किसानों के साथ हूं, उनके हितों के ख़िलाफ़ नहीं जाऊंगा: अनिल घनवत

कृषि क़ानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में शामिल सदस्य दबाव में आते दिख रहे हैं। कमेटी के सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान इस कमेटी को अलविदा कह चुके हैं। क्योंकि मान का नाम जब से कमेटी में आया था, उनका इतना जबरदस्त विरोध हो रहा था कि उन्हें मजबूरी में कमेटी से बाहर जाने का एलान करना पड़ा। मान को यह भी कहना पड़ा कि वे किसानों के साथ खड़े हैं और उनके हितों से किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे। मान के इस फ़ैसले का किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने स्वागत किया है और कहा है कि किसानों के लिए किसी भी कमेटी का कोई महत्व नहीं है क्योंकि कमेटी का गठन करना उनकी मांग ही नहीं है। अब कमेटी के एक और सदस्य और शेतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत ने आंदोलनकारी किसान संगठनों की तारीफ़ की है और कहा है कि अगर सरकार कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करेगी तो वह और उनके संगठन के कार्यकर्ता दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन में शामिल हो जाएंगे। ऐसे में कमेटी के गठन पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। कमेटी में इन दोनों के अलावा इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) में पूर्व निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री और कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइस के पूर्व चेयरमैन अशोक गुलाटी भी शामिल हैं।हालांकि घनवत ने कहा है कि वह मान की तरह कमेटी से बाहर नहीं निकलेंगे और कमेटी के बाक़ी सदस्यों के साथ बातचीत कर ऐसी रिपोर्ट बनाएंगे जो किसानों को स्वीकार हो। घनवत ने कहा, ‘यह मान का व्यक्तिगत फ़ैसला है और वह इसका सम्मान करते हैं। मैं आंदोलनकारी किसानों के साथ खड़ा हूं और हमारे लक्ष्य एक ही हैं। कमेटी में रहते हुए मैं ऐसी किसी भी बात का समर्थन नहीं करूंगा जो किसानों के हितों के ख़िलाफ़ हो।’

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