रेवाड़ी के गांव गढ़ी में एक परिवार ने खुद को आग में जलाया

नकारात्मक सोच वालों के मन में आत्महत्या के आते हैं ख्याल


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


गांव गढ़ी बोलनी में रविवार को एक ही परिवार के 3 मासूम बच्चों की जिंदा जलने की घटना ने झकझोर कर रख दिया है। इसमें माता-पिता बुरी तरह झुलसे हुए है। प्राथमिक जांच में घर के मुखिया ने घरेलू कलह के चलते ये कदम उठाया। पड़ोसी जब उन्हें बचाने पहुंचे तो पांचों के आपस में रस्सी से पैर बंधे हुए थे। गांव का लक्ष्मण एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है। शनिवार को किसी बात को लेकर परिवार में ही उसके झगड़ा हुआ था। रात में परिवार के सभी सदस्य घर में सोए हुए थे। बताया जा रहा है कि रात करीब 1 बजे घर के अंदर से जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी। पड़ोसी जितेंद्र और उसका भाई घर पहुंचे तो खिड़की (रोशनदान) उखड़ा हुआ था, जबकि छत का कुछ हिस्सा भी धमाके से टूटा हुआ था। धमाके की आवाज सुनकर पड़ोसी जितेन्द्र और अन्य लोग जब लक्ष्मण के घर पहुंचे तो रसोई में रखे दोनों सिलेंडर लीक मिले। इतना ही नहीं, चूल्हा भी खुला हुआ था। कमरे में धुआं भरा हुआ था। अंदर जाकर जब बेसुध पड़े परिवार के एक सदस्य को निकालने की कोशिश की तो उसके साथ अन्य भी बाहर की तरफ खिंचने लगे। पड़ोसियों ने जब पांचों को बाहर निकाला तो सभी के पैर रस्सी से बंधे हुए थे। इसके बाद उन्हें फोरन रात में ही पहले ट्रॉमा सेंटर भर्ती कराया।
3 बच्चों ने तोड़ा दम
पांचों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें तुरंत रोहतक पीजीआई के लिए रेफर कर दिया गया, जहां बेटी अनीषा (16), निशा (14) व बेटे हितेश (12) ने दम तोड़ दिया, जबकि लक्ष्मण (34) व उसकी पत्नी रेखा (31) की हालत गंभीर बनी हुई है। बताया जा रहा है कि घर में जहरीले पदार्थ के कुछ खाली पाउच भी मिले है, जिससे अंदेशा ये भी लगाया जा रहा है कि उन्होंने पहले जहरीला पदार्थ खाया हो। कसौला थाना पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
नकारात्मक सोच वालों के मन में आत्महत्या के आते हैं ख्याल
इस तरह की घटनाओं पर श्री मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार के लेख को जरूर आत्मसात करना चाहिए तनाव की स्थिति तब होती है जब हम दबाव लेने लगते हैं। जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं। यह समस्या शारीरिक रूप से कमजोर करने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी आहत करती हैं। इससे ग्रस्त व्यक्ति ना तो ठीक से काम कर पाता है और न ही अपने जीवन का खुलकर आनंद उठा पाता है। बहुत ज्यादा किसी बारे में सोचने से मन की पॉजिटिव एनर्जी खत्म हो जाती है। उसकी जगह नेगेटिव एनर्जी ले लेती है। यह धीरे-धीरे मानसिक रूप से व्यक्ति को बीमार कर देता हैं। इस कारण वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता हैं। तनाव के दौरान आपके सीने में दर्द या ऐसा लगता जैसे दिल की धड़कन बहुत बढ़ गई हो, थकावट या सोने में परेशानी महसूस होना, सिरदर्द, चक्कर आना या कंपकंपी, हाई ब्लड प्रेशर, पेट और पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। नकारात्मक सोच वालों के आत्महत्या जैसे ख्याल भी आते हैं। आखिर किसी व्यक्ति के मन में सुसाइड करने का ख्याल क्यों आता हैं? सुसाइड अपने आप में कोई मानसिक बीमारी नहीं हैं। इसके पीछे डिप्रेशन, अचानक किसी घटना का मानसिक असर और तनाव जैसी कई वजहें हैं। इस समस्या से जूझने वाले लोग अक्सर उदास रहते हैं और उसके मन में हर समय नकारात्मक ख्याल आते रहते हैं।कई बार ये अपने आप को परिस्थितियों के सामने इतना असहाय महसूस करते हैं कि उनके मन में आत्महत्या का ख़्याल आने लगता हैं। सुसाइड जैसा बड़ा कदम कोई भी व्यक्ति अचानक नहीं उठाता है इससे पहले तो जिन चीज़ों से गुजरता है उसे एक संकेत माना जा सकता हैं। जरूरत से ज्यादा और बात-बात पर गुस्सा होना, हमेशा उदास रहना, मूड बिगड़ा रहना, भविष्य को लेकर आशंकित रहना, नींद ना आना ये सारे लक्षण बताते हैं कि व्यक्ति किसी तरह के मानसिक उतार-चढ़ाव से गुजर रहा हैं। ज्यादातर लोग किसी भी मानसिक समस्या को बीमारी नहीं मानते हैं और डॉक्टर से संपर्क करने से बचते हैं। यही वजह है कि डिप्रेशन की समस्या बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में तेजी से फैल रही हैं। जब मन में लगातार नकारात्मक और ख़ुद को चोट पहुंचाने जैसे ख्याल आ रहे हो तो तुरंत डॉक्टर या करीबी दोस्त या परिवार के सदस्यों से अपनी दिक्कतों के बारे में बात करनी चाहिए। तनाव दूर करना है तो हंस लो या फिर रो लो। जीवन में हमेशा हंसते रहो, खुश रहो क्योंकि हंसते रहने से आप भी खुश रहते हैं और आसपास रह रहे लोग भी। हंसने से बड़े से बड़ा तनाव दूर हो जाता हैं। तनाव दूर करने का सबसे बढ़िया माध्यम हंसी ही हैं। एक अध्ययन यह भी है कि हंसने से ज्यादा रोने से तनाव दूर होता हैं। किसी भी दुख और तनाव को अपने से दूर रखने के लिए रोना बहुत जरूरी है जो लोग अपना दुख किसी से बांट नहीं पाते वे रो कर अपना मन हल्का कर लेते हैं। सारांश यही है कि नकारात्मक ख्यालों से प्रभावित ना हो, धैर्य बढ़ाएं, परिवार के साथ समय बिताएं, हमेशा नकारात्मक ना बोलें एवं घर-परिवार से अपेक्षाएं कम रखें।

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