटमेंट के बाद रीना बिल्कुल ठीक हो गईं।

नींद की कमी से मोटी हो रही हैं महिलाएं

महिलाओं में पुरुषों की तुलना में फैट जल्दी नजर आता है। इसकी एक वजह है नींद की कमी। महिलाओं को घर-बाहर की दोनों जगहों की जिम्मेदारी निभानी होती है, जिसके लिए ज्यादा समय और एनर्जी की जरूरत होती है।

नींद में कटौती करने से शरीर का फैट ज्यादा तेजी से बढ़ता है, जिसके कारण वो पुरुषों की तुलना में जल्दी और ज्यादा फैटी हो जाती हैं।

नींद की कमी होने पर इम्यूनिटी पर असर पड़ता है और कोई भी दवा और वैक्सीन अपना पूरा असर नहीं दिखाती। क्योंकि बीमारियों से लड़ने वाली एंटीबॉडीज बॉडी में कम बनती हैं।

कम उम्र में बढ़ने लगीं दिल की बीमारियां

पहले हार्ट की बीमारी बड़ी उम्र में होती थी, लेकिन अब युवा भी दिल की बीमारी की चपेट में हैं। डब्ल्यूएचओ और अमेरिकन जर्नल की एक स्‍टडी के मुताबिक 30 से 40 साल के बीच के युवाओं में 13% दिल के रोग बढ़े हैं।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज रिस्क फैक्टर कॉलैबेरेशन की एक रिसर्च के मुताबिक भारत में साल 2017 में दिल की बीमारियों से करीब 41 लाख मौत हुई।

इनमें 18 लाख महिलाएं और 23 लाख पुरुष थे। भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल की बीमारी ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं।

अच्छी नींद लेने से हार्ट भी रहेगा हेल्दी

मार्च, 2023 में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी कॉन्फ्रेंस में पेश की गई एक रिसर्च में पाया गया कि स्लीप क्वालिटी जितनी अच्छी होगी दिल की बीमारियों से होने वाली मृत्यु की आशंका उतनी कम होगी।

शोधकर्ताओं ने 50 वर्ष की औसत आयु वाले लोगों के डेटा का आकलन किया, जिसमें 54% रिस्क जोन में महिलाएं थीं।

कई बार बहुत ज्यादा थक जाने से भी नींद नहीं आती। इसके लिए हम एक्सपर्ट के हवाले से एक केस स्टडी जानते हैं।

जब थकान से नींद हो गई गुम, लेना पड़ा इलाज

वॉकहार्ट हॉस्पिटल, मुंबई के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन पई ने एक कपल का केस बताया जिसमें नींद की कमी से पत्नी बीमार हो गई। ये दंपती म्यूजिक की क्लास लेता था।

लॉकडाउन में ऑनलाइन म्यूजिक क्लासेज लेनी शुरू की। उनके क्लाइंट्स विदेश में भी थे इसलिए रात में भी क्लासेस होने लगीं।

पत्नी को घर के काम करते हुए म्यूजिक क्लासेज लेती, जिसके थकान बढ़ी और नींद गायब हो गई। उन्हें अच्छी नींद के लिए इलाज करवाना पड़ा, तब जाकर ठीक हो पाए। कपल अब रात में म्यूजिक क्लासेज लेनी बंद कर दी और अच्छी नींद के लिए लाइफस्टाइल को बदला।

उम्र के साथ बदलती है नींद की जरूरत

60 की उम्र के बाद नींद में कमी आने लगती है। उसके बाद नींद का पैटर्न बदलने लगता है। इस उम्र के लोगों को सोने से एक घंटे पहले पानी नहीं पीना चाहिए। महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान यदि स्ट्रेस ज्यादा हो रहा है तो उनकी नींद डिस्टर्ब होती है।

हाॅर्मोंस भी हैं नींद की कमी के जिम्मेदार

महिलाओं के शरीर को पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज जैसे कई हाॅर्मोनल बदलावों से गुजरना पड़ता है। इसका असर भी उनकी नींद पर पड़ता है। कई महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम यानी PMS के दौरान भी नींद न आने की समस्या झेलती हैं।

बच्चे के जन्म के बाद मां की नींद पूरी नहीं हो पाती। महिलाओं के मेनोपॉज के दौरान मूड स्विंग, हॉट फ्लैशेज और चिड़चिड़ाहट की वजह से नींद प्रभावित होती है।

नींद की गोली ज्यादा लें तो इसका असर खत्म हो जाता है

फोर्टिस एस्कॉर्ट, नई दिल्ली के प्लमोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन के कंल्टेंट डॉ. अजीम करीम के मुताबिक–स्लीप सप्लीमेंट्स एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और नेचुरली डेवलप विटामिन से थकान के सिंड्रोम को कम करती है।

जिसका नतीजा ये होता है कि ब्रेन रिलैक्स होता है, और अच्छी नींद आती है। नींद न आने पर जब लोग स्लीप सप्लीमेंट बार-बार लेते हैं तो उन्हें उसकी आदत हो जाती है।

फोकस और याददाश्त में कमी स्लीप सप्लीमेंट्स के साइड इफेक्ट्स हैं। इसलिए, ये सोच-समझकर डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।

डॉ. अजीम करीम कहते हैं कि स्लीप सप्लीमेंट्स उन्हें दी जाती हैं जिन्हें कोई मेडिकल, साइकोलॉजिकल और न्यूरोलॉजिकल इश्यू नहीं होते हैं।

फिट और हेल्दी रहने के लिए अच्छी और गहरी नींद जरूरी

रिसर्च के अनुसार, फिट और हेल्दी रहने के लिए 8 घंटे की नींद जरूरी है। आप 12 घंटे तक सोने के बावजूद खराब नींद के शिकार हो सकते हैं।

अच्छी नींद तब होती है जब कोई उठाए तो नींद न खुले, नब्ज और सांसों की रफ्तार भी धीमी हो जाए। उस वक्त हमारा दिमाग सबसे ज्यादा रिलैक्स होता है।

अगर आप 7 घंटे बिस्तर पर हैं और कम से कम 5 या 6 घंटे गहरी नींद लेते हैं, तो यह क्वालिटी स्लीप है। यदि आप 7 घंटे बिस्तर पर हैं और सिर्फ 15 मिनट की गहरी नींद ले पाते हैं तो यह क्वालिटी स्लीप नहीं कहा जाएगा।

क्वालिटी स्लीप फिजिकल, मेंटल और ब्रेन हेल्थ को इम्प्रूव करती है। जब नींद की क्वालिटी बिगड़ती है, तो हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, मोटापा, डिप्रेशन तक कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

हाई क्वालिटी स्लीप से ब्रेन को सीखने, याद रखने और फोकस रहने में मदद करती है। बच्चों में अच्छी नींद न हो तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है।

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